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जलाल आगा: वो खुद्दार अभिनेता, जिसने पिता के कहने पर ठुकरा दी थी जितेंद्र की फिल्म

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ये कहानी है उस अभिनेता की, जिसने बहुत ही कम उम्र में फिल्मों में कदम रखा और 50 साल की उम्र में ही दुनिया छोड़ चला। नाम है- जलाल आगा। उनको फिल्मी गलियारों में मिस्टर हंसमुख का नाम दिया गया था। जलाल आगा को अक्सर याद किया जाता है फिल्म ‘शोले’ के ‘महबूबा ओ महबूबा’ गाने के लिए, लेकिन उन्होंने कई अन्य फिल्मों में भी बड़े अच्छे किरदार निभाए थे। जलाल आगा का जन्म 11 जुलाई 1945 को मुंबई में हुआ था। इनके पिता आगा खुद एक मशहूर कलाकार थे। वो उस दौर के बहुत बड़े कॉमेडियन थे और फिल्मों में उनका बड़ा नाम था। माता-पिता के इकलौते बेटे जलाल की तीन बहनें और थीं। वहीं, अनुभवी अभिनेता टीनू आनंद इनके जीजा लगते हैं। आगा साहब फिल्मों से जुड़े थे तो उन्हें कई लोग सलाह देते कि वो अपने बेटे को एक्टिंग की ट्रेनिंग दें, लेकिन वो इसके सख्त खिलाफ थे। वो कहते नहीं पहले ये पढ़ाई करेगा, फिर इसको जो मन हो वो करेगा।

मुगल-ए-आजम के सेट से पिता को करवाया बाहर

जलाल जब बहुत छोटे थे तो उनके पिता के दोस्त मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार उनके घर आए और उनके पिता आगा से कहा कि आसिफ साहब फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ बना रहे हैं। मैं उसमें शहजादे सलीम का किरदार निभा रहा हूं, लेकिन मेरे बचपन के किरदार के लिए आपके बेटे की जरूरत है। आगा ने तुरंत इनकार कर दिया। दिलीप कुमार भी कहां मानने वाले थे। वो बिना बताए उनके बेटे जलाल को फिल्म सेट पर ले गए। तीन दिनों तक फिल्म की शूटिंग चली। जलाल के पिता भी सेट पर मौजूद थे, जिस कारण जलाल नर्वस हो रहे थे। तब जलाल ने निर्देशक से कहा कि मेरे पिता को सेट से बाहर कीजिये तभी मैं शूटिंग कर पाऊंगा। इस बात पर जलाल के पिता को काफी गुस्सा आया।

एफटीआईआई पुणे से सीखी अभिनय की बारीकियां

आगा बेटे जलाल की पढ़ाई को लेकर काफी गंभीर और सख्त थे। वो चाहते थे कि जलाल अच्छे से पढ़ाई-लिखाई कर इल्म हासिल करें। इसलिए उन्होंने जलाल को जेवियर स्कूल से निकालकर बोर्डिंग स्कूल में उनका दाखिला करवा दिया था। उनके पिता आगा का मानना था कि जलाल मुंबई में रहेंगे तो एक्टिंग की तरफ भागेंगे। जलाल ने सिंधिया स्कूल से अपनी पढ़ाई की। इसके बाद एक्टिंग का कोर्स एफटीआईआई पुणे से किया।

मझली दीदी से मिली पहचान

इन्होंने साल 1967 में फिल्म ‘तकदीर’ में सुरेश का किरदार निभाया। इस फिल्म में ये फरीदा जलाल के अपोजिट थे। फरीदा जलाल भी इसी फिल्म से अपना डेब्यू कर रही थीं। पिक्चर से एक और कलाकार ने डेब्यू किया था। मशहूर कॉमेडियन दिनेश हिंगू इस फिल्म में विलेन के रोल में नजर आए थे। इसके बाद वो फिल्म ‘मझली दीदी’ में नजर आए। इसमें उनका किरदार तो काफी छोटा था, लेकिन उन्हें नोटिस किया गया। इसके बाद जलाल 1968 में रिलीज हुई ख्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म ‘बंबई रात की बाहों में’ दिखे। इसी फिल्म से उन्हें पहचान मिली। उनके किरदार का नाम जोसेफ था।

खुद्दार थे जलाल आगा

जलाल को कभी ये पसंद नहीं था कि उनके पिता के नाम पर उनको फिल्म इंडस्ट्री में काम मिले। जितेन्द्र की सुपरहिट फिल्म ‘फर्ज’ पहले जलाल को ऑफर हुई। जलाल आगा ने फिल्म साइन भी कर ली, लेकिन जब उनको मालूम हुआ कि ये फिल्म उनके पिता आगा साहब के कहने पर मिली है तो उन्होंने इसमें अभिनय करने से साफ मना कर दिया।

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