इंदौर में भाजपा के दो पार्षदों के विवाद ने बड़ा रूप ले लिया है। पार्षद कमलेश कालरा ने पार्षद जीतू यादव पर गंभीर आरोप लगाए हैं और पुलिस मामले की जांच कर रही है। इस मामले में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कड़ी जांच का कहा है जिसके बाद पुलिस ने पार्षद जीतू यादव की अपराध कुंडली खंगालनी शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि 36 वर्षीय जीतू यादव ने 11 साल की उम्र में अपराध की दुनिया में कदम रखा। 1999 में परदेशीपुरा इलाके में दोस्त के साथ मिलकर घर में घुसकर चाकूबाजी की थी। यही से उनका अपराध का सफर शुरू हुआ। जीतू यादव अब तक तीन बार गिरफ्तार हो चुके हैं। इसी साल उन्हें जुआ खेलते हुए पकड़ा गया था। हालांकि, 2019 से अब तक उनके खिलाफ कोई नया केस दर्ज नहीं हुआ है, लेकिन कई लिखित शिकायतें पुलिस के पास पहुंच चुकी हैं, जिनकी जांच की जा रही है। जीतू अब भाजपा के बड़े नेताओं के खास माने जाते हैं। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, विधायक रमेश मेंदोला और महापौर पुष्यमित्र भार्गव के साथ पूरे शहर में उनके होर्डिंग पोस्टर लगते रहते हैं।
पिछले 15 दिनों से विवाद और गरमा गया जब वार्ड 65 के पार्षद कमलेश कालरा और नगर निगम कर्मचारी के बीच विवाद में वार्ड 24 के पार्षद जीतू यादव का नाम आया। विवाद के बाद वायरल हुए ऑडियो और 50 से ज्यादा बदमाशों के कालरा के घर पर हमले ने मामले को और पेचीदा बना दिया। कालरा ने आरोप लगाया कि यह हमला जीतू यादव ने करवाया है। जूनी इंदौर पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर 12 बदमाशों की पहचान की है, जिसमें से 8 को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस का कहना है कि अब तक किसी भी आरोपी ने जीतू यादव का नाम नहीं लिया है, और न ही उनके खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज हुई है। हालांकि, कालरा के आरोपों की जांच की जा रही है।
हत्या का प्रयास, चाकूबाजी जैसे कई मामले दर्ज
इस बीच पुलिस ने जीतू की पूरी अपराध कुंडली खंगाल ली है। 1999 से 2019 तक जीतू यादव पर 11 केस दर्ज हो चुके हैं, जिनमें से 10 केस परदेशीपुरा थाने में और 1 केस संयोगितागंज थाने में दर्ज हुआ है। 1999 में दो केस दर्ज होने के बाद परिवार ने जीतू पर सख्ती की, जिससे उन्होंने 2005 तक पढ़ाई पूरी की। लेकिन 2005 में चाकूबाजी के दो और केस दर्ज हुए। संयोगितागंज पुलिस ने इसी साल लूट का प्रयास करने और सरकारी अधिकारी को धमकाने के आरोप में केस दर्ज किया। 2010 और 2011 में तीन केस दर्ज हुए, जिनमें अवैध हथियार रखने, चाकूबाजी और हत्या के प्रयास के केस शामिल थे।
पुलिस जीतू के मामले में बच रही
2017 और 2019 में मारपीट और प्रतिबंधात्मक धाराओं के तहत केस दर्ज हुए। इसके बाद जीतू ने राजनीति में कदम रखा। हालांकि सोशल मीडिया पर जीतू यादव के कई बड़े अपराधियों और हिस्ट्रीशीटर के साथ फोटो वायरल हो रहे हैं। पुलिस कमिश्नर ने इंदौर में बड़े बदमाशों से जुड़े वकील, राजनेता और पुलिसकर्मियों के नाम डोजियर में शामिल करवाए थे, जिसमें जीतू का नाम भी कई बार आया। पुलिस इस पूरे विवाद की जांच कर रही है और जीतू यादव की भूमिका को लेकर कोई भी बयान देने से बच रही है।