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राजस्थान भर में 20 फरवरी से ठप है न्यायिक कार्य

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हाईकोर्ट से भी नहीं निकला वकीलों की हड़ताल खत्म करवाने का रास्ता

एस पी मित्तल,अजमेर

राजस्थान भर में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की मांग को लेकर 20 फरवरी से वकील समुदाय हड़ताल पर है, जिसकी वजह से प्रदेशभर में न्यायिक कार्य ठप पड़ा हुआ है। 9 मार्च को हाईकोर्ट की जयपुर बेंच के जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस विजय विश्नोई ने स्वप्रेरित संज्ञान लेकर वकीलों की हड़ताल के मुद्दे पर सुनवाई की तो पक्षकारों को उम्मीद जगी की अब हड़ताल समाप्त होने का कोई रास्ता निकल आएगा। लेकिन स्वप्रेरित संज्ञान के बाद भी फिलहाल हड़ताल खत्म होने का रास्ता नहीं निकला है। दोनों न्यायाधीशों ने जोधपुर व जयपुर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और प्रदेश भर की जिला बार एसोसिएशन को नोटिस जारी कर आगामी 21 मार्च को स्पष्टीकरण देने के लिए कहा है। यानी अब 21 मार्च से पहले हाईकोर्ट की ओर से मामले में सुनवाई नहीं होगी। हालांकि हड़ताल को लेकर वकीलों में भी मतभेद हैं। लेकिन इसके बावजूद भी प्रदेशभर में न्यायिक कार्य ठप पड़ा हुआ है। इस बीच वकीलों ने 13 मार्च को विधानसभा का घेराव करने की घोषणा भी की है। वकील समुदाय लगातार मांग कर रहा है कि एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट को लागू किया जाए ताकि वकीलों की सुरक्षा हो सके। लेकिन सरकार की ओर से इस मामले में कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया गया है। हालांकि सरकार के प्रतिनिधि वकील एसोसिएशनों के पदाधिकारियों से संवाद कर रहे हैं, लेकिन इस संवाद का भी कोई  निष्कर्ष  नहीं निकला। असल में वकीलों के बीच  विभिन्न विचारों धाराओं का प्रभाव है, जिसकी वजह से हड़ताल समाप्त करने को लेकर एकमत निर्णय नहीं हो रहा है। वकीलों की हड़ताल की वजह से प्रदेशभर के पक्षकार बेहद परेशान है। हालांकि कुछ मामलों में पक्षकार स्वयं पैरवी कर रहे हैं, लेकिन कानून की समुचित जानकारी नहीं होने की वजह से ऐसी पैरवी का कोई निष्कर्ष नहीं निकल रहा। अच्छा हो कि पक्षकारों की परेशानियों को देखते हुए वकील समुदाय हड़ताल समाप्त करने को लेकर निर्णय ले। जहां तक वकीलों का सवाल है तो वकील स्वयं दूसरों की रक्षा करते हैं। 

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