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कर्नाटक के हिजाब प्रकरण में खादिम सरवर चिश्ती के बयानों पर खादिमों की संस्था अंजुमन को एतराज

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स पी मित्तल, अजमेर

कर्नाटक के हिजाब प्रकरण को लेकर अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह के खादिम और अन्य मुस्लिम संगठनों से जुड़े सरवर चिश्ती ने जो बयान दिए हैं, उन दरगाह के खादिमों की रजिस्टर्ड संस्था अंजुमन सैयद जादगान ने एतराज जताया है। अंजुमन के अध्यक्ष सैय्यद मोईन हुसैन और सचिव सैयद वाहिद हुसैन अंगारा शाह ने कहा है कि ख्वाजा साहब की दरगाह में हिन्दू मुस्लिम भाईचारे का प्रतीक है। यहां बड़ी संख्या में हिन्दू भी जियारत के लिए आते हैं। खादिम समुदाय पूरी अकीदत के साथ हिन्दुओं को भी सूफी परंपरा के अनुरूप जियारत कराते हैं। ऐसे किसी खादिम को आग में घी डालने वाले बयान नहीं देने चाहिए। सरवर चिश्ती पूर्व में अंजुमन के सचिव भी रह चुके हैं, इसलिए उनके तीखे बयानों की वजह से खादिमों की छवि पर प्रतिकूल असर पड़ता है। सरवर चिश्ती को कर्नाटक हिजाब जैसे मुद्दे पर बयान देने का इतना ही शौक है तो वे उन मुस्लिम संगठनों के नाम से दें, जिससे वे जुड़े हैं। ख्वाजा साहब ने तो हमेशा प्यार मोहब्बत का ही संदेश दिया। खादिम समुदाय उसी परंपरा को कायम रखना चाहता है। अंजुमन के पदाधिकारियों ने कहा कि ऐसे बयानों की वजह से ख्वाजा साहब के उर्स से पहले जिला प्रशासन सरवर चिश्ती को पाबंद करता है। अंजुमन ने उम्मीद जताई है कि सरवर चिश्ती भविष्य में ऐसा कोई काम नहीं करेंगे, जिसकी वजह से कौम बदनाम हो। वहीं सरवर चिश्ती का कहना है कि उन्हें बोले की स्वतंत्रता है, उनके इस अधिकार को कोई नहीं छीन सकता है। वे जो भी बोलते हैं वह संविधान के दायरे में होता है। अंजुमन के मौजूदा पदाधिकारियों ने अंजुमन के चुनाव के मद्देनजर मेरे विरुद्ध बयान दिया है।

300 मुस्लिम छात्राएं:
कर्नाटक के हिजाब प्रकरण को लेकर भले ही अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह के खादिमों के बीच मतभेद हों, लेकिन यह सही है कि दरगाह से मुश्किल से एक किलोमीटर दूर राजकीय सेंट्रल गल्र्स स्कूल में करीब तीन सौ मुस्लिम छात्राएं प्रतिदिन बिना हिजाब के ही कक्षाओं में बैठ कर पढ़ाई करती हैं। इनमें 12वीं कक्षा तक मुस्लिम छात्राएं शामिल हें। अनेक छात्राएं अपने घरों से स्कूल पर भी आती है। अधिकांश छात्राएं घर से स्कूल तक बिना हिजाब के ही आती है। यदि कोई मुस्लिम छात्रा घर से हिजाब में आती है तो कक्षा में प्रवेश से पहले ही हिजाब उतार देती हैं। आज तक किसी भी मुस्लिम छात्रा ने हिजाब पहन कर कक्षा में बैठने की जिद नहीं की। स्कूल की जो यूनिफार्म है, उसी को पहन सभी छात्राएं आती हैं। कक्षा में बैठने के बाद सभी छात्राएं एक समान नजर आती हैं। स्कूल की प्रिंसिपल गीता जिरोटिया ने बताया कि स्कूल में करीब डेढ़ हजार छात्राएं अध्ययन करती हैं, इनमें से करीब 300 छात्राएं मुस्लिम हैं, लेकिन पहनावे को लेकर स्कूल में कभी कोई विवाद नहीं हुआ। सरकार ने जो यूनिफार्म निर्धारित कर रखी है, सभी छात्राएं उसी ड्रेस कोड का पालन करती हैं। मुस्लिम छात्राएं भी पढ़ाई को लेकर बहुत जागरूक है। प्राप्त जानकारी के अनुसार सेंट्रल गर्ल्स स्कूल में पढ़ने वाली अधिकांश मुस्लिम छात्राएं दरगाह के खादिमों के परिवारों की है। दरगाह के आसपास ही खादिमों के घर और गेस्ट हाउस बने हुए हैं शिक्षा के प्रति जागरूकता की वजह से खादिम परिवारों की बच्चियां भी अच्छी पढ़ाई करने लगी है। खादिम परिवारों की लड़कियों के निकाह खादिम परिवारों के लड़कों से ही करने की परंपरा है। इसलिए खादिम परिवारों के लड़के लड़कियां अजमेर में ही रहते हैं। खास बात यह है कि खादिम परिवारों के लड़के लड़कियों के शिक्षण का खर्च अंजुमन वहन करती है। खादिम परिवार के सदस्य कहीं भी पढ़े, लेकिन उसकी फीस अंजुमन द्वारा ही जमा करवाई जाती है। अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह से जुड़े खादिम परिवारों की संख्या करीब तीन हजार लोगी। परिवार में लड़के के जन्म के साथ ही उसे दरगाह में खादिम का अधिकार मिल जाता है।

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