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रैपिडो, ओला और उबर पर  कर्नाटक हाईकोर्ट ने लगाई रोक,कंपनियां असमंजस में

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अगर आप कर्नाटक में बाइक टैक्सी सर्विस का इस्तेमाल करते हैं तो यह खबर आपके लिए अहम है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने ओला, उबर और रैपिडो जैसी ऐप-आधारित कंपनियों की बाइक टैक्सी सेवाओं पर रोक लगा दी है। हालांकि, इन कंपनियों को पूरी तरह से संचालन बंद करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया गया है। यह फैसला तब तक लागू रहेगा जब तक राज्य सरकार मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत उचित नियम लागू नहीं कर देती।

हाईकोर्ट में क्यों पहुंचा मामला?

यह मामला तब शुरू हुआ जब कर्नाटक सरकार ने 14 जुलाई 2021 को बाइक टैक्सी सेवाओं पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया था। इस फैसले के खिलाफ ओला, उबर और रैपिडो ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कंपनियों ने मांग की थी कि सरकार उन्हें एग्रीगेटर लाइसेंस जारी करे और बाइक टैक्सियों को आधिकारिक रूप से ट्रांसपोर्ट सेवा के रूप में पंजीकृत किया जाए।

कोर्ट ने दिया छह हफ्ते का समय

न्यायमूर्ति बीएम श्याम प्रसाद की अध्यक्षता में हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जब तक राज्य सरकार इस संबंध में स्पष्ट और प्रभावी नियम लागू नहीं करती, तब तक इन सेवाओं को रोकना होगा। हालांकि, कंपनियों को छह हफ्ते की मोहलत दी गई है ताकि वे अपना संचालन धीरे-धीरे बंद कर सकें। कोर्ट ने सरकार को इस आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए हैं।

कंपनियों की प्रतिक्रिया, अपील करने की तैयारी

हाईकोर्ट के इस फैसले पर कंपनियों की ओर से प्रतिक्रिया भी आई है। ओला, उबर और रैपिडो के अधिकारियों का कहना है कि वे इस फैसले के खिलाफ अपील करने पर विचार कर रहे हैं। उनका तर्क है कि बाइक टैक्सी सेवाएं लोगों को किफायती और सुविधाजनक यात्रा का विकल्प देती हैं, जिससे लाखों लोग लाभान्वित होते हैं।

परिवहन मंत्री ने किया फैसले का स्वागत

कर्नाटक के परिवहन मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को अब तीन महीने का समय मिला है ताकि वह इस क्षेत्र के लिए स्पष्ट नियम बना सके। मंत्री ने यह भी कहा कि ऐप-आधारित सेवाओं के लिए उचित नियमन की कमी के कारण सुरक्षा संबंधी चिंताएं बनी हुई थीं।

यात्रियों पर क्या असर पड़ेगा?

इस फैसले के बाद सबसे बड़ा असर उन यात्रियों पर पड़ेगा जो रोजाना बाइक टैक्सियों का इस्तेमाल करते थे। कर्नाटक के बड़े शहरों, खासकर बेंगलुरु में लाखों लोग ट्रैफिक से बचने और सस्ती यात्रा के लिए इन सेवाओं पर निर्भर थे। अब उन्हें या तो ऑटो-रिक्शा का सहारा लेना होगा या फिर अन्य महंगे परिवहन विकल्प अपनाने होंगे।

ड्राइवर और डिलीवरी एजेंट्स पर भी असर

इस फैसले का दूसरा सबसे बड़ा असर उन हजारों ड्राइवरों और डिलीवरी एजेंट्स पर पड़ेगा जो रैपिडो, ओला और उबर जैसी सेवाओं के जरिए अपनी रोजी-रोटी चला रहे थे। बाइक टैक्सी सेवाएं बंद होने से उन्हें दूसरी नौकरियों की तलाश करनी होगी। कंपनियां भी इस फैसले को लेकर असमंजस में हैं कि वे अपने मौजूदा ड्राइवरों को किस तरह सहायता प्रदान करें।

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