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कालीचरण महाराज की मुश्किलें बढ़ीं:महाराष्ट्र पुलिस ट्रांजिट रिमांड पर लेकर गई, कल पुणे कोर्ट में पेशी

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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर फंसे कालीचरण की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। अब महाराष्ट्र पुलिस उसे ट्रांजिट रिमांड पर लेकर मंगलवार को रवाना हो गई है। वहां के खड़क थाने की टीम करीब 5 दिन से रायपुर में ही डेरा जमाए हुए थी। कालीचरण को लेने के लिए दो गाड़ियों में करीब एक दर्जन पुलिस कर्मी पहुंचे थे। अब 6 जनवरी को कालीचरण को पुणे के जिला कोर्ट में पेश किया जाएगा।

महाराष्ट्र पुलिस की टीम कालीचरण महाराज को रिमांड पर लेने के लिए लगातार प्रयास कर रही थी। इससे पहले सोमवार को महाराष्ट्र पुलिस ने रायपुर कोर्ट में ट्रांजिट रिमांड के लिए आवेदन दिया था, लेकिन खारिज हो गया। मंगलवार को दोबारा कोर्ट में आवेदन दिया गया। इसके बाद मजिस्ट्रेट भूपेंद्र कुमार वासनीकर की कोर्ट ने कालीचरण को ट्रांजिट रिमांड पर सौंपने के आदेश जारी कर दिया। फिर अफसर आदेश की कॉपी लेकर जेल पहुंचे।

गिरफ्तारी के बाद रायपुर कोर्ट में पेशी के लिए जाने के दौरान कालीचरण।

कालीचरण को सड़क के रास्ते पुलिस अधिकारी महाराष्ट्र लेकर रवाना हुए हैं। शहर से निकलने में महाराष्ट्र पुलिस के अधिकारियों को परेशानी ना हो, इसलिए रायपुर पुलिस की दो टीमों ने शहर की बॉर्डर तक महाराष्ट्र पुलिस को फॉलो करने के लिए उनके साथ में भेजा गया था। अब 13 जनवरी के पहले महाराष्ट्र पुलिस कालीचरण को फिर रायपुर लेकर आएगी।

खजुराहो से रायपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया था।

महाराष्ट्र में भी दर्ज है कालीचरण के खिलाफ FIR
महाराष्ट्र के खड़क थाने में भी कालीचरण पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में एफआईआर दर्ज हुई है। इसके बाद से ही महाराष्ट्र पुलिस उसे तलाश कर रही थी, लेकिन इससे पहले ही रायपुर पुलिस ने कालीचरण को मध्य प्रदेश के खजुराहो से गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद उसे कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लिया और फिर जेल भेज दिया गया था। बताया जा रहा है कि कालीचरण के वकील जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने की तैयारी कर रहे हैं।

धर्म संसद में किया था महात्मा गांधी का अपमान
अकोला महाराष्ट्र के रहने वाले कालीचरण ने 26 दिसंबर को रायपुर की धर्म संसद में कहा था- 1947 में मोहनदास करमचंद गांधी ने उस वक्त देश का सत्यानाश किया। नमस्कार है नाथूराम गोडसे को, जिन्होंने उन्हें मार दिया। कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक और राज्य गोसेवा आयोग के अध्यक्ष महंत रामसुंदर दास ने इस बयान का विरोध करते हुए मंच छोड़ दिया था।

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