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भूपेश बघेल की चंडाल चौकड़ी पर आयकर का शिकंजा!

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आयकर छापों के बाद भूपेश बघेल और सरकार सकते में*

*क्या भूपेश की भ्रष्टाचारी चौकड़ी में पड़ गई है फूट?*

*विजया पाठक, संपादक, जगत विजन*

कहते हैं ना झूठ-फरेब के दिन ज्यादा लंबे नहीं होते। यह बात आज के छत्तीसगढ के लिए चरितार्थ हो रही है। दिसंबर 2018 में जब भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने तब किसी को अंदाजा नहीं रहा होगा कि एक जुझारू सा दिखने वाला कांग्रेस नेता पौने चार साल की सत्ता के बाद देश का सबसे पैसे वाला कांग्रेसी बन जायेगा, वो भी पूरा छत्तीसगढ को लूटकर। 15 साल बाद सत्ता में लौटी भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार ने आते ही राज्य में अंधाधुंध लूट मचा रखी है। राज्य के अंदर सरकार के संरक्षक अफसरों सहित मंत्री, नेता, अफसर और कर्मचारियों ने भ्रष्टाचार का आतंक मचा दिया है। भूपेश बघेल सरकार जनता से अवैध वसूली से लेकर विभागों के टेंडर घोटाले, कारोबारियों से अड़ीबाजी, यहां तक कि प्रदेश की भोली-भालि जनता से भी पैसे लूटने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है।

 हाल ही में पूरी चंडाल चौकड़ी सहित बघेल के परिचितों के घरों में पड़े आयकर के छापों के बाद भूपेश बघेल की करतूतों से पर्दा उठ गया है। आयकर विभाग की कार्यवाही में अफसरों के घरों से करोड़ों रुपये के काली कमाई के दस्तावेज हासिल हुए, जो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की भ्रष्टाचारी उपलब्धि के प्रमाण हैं। भूपेश के करीबी सूर्यकांत तिवारी और चहेती अधिकारी सौम्‍या चौरसिया के ठिकानों से काली कमाई से खरीदी गई कोल वाशरी के लिये जमीनों, शहरों में बेशकीमती जमीनों, होटलों और अन्‍य कारोबार से बड़े पैमाने पर किये गये निवेश के दस्‍तावेज बरामद हुए हैं। सूर्यकांत के करीबियों के ठिकानों पर आयकर विभाग को लगभग 200 करोड़ से ज्‍यादा की जमीनों की मूल दस्‍तावेज मिले हैं।

*विदेशों में दबा रखा है बघेल ने पैसा*

आयकर की कार्यवाही के दौरान मिले दस्तावेज इस बात की ओर भी इशारा कर रहे हैं कि बघेल के चहेतों द्वारा किया गया भ्रष्टाचार का सर्वाधिक पैसा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को जाता है जो सीधे उनके विदेशों के बैंकों के खातों में जमा कराया गया है। बतौर मुख्यमंत्री इतना भ्रष्टाचार मचाने के बाद भले ही राहुल गांधी सहित गांधी परिवार और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सख्ते में हो लेकिन अभी तक किसी ने कोई कार्यवाही करने के बारे में विचार नहीं किया। ब्‍लैक मनी और नामी बेनामी संपत्ति के निवेश में भूपेश बघेल के बेटे चेतन्‍य बघेल (बिटटू) से भी पूछताछ हो चुकी है। इस दौरान जांच के घेरे में फंसे मुख्‍यमंत्री के बेटे को लेकर प्रदेश में गहमागहमी है।

अपने इस कार्यकाल में ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य के खजाने को खंडहर कर दिया है। इनकी लूट वाली क्रोनोलॉजी भी समझिए। सरकार बनते ही अपने आसपास सरकार चलाने के लिए पूरी चौकड़ी (चंडाल-चौकड़ी) बनाई। इस चौकड़ी में 02 पत्रकार विनोद वर्मा और रूचिर गर्ग, एक प्रमोटी आईएएस अनिल टुटेजा (जो नान घोटाले का मुख्य अभियुक्त था), उनके खास सिपहसालार के तौर पर महापौर ढेबर और उनके भाई और एक अपनी प्रियतम राज्य स्तरीय महिला अधिकारी सौम्‍या चौरसिया। इसके अलावा अब एक नया नाम और जुड़ गया है सूर्यकांत तिवारी का। हाल ही में छत्‍तीसगढ़ में पड़े आयकर के छापों में सूर्यकांत तिवारी का नाम सबसे प्रमुखता से छाया है। इस पूरे सिंडिकेट ने हर तरीके से प्रदेश को लूटना चालू किया। अवैध कोल टैक्स, शराब टैक्स, ट्रांसफर, जनसंपर्क (दोनों पत्रकार सलाहकारों को फ्री हैंड), कृषि, हर विभाग से प्रदेश को लूटना चालू कर दिया। छत्तीसगढ की यह ऐसी ऐतिहासिक लूट रही जिसके आंकड़े 01 लाख करोड़ से ऊपर निकल गये। इसी के साथ भूपेश बघेल देश के सबसे धनाढ्य कांग्रेसी बन गए। छत्तीसगढ की इस महा लूट पर पर्दा डालने के लिए दिल्ली मीडिया के माध्यम से अपने आप को लायक साबित करने की कोशिश चलती रही। जब प्रदेश की ढाई-ढाई साल वाली आग 10 जनपद पहुंची तो विधायकों को दिल्ली परेड करा दी और वहां ऐश-ओ-आराम में कोई कमी नहीं होने दी। इन सबका अरेंजमेंट अभी के आयकर छापों वाले सूर्यकांत तिवारी ने की, जो कि भूपेश की प्रियतम और आज की सुपर सीएम सौम्या चौरसिया के निर्देश पर काम करते रहे। वहीं उसी समय इनमें से कुछ 15-16 विधायकों की ऐश-ओ-आराम की सीडी बना ली गई, जो इस आयकर के छापों में अब केंद्र के हाथ लग गए हैं। बाकी बचे कुछ अति महत्वपूर्ण अधिकारीयों की भी काली करतूतें इन सीडी में हैं। इन विधायकों इसके द्वारा ब्लैकमेल किया जा रहा था ताकि वो भूपेश का पाला ना छोड़े। सूत्रों की माने तो इस मामले की भी जांच हो सकती है। निश्चित ही इन सब का डायरेक्शन भूपेश बघेल ने ही किया होगा। पूर्व में भी राजेश मूंढत की अश्लील सीडी कांड में भूपेश और विनोद वर्मा (पत्रकार) मुख्य आरोपी हैं, इनको ऐसे कामों का एक्सपीरियंस भी है। आयकर विभाग की विज्ञप्ति में भी साफ-साफ डिजिटल एविडेंस और कोयले वाले 200 करोड़ का की बात कही गई है। 4-5 दिन चले आयकर के छापों में सौम्या चौरसिया के साथ सूर्यकांत तिवारी एंड ग्रुप के पूरे तार पकड़े गए हैं। वैसे तो अभी कुल लूट का आयकर विभाग ने 1-2% ही पकड़ा है, पर सूत्रों के मुताबिक आगे ईडी का रोल भी आने वाला है। इसमें सौम्या का बंगलौर (भाई) कनेक्शन, सूर्यकांत तिवारी का विभिन्न कम्पनी जिसमें अदानी भी है वो कनेक्शन सबके कागज़ी साक्ष्य आइटी को मिले हैं।

*कोयला पर अवैध टैक्स, सरकारी अधिकारियों और हालिया चुनावों में नकदी खर्च, अभिलेख, आपत्तिजनक डिजिटल साक्ष्य बरामद*  

30 जून से छत्तीसगढ़ में जारी आयकर छापों को लेकर आयकर विभाग ने सांकेतिक ब्यौरा जारी किया है। यह छापे सूर्यकांत तिवारी पर केंद्रित थे, साथ ही एक टीम तीन दिनों तक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उप सचिव सौम्या चौरसिया के भिलाई स्थित निवास सूर्या अपार्टमेंट में मौजूद रही। आयकर विभाग ने छत्तीसगढ़ में तीस जगहों पर तलाशी अभियान चलाया था। इनमें रायपुर, भिलाई, रायगढ़ कोरबा बिलासपुर सूरजपुर महासमूंद जैसे शहर शामिल थे। आयकर विभाग ने इस तलाशी अभियान को लेकर जो जानकारी सार्वजनिक की है, वह अंग्रेज़ी में है, जिसे हिंदी में हम यथावत प्रस्तुत कर रहे हैं। आयकर विभाग की इस विज्ञप्ति को पीआईबी ने जारी किया है ।

*पीआईबी द्वारा जारी विज्ञप्ति-* आयकर विभाग द्वारा कोयला परिवहन और अन्य संबद्ध गतिविधियों के व्यवसाय में लगे एक समूह पर 30.06.2022 को तलाशी और जब्ती अभियान चलाया गया। तलाशी अभियान में एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी का परिसर भी शामिल था। रायपुर, भिलाई, रायगढ़, कोरबा, बिलासपुर, सूरजपुर आदि में फैले 30 से अधिक परिसरों में तलाशी अभियान चलाया गया। तलाशी अभियान के दौरान कई आपत्तिजनक दस्तावेज, कागजात और डिजिटल साक्ष्य मिले हैं और उन्हें जब्त कर लिया गया है। समूह द्वारा अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली में छत्तीसगढ़ राज्य भर में कोयला परिवहन पर नियमित रूप से अनुचित कलेक्शन शामिल है, जिससे भारी मात्रा में बेहिसाब आय अर्जित की गई है। कम समय में इस तरह से अर्जित 200 करोड़ से ज्यादा रुपये के संग्रहण के साक्ष्य मिले हैं। समूह के प्रमुख विश्वसनीय सहयोगियों ने भी इसकी पुष्टि की है। सरकारी अधिकारियों को किए गए कुछ नकद भुगतान के उदाहरणों की भी पहचान की गई है। जब्त किए गए सबूतों से यह भी संकेत मिलता है कि समूह ने कोल वाशरीज की खरीद में लगभग 45 करोड़ रुपये का बेहिसाब नकद भुगतान किया है। इसके अलावा हाल ही में हुए चुनावों के दौरान समूह द्वारा नकद खर्च करने के सबूत भी मिले हैं। तलाशी के दौरान बड़ी संख्या में संपत्ति के समझौते मिले हैं, जिससे पता चलता है कि अचल संपत्तियों के अधिग्रहण में भारी अघोषित निवेश किया गया है, जो कि प्रकृति में बेनामी प्रतीत होते हैं। सरकारी अधिकारी से संबंधित कथित मालिकों द्वारा 50 एकड़ अचल संपत्तियों के अधिग्रहण में किए गए निवेश के स्रोत की जांच की जा रही है।तलाशी अभियान के दौरान अब तक 9.5 करोड़ रुपये से अधिक की अघोषित नकदी और 4.5 करोड़ रुपये के आभूषण जब्त किए जा चुके हैं। तलाशी के दौरान एकत्र किए गए ऐसे आपत्तिजनक सबूतों की प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि समूह द्वारा कुछ सौ करोड़ रुपये की आय से बचने का प्रयास किया है। आगे की जांच जारी है।

*जांच का दायरा बढ़ने और विभिन्न जांच एजेंसियों के शामिल होने के संकेत-* आयकर विभाग ने संकेतों में सही पर यह स्पष्ट कर दिया है कि, कोयले के परिवहन को लेकर जो 25 रुपए टन की अवैध वसूली हो रही थी, और कोरबा की वह ज़मीन जिसमें कोल वाशरी को लेकर ख़रीदी का मसला बताते हुए संकेत दिया था कि, यह दो मसले ऐसे थे जिससे आयकर और दिगर केंद्रीय एजेंसियों टीम के राडार पर सूर्यकांत आ गए थे। आयकर विभाग ने डिजिटल साक्ष्य शब्द का प्रयोग किया है, इसके अर्थ सामान्य तौर पर सीडी या पैन ड्राइव से लगाए जाते हैं। आयकर विभाग ने विज्ञप्ति में हाल के चुनाव का ज़िक्र किया है, इसे हालिया उप चुनावों से जोड़ कर देखा जा रहा है। आयकर विभाग ने लिखा है कि, क़रीब दो सौ करोड़ से ज़्यादा के संग्रहण के साक्ष्य मिले हैं। विज्ञप्ति में सरकारी अधिकारियों को नगद भुगतान किए जाने का भी उल्लेख है, ऐसा लगता है कि अधिकारियों का कोई समूह वह भी हैं जो सूर्यकांत और उनके सहयोगियों द्वारा लाभान्वित हुआ है। जबकि एक अधिकारी से संबंधित ब्यौरा है कि 50 एकड़ से अधिक अचल संपत्ति में उसके कथित मालिकों द्वारा किए गए निवेश की जाँच जारी है।

*अडानी को बाहर निकालने का प्रयास*

बताया जा रहा है कि सत्ता में बैठे लोगों ने अडानी की बिजली कंपनी से राज्य का ठेका छीन कर किसी निजी कंपनी को देने के लिए तैयारी कर ली। यह ठेका लगभग 24 हजार करोड़ का बताया गया है। भूपेश बघेल शायद यह बात भूल गये हैं कि उन्होंने विधानसभा चुनाव के पहले रैलियों के दौरान यह कहा था कि रायगढ़ के आदिवासियों का विस्‍थापन नहीं होगा। लेकिन अब हसदेव कोल परियोजना को स्थापित करने के लिए राज्य की बेरहम सरकार इन मासूमों पर अत्याचार कर इन्हें विस्थापित करने के लिए अड़ी हुई है। लेकिन जैसे ही यह मामला चर्चा में आया राज्य सरकार ने इस कोल परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया।

*मीडिया पर अघोषित आपातकाल का माहौल बना रखा है बघेल ने*

छत्तीसगढ़ में जब से भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार आई है, तभी से मीडिया की जुबान पर ताला लगा दिया है बघेल ने। राज्य के भीतर जो भी पत्रकार, चैनल या फिर अखबार बघेल का कारनामों को छापने का प्रयास करता है बघेल उसके घर पर पुलिस वारंट भिजवाकर उसे गिरफ्तार करवाने में कोई समय नहीं लगाते। कहने का आशय है कि भूपेश बघेल ने राज्य के भीतर इतनी अराजकता फैला रखी है कि आगामी चुनाव में कांग्रेस पार्टी का सत्ता पर बने रहना मुश्किल होगा। अगर कांग्रेस आला कमान अभी भी नहीं जागा तो निश्चित ही आगामी विधानसभा चुनाव कांग्रेस के हारने और सत्ता से बेदखल होने का केवल एक ही कारण होगा वो है भूपेश बघेल। अभी तक इन छापों का कवरेज प्रादेशिक स्तर पर किसी मीडिया हाउस (प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल) ने नहीं किया है। जिस तरह से छत्तीसगढ़ीया मीडिया की आवाज दबाने का काम भूपेश और उनके सहयोगियों ने किया है वो आज के इस आजाद भारत में एक उदहारण है। जो भी पत्रकार इनकी बात नहीं मानता उसके खिलाफ पुलिसिया कार्यवाही के साथ-साथ आर्थिक प्रतिबंध तो लगता ही है। खैर जैसे मैंने शुरुआत में लिखा था कि झूठ फरेब के दिन ज्यादा लंबे नहीं होते वैसा ही भूपेश बघेल और इनकी चौकड़ी के साथ होगा। सभी के खिलाफ मामले अदालत में मामले विचाराधीन हैं, जिनमें निश्चित ही इनको सजा मिलेगी। वैसे भी सत्ता उखड़ने में ज्यादा दिन बाकी नहीं रहे हैं चुनाव या चुनावों के पहले?

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