इंदौर । एयरपोर्ट के पास 200 मीटर की दूरी पर बनने वाले मेट्रो स्टेशन के मद्देनजर आज कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी ने महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है, जिसमें सांसद सहित एयरपोर्ट अथॉरिटी, फॉरेस्ट, मेट्रो कॉर्पोरेशन, निगम सहित अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद रहेंगे। वहीं सुपर कॉरिडोर पर बन रहे मेट्रो डिपो में पीईबी कॉलम का भी काम शुरू हो गया है। जिस तरह आईएसबीटी में तैयार कॉलम लगाए जा रहे हैं, उसी तरह इन तैयार कॉलमों का इश्तेमाल डिपो और मेट्रो स्टेशन निर्माण में किया जाएगा, ताकि काम की गति बढ़ सके। 9 मीटर ऊंचाई के इन प्री-इंजीनियरिंग बिल्डिंग कॉलम को सफलतापूर्वक लगाना शुरू कर दिया है।
अभी दो दिन पहले ही सांसद शंकर लालवानी ने एयरपोर्ट और मेट्रो अधिकारियों के साथ चर्चा की थी, जिसमें यह सहमति बनी कि एयरपोर्ट के पास बनने वाले मेट्रो स्टेशन की जगह तय की जाए और यह 200 मीटर से अधिक दूरी पर नहीं रहे, ताकि एयरपोर्ट आने वाले हवाई यात्रियों को सुविधा मिल सके। इस मामले में कई तरह की अड़चनें आ रही है, जिसमें से कुछ मौके पर समझी, ताकि एयरपोर्ट के पास भी मेट्रो स्टेशन का काम जल्द शुरू हो सके। एयरपोर्ट से स्टेशन आने-जाने के लिए ट्रेव लेटर का इस्तेमाल किया जाएगा। वहीं आज साढ़े 11 बजे कलेक्ट्रेट में इससे संबंधित बैठक भी बुलाई है, जिसमें सांसद सहित कलेक्टर, एयरपोर्ट अथॉरिटी, फॉरेस्ट और मेट्रो रेल कार्पोरेशन के अधिकारी मौजूद रहेंगे। दूसरी तरफ मेट्रो प्रोजेक्ट के तहत चल रहे प्रायोरिटी कॉरिडोर पर तेजी से काम चल रहा है।
अभी पहला पीईबी कॉलम एक दिन पहले सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। उसके बाद अन्य कॉलम भी लगाए जा रहे हैं। अभी गांधी नगर सुपर कॉरिडोर पर जो मेट्रो डिपो का काम चल रहा है वहां पर ये 9 मीटर ऊंचाई के पीईबी कॉलम लगाए जा रहे हैं। वहीं कल ऑपरेशन सीएमआरएस पोर्टल से संबंधित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का भी आयोजन किया गया। वहीं दूसरी तरफ पटरियों को बिछाने की शुरुआत भी हो रही है। अभी पिछले दिनों जो पहला पटरियों का लॉट आया, उसमें से यार्ड में भी पटरियां बिछेगी। गिट्टियां बिछाने और स्लीपर का काम अभी तेज गति से चल रहा है। एक-दो दिन में यह काम पूरा होते हुए पटरियों को बिछाने की शुरुआत भी की जाएगी। पटरियों के अन्य लॉट भी अब लगातार आते रहेंगे। जिंदल स्टील द्वारा पटरियां सप्लाय की जा रही है और मैक्समाको कम्पनी द्वारा बिछाने का काम किया जाएगा। इंदौर मेट्रो के लिए 8425 मैट्रिक टन पटरियों की जरूरत लगेगी। अभी एक दर्जन से ज्यादा पाई गर्डरों की लॉन्चिंग हो चुकी है और साढ़े 5 किलोमीटर के प्रायोरिटी कॉरिडोर को समय सीमा में पूरा करने की भी चुनौती है।