*बहरे निगम अफसरों के कारण दहशत में जी रहे निगम क्वार्टर में रहने वाले निगम कर्मचारी।….*
*और निगम कर रहा सातवां आसमान छूने की तैयारी….*
(आनन्द पुरोहित)
_सातवां आसमान छूने की तैयारी कर रहे इन्दौर नगर निगम के जवाबदारों की लापरवाही और निष्क्रियता के साथ अनसुनेपन का जीता जागता उदाहरण नगर निगम में ही *”गिरते-पड़ते,खडा”* दिखाई दे रहा है और देखने वालों के दिमाग में प्रश्न उठा, नगर निगम के कर्मचारियों को दहशत में जीने को मजबूर करते इन्दौर नगर निगम की सातवें आसमान छूने की काबिलियत पर भी सवालिया निशान लगा रहा है।_
इन्दौर नगर निगम मुख्यालय के ठीक पीछे निगम कर्मचारियों के रहने के लिए बने चालीस क्वार्टर की बैक लाइन में बरसों पुराना गूलर का पेड़ विगत दिनों तेज़ हवा के साथ आई बारिश में अपनी जड़ों से हिल गया तथा ड्रैनेज चेम्बर्स को तोड़ उसके आसपास की फर्शियो को उखाड़ते “आडा” पड निगम लेबोरेटरी की दीवार पर टिक गया जो कि अब किसी भी समय गिर सकता है । (देखें चित्र में) इससे जहां चेम्बर्स जाम हो गए और उसकी गंदगी गली में फैलने रहीं हैं वहीं फर्शियो के उखड़ने और लगातार बारिश होने के कारण गंदा मैला पानी चालीस क्वार्टर में रहने वाले निगम कर्मचारियों के घरों में घुस रहा है जिसके कारण हो रही गंदगी और फैल रही बदबू से उनके बच्चे बीमार हो रहे हैं, तथा किसी तरह की महामारी फैलने का खतरा बढ़ रहा है।
*चालीस क्वार्टर में रहने वाले निगम कर्मचारियों ने इसकी सूचना कंट्रोल रूम सहित हर संबंधित विभाग को “पेड़ के आड़े होने” के साथ ही तकरीबन पंद्रह दिन पहले ही दे दी थी, परन्तु ये इन्दौर नगर निगम के बहरे जवाबदारो को अपने कर्मचारियों की ही शिकायत सुनाई नहीं दी तो फिर शहर की जनता की क्या सुनवाई करते होंगे ये।*
निगम क्वार्टर में रहने वाले कर्मचारियों का यह भी कहना है कि कंट्रोल रूम और अन्य जगहों पर सूचना के साथ 311 एप पर भी फोटो खींच खींच कर डाले हैं फिर भी कोई नहीं आया देखने जबकि पेड़ जमीन से उखड़कर लेब की दिवाल से टिका है यदि धड़ाम से गिरा तो लेब भी धराशाई हो जाएगी और उनमें रखे सब सैंपल बगैर टेस्ट किए ही,”पास” हो जाएगे। फिर जांच समिति बैठेगी और नुकसान की गणना पर ही लाखों रूपए खर्च कर दिए जाएंगे।
_जमीन से जडे छोड़ आडे हो चुके गूलर के पेड़ के गिरने की दहशत में जी रहे निगम कर्मचारी अब सब दूर शिकायत के बावजूद भी निराकरण नहीं होने की स्थिति में *कमिश्नर महोदया को लिखित सूचना दे शिकायत करने वाले हैं* यदि फिर भी निराकरण नहीं हुआ तो इकठ्ठा हो कमिश्नर से मिलने जाएंगे।_
(आनन्द पुरोहित)