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*गर्भ मे ही शिशु को संस्कार संभव*

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मां बनना नारी के जीवन में सबसे बड़े सौभाग्य की बात होती है ,मातृत्व के कारण नारी जीवन में सृजन , पोषण एवं विनाश तीन पद  सार्थक होते हैं , यही अवसर होता है की मां अपनी वात्सल्य शक्ति से आने वाले जीव को शक्तिशाली , स्वस्थ तन , प्रसन्न मन एवं पवित्र जीवन से सराबोर कर सकती है और अर्हम् गर्भ साधना को अपनाकर परमात्मा शक्ति से साक्षात्कार संभव हो पाता है , गर्भवती माता एवं स्वस्थ गर्भस्थ शिशुका मानसिक , शारीरिक , बौद्धिक एवं आध्यात्मिक विकास नैसर्गिक जन्म के अलावा जन्म के बाद शिशु का माता-पिता , परिवार एवं समाज से श्रेष्ठ संबंध स्थापित रहे , यह 9 माह तक गर्भवती माता को आध्यात्मिक संस्कार से संभव है ,

 जैन प्राच्यविद्या अनुसंधान संगठन द्वारा मनुश्री नगर में आयोजित कार्यक्रम में डॉक्टर मनीषा चेलावत ने अपने विचार व्यक्त किये , अध्यक्ष देवेंद्र सिंघई एवं संरक्षक ज्योतिषाचार्य एमके जैन ने बताया कि संगठन द्वारा गंधर्वपुरी में खुला  पुरातत्व संग्रहालय के जीर्णोद्धार, मानव एवं स्वास्थ्य सेवा एवं सौभाग्य समृद्धि योजना का शुभारंभ  इस अवसर पर किया गया , प्रीति पाडलिया एवं सुशील जैन ने आचार्य श्री विद्यासागरजी महामुनिराज के प्रति मांगलिक प्रस्तुत कर सामूहिक विनयांजलि अर्पित की , कार्यक्रम का संचालन पंकज जैन ने किया एवं आभार मनोज जैन ने माना

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