इंदौर
काशी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 700 करोड़ की लागत से बने श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन किया गया। इसी कॉरिडोर में मां देवी अहिल्या बाई की भी प्रतिमा लगाई गई है। उद्घाटन मौके पर पीएम से लेकर सीएम योगीनाथ ने मां अहिल्या का स्मरण करते हुए कहा कि उनके द्वारा ही इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया। आज मंदिर जिस स्वरूप में है, इसका श्रेय मां अहिल्या को जाता है। बार-बार के आक्रमणों से टूटने के बाद 241 साल पहले (साल 1775 से 1780 के बीच) शिव भक्त मां अहिल्या ने इस मंदिर का फिर से निर्माण कराया।
लोक माता देवी अहिल्याबाई होलकर महाशक्तिपीठ के अध्यक्ष विजय पाल ने इस संबंध में प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है जिस तरह सोमनाथ में मां अहिल्या का पूरा मंदिर बना है, उसी तरह काशी में केवल कॉरिडोर पर प्रतिमा स्थापित करने की जगह उनका पूरा मंदिर बनाया जाए। पूरा क्षेत्र मां अहिल्या द्वारा ही फिर से निर्मित कराया गया था और यहां पर अधिकांश संपत्तियां खासगी ट्रस्ट की संपत्ति के रूप में दर्ज हैं।
संपत्तियों में चबूतरे, महल भी शामिल
मां अहिल्या का काशी से विशेष रिश्ता रहा है। उन्होंने यहां भव्य काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण कराया। इसके साथ ही यहां कई घाट, चबूतरे, महल भी बनवाए, जिसे होलकरवाड़ा कहते हैं। यहां पर मां गंगा की प्राचीन दुर्लभ मूर्तियां भी रखी हुई हैं। ये सभी संपत्तियां खासगी ट्रस्ट के तहत आती हैं।
संपत्ति सूची-गंगा नदी के पास ही स्थित है यह सभी
आठ मकान (नंबर 2, 6, 10, 14, 15, 16, 17, 20), गुल्लरवाड़ा, सीतलामाता मंदिर के चबूतरे, अहिल्येश्वर मंदिर, चाल व पास के मंदिर, 75 व 77, तारकेश्वर मंदिर व मणिकर्णेश्वर मंदिर, महादेव के चार मंदिर, दशाश्वमेघ उर्फ अहिल्या घाट, मणिकर्णिका घाट, जनाना घाट, नगवा बगीचा, रामेश्वर पंचकोशी धर्मशाला और कपिलधारा धर्मशाला।
1962 के हिसाब से संपत्तियों का मूल्य 4 लाख, आज अरबों में
साल 1962 में इन संपत्तियों का मूल्यांकन भी किया गया था। इसके हिसाब से बनारस में स्थापित 21 संपत्तियों का मूल्य करीब चार लाख रुपए आंका गया था। इसमें सबसे महंगे मणिकर्णिका व अहिल्या घाट एक-एक लाख रुपए के, जनाना घाट व मकान नंबर 14 की कीमत 50-50 हजार रुपए है। 1962 में चार लाख की कीमत आज के 13 करोड़ के बराबर होती है। हालांकि सभी संपत्ति का मूल्य अरबों रुपए में है।