नई दिल्ली । प्रवर्तन निदेशालय ने ‘नौकरी के बदले कथित रूप से जमीन लेने’ से जुड़े धनशोधन के मामले में शुक्रवार को बिहार और दिल्ली-एनसीआर समेत कई जगहों पर एक साथ छापेमारी की। इस दौरान बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की बेटियों और अन्य रिश्तेदारों के अलावा राजद नेता के 24 परिसरों की तलाशी ली गई। संकट के इस समय में कांग्रेस पार्टी अपने सहयोगी दल के साथ खड़ी दिख रही है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। नरेंद्र मोदी सरकार विपक्षी नेताओं के खिलाफ जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। वहीं, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जब इस विषय पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने चुप्पी साध ली। हालांकि, जेडीयू ने इसका विरोध किया है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार विपक्षी नेताओं के खिलाफ जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करके ‘लोकतंत्र की हत्या का कुत्सित प्रयास’ कर रही है। खड़गे ने ट्वीट कर कहा, ”मोदी सरकार, विपक्षी नेताओं पर ईडी-सीबीआई का दुरुपयोग कर लोकतंत्र की हत्या का कुत्सित प्रयास कर रही है। जब देश के भगोड़े करोड़ों रुपये लेकर भागे तब मोदी सरकार की एजेंसियां कहां थी? जब ‘परम मित्र’ की संपत्ति आसमान छूती है तो जांच क्यों नहीं होती? इस तानाशाही का जनता मुंहतोड़ जवाब देगी।” खड़गे ने आगे कहा, ”मोदी जी ने पिछले 14 घंटों से बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के घर ईडी को लगा रखा है। उनकी गर्भवती पत्नी और बहनों को परेशान किया जा रहा है। लालू प्रसाद जी वृद्ध और बीमार हैं, फिर भी मोदी सरकार ने उनके प्रति इंसानियत नहीं दिखाई।”
नीतीश कुमार की चुप्पी के क्या हैं मायने?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कल पटना स्थित मोईनुलहक स्टेडियम के पार्क में शहीद जुब्बा सहनी की प्रतिमा का अनावरण करने पहुंचे थे। देखा गया है कि नीतीश कुमार ऐसे कार्यक्रमों के बाद मीडिया से बात करते हैं और ताजा मुद्दों पर अपना पक्ष रखते हैं। कल जब वह पहुंचे तो मीडिया ने उनसे लालू यादव और तेजस्वी यादव के ठिकानो पर पड़ी ईडी की छापेमारी पर उनका पक्ष जानने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने उन तमाम सवालों को अनसुना कर दिया और चुप्पी साध ली। इसके बाद से पटना के सियासी गलियारों में कयास लगने लगे हैं।
जेडीयू ने जांच एजेंसियों की कार्यशैली पर उठाए सवाल
हालांकि, नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने ईडी की कार्रावई पर सवाल उठाया है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि जांच एजेंसियां पक्षपाती होकर किसी खास उद्देश्य से काम करेंगी तो उनकी निष्पक्षता समाप्त हो जाएगी। उन्होंने सवाल किया कि एक भी कार्रवाई किसी भाजपा शासित राज्य के किसी अधिकारी या मंत्री के खिलाफ क्यों नहीं हुई? उन्होंने कहा कि आधे दर्जन नाम ऐसे हैं जो पहले विपक्ष में थे उनके खिलाफ भी ईडी, सीबीआई की जांच चल रही थी। उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया जिसके बाद उनके खिलाफ कार्रवाई बंद हो गई। क्या किसी भी भाजपा शासित राज्य में कोई अनियमितता नहीं हुई है। 8 करोड़ रुपए की नगदी एक बीजेपी विधायक के घर से पकड़ी गई लेकिन वह क्यों जेल में नहीं है। इसलिए हम जांच एजेंसी के कार्य करने के खिलाफ नहीं उसकी पद्धति के खिलाफ हैं।
क्या है मामला?
यह मामला लालू प्रसाद के वर्ष 2004 से 2009 के बीच उनके रेल मंत्री के कार्यकाल से जुड़ा हुआ है। आरोप है कि जमीन लेकर दो दर्जन से अधिक लोगों को रेलवे में ग्रुप-सी एवं डी में नौकरियां दी गईं थी। इस मामले में ईडी ने सीबीआई की एफआईआर को आधार बनाते हुए धनशोधन का मामला दर्ज किया है।
लालू और उनकी पत्नी से हो चुकी है पूछताछ
इस मामले में सीबीआई ने पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद और उनकी पत्नी राबड़ी देवी से हाल में लंबी पूछताछ की थी। लालू से उनकी बेटी मीसा भारती के दिल्ली स्थित आवास पर पूछताछ की गई थी। जबकि, राबड़ी देवी से पटना स्थित उनके घर पर सीबीआई ने सवाल-जवाब किए थे।
तीन आरोपी हो चुके हैं गिरफ्तार
सीबीआई ने इस मामले में अब तक तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें लालू प्रसाद के रेल मंत्री रहने के दौरान उनके विशेष कार्य अधिकारी भोला यादव भी शामिल हैं। इसके अलावा रेलवे के कर्मचारी हृदयानंद चौधरी और एक अन्य व्यक्ति धर्मेंद्र राय को गिरफ्तार किया है। भोला यादव वर्तमान में जमानत पर बाहर हैं।