Site icon अग्नि आलोक

आजादी की लड़ाई के स्मारक जय स्तंभ सार्वजनिक स्थानों की शान बढ़ाते हैं : अजय खरे

Share

आजादी के प्रतीक चिन्हों के साथ स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम अंकित हों
रीवा । नारी चेतना मंच , समाजवादी जन परिषद एवं विंध्यांचल जन आंदोलन के तत्वावधान में ऐतिहासिक जय स्तंभ बचाने और विश्व शांति के लिए दीप सत्याग्रह 32 वें दिन भी जारी रहा । यह भारी विडंबना है कि ऐतिहासिक धरोहर जय स्तंभ के अस्तित्व के सवाल को लेकर चुने हुए जनप्रतिनिधियों की जुबान पर ताला लगा हुआ है , वहीं पृथक विंध्य प्रदेश का राग अलापने वाले भी इस राष्ट्रीय धरोहर के साथ होने जा रहे क्रूर खिलवाड़ को अनदेखा कर रहे हैं । जय स्तंभ को हटाना असंवैधानिक , राष्ट्रीय एकता , अखंडता और स्वतंत्रता की भावनाओं के साथ क्रूर खिलवाड़ और देशद्रोही हरकत होगी ।
इस अवसर पर समाजवादी जन परिषद के नेता अजय खरे ने कहा किप्रथम स्वतंत्रता संग्राम के शताब्दी समारोह वर्ष पर सन 1957 में देश के सभी विकास खंडों के मुख्य मार्गों और चौराहों पर जय स्तंभ बनाए गए थे। जय स्तंभ राष्ट्रीय धरोहर होने के साथ रीवा शहर की ऐतिहासिक यादगार है । सोने की प्रतिकृति भी जयस्तंभ की जगह नहीं ले सकती है । जय स्तंभ स्वतंत्रता आंदोलन , अमर शहीदों एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के त्याग बलिदान की राष्ट्रीय धरोहर है , जिसका स्थान नहीं बदला जा सकता है । जय स्तंभ सभी धर्म वर्ग समुदाय के लोगों की आस्था का प्रतीक है , इसका महत्व किसी भी उपासना स्थल से कम नहीं है । जय स्तंभ देश की एकता अखंडता और भाईचारे का प्रतीक होने के साथ-साथ भारत की आन बान शान है । ऐतिहासिक धरोहरों को हटाया मिटाया नहीं जाता , बल्कि उसी स्थान पर उनका सही रखरखाव करके संरक्षित किया जाता है । 
श्री खरे ने कहा कि जय स्तंभ पर सिर्फ देश की आजादी के लिए त्याग और बलिदान करने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम अंकित किए जाना चाहिए । इसे सैनिक स्मारक बनाना उचित नहीं होगा । युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों के लिए अलग से स्मारक बने हुए हैं। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को गुलामी के दौर में अत्यंत अभाव में ब्रिटिश साम्राज्यवाद से लड़ना पड़ता था , जो लड़ाई बेहद कष्टदायक एवं बहुत लंबी थी। जब देश आजाद होता है तो सेना के साथ सरकार और जनता का पूरा सहयोग होता है । स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के लिए गुलाम देश को आजाद कराना बहुत बड़ी चुनौती थी । श्री खरे ने कहा कि शहीद स्मारक सार्वजनिक स्थल पर होते हैं , पुरातात्विक संग्रहालय में नहीं ।
जय स्तंभ क्षेत्र के प्रतिष्ठित नागरिक सुभाष चंद्र प्रजापति ने कहा कि प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के शताब्दी समारोह वर्ष पर सन 1957 में देश के सभी विकास खंडों के मुख्य मार्गों और चौराहों पर जय स्तंभ बनाए गए थे। जय स्तंभ राष्ट्रीय धरोहर होने के साथ रीवा शहर की ऐतिहासिक यादगार है । सोने की प्रतिकृति भी जयस्तंभ की जगह नहीं ले सकती है । जय स्तंभ स्वतंत्रता आंदोलन , अमर शहीदों एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के त्याग बलिदान की राष्ट्रीय धरोहर है , जिसका स्थान नहीं बदला जा सकता है । जय स्तंभ सभी धर्म वर्ग समुदाय के लोगों की आस्था का प्रतीक है , इसका महत्व किसी भी उपासना स्थल से कम नहीं है । 
श्री प्रजापति ने कहा कि रीवा के ऐतिहासिक जय स्तंभ में एक छोटा सरोवर और फव्वारा भी है , जिसकी अनदेखी लंबे समय से होती आ रही है । वहीं शहर के दूसरे चौराहों में शानदार फव्वारे चल रहे हैं । जय स्तंभ के चारों दिशाओं पर सड़क के किनारे हुए अतिक्रमण को हटाकर जय स्तंभ क्षेत्र का सौंदर्यीकरण किया जाना चाहिए । यातायात व्यवस्था में जय स्तंभ रोटरी को बाधक बताया जाना सरासर गलत है । 
सामाजिक कार्यकर्ता जय स्तंभ चौक निवासी टिंकू वर्मा ने कहा कि शहर के अंदर विभिन्न चौराहे पर गलत तरीके से लगाई गई उन तमाम मूर्तियों को तत्काल हटा दिया जाना चाहिए जो सन 2013 के बाद स्थापित की गई हैं , इस संबंध में प्रदेश उच्च न्यायालय के दिशा निर्देश भी जारी हुए हैं लेकिन सन 1957 में राष्ट्रीय धरोहर के रूप में स्थापित जय स्तंभ को हटाने की बात सरासर गलत है ।जय स्तंभ आजादी के आंदोलन का जीवंत प्रतीक चिन्ह है जिसे हटाना पूरी तरह असंवैधानिक और राष्ट्रीय भावनाओं के साथ क्रूर खिलवाड़  होगा।
दीप प्रज्वलन सत्याग्रह कार्यक्रम में प्रमुख रूप से समाजवादी जन परिषद के नेता , लोकतंत्र सेनानी अजय खरे  , जय स्तंभ क्षेत्र के प्रतिष्ठित नागरिक सुभाष चंद्र प्रजापति , टिंकू वर्मा आदि शामिल हुए।

Exit mobile version