24 जुलाई को देशव्यापी विरोध दिवस मनाने का आह्वान*
*प्रत्येक पीड़ित परिवार को 1 करोड़ रुपये का मुआवजा और एक नौकरी देने की मांग की सरकार से, कहा : बढ़ते घृणा अपराधों के लिए प्रधानमंत्री और गृह मंत्री जिम्मेदार, फास्ट ट्रैक कोर्ट के साथ मॉब लिंचिंग और घृणा अपराधों के खिलाफ कानून बनाएं और किसानों से बाजार मूल्य पर मवेशी खरीदें सरकार*
नई दिल्ली। कल 5 जुलाई 2024 को अखिल भारतीय किसान सभा और अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन के प्रतिनिधिमंडल ने विगत 7 जून को छत्तीसगढ़ में महासमुंद-रायपुर सीमा पर महानदी पुल के पास गौरक्षकों के रूप में भाजपा-आरएसएस से संबद्ध अपराधियों द्वारा मवेशी परिवहन कर रहे मुस्लिम युवकों की योजनाबद्ध हत्या के तीन पीड़ित के परिवारों से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के लखनौती गांव और शामली जिले के बनत कस्बे का दौरा किया और तीनों पीड़ित परिवारों को एक-एक लाख रुपये के चेक सौंपे।
ये सुनियोजित हत्याएं 4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा के तीन दिन बाद ही हुईं हैं। इन चुनावों में नरेंद्र मोदी और भाजपा की स्पष्ट हार हुई है और एनडीए के साथ मिलकर ही बहुत कम बहुमत के साथ तीसरी बार सत्ता में आ पाई है। इसके बाद से कई राज्यों में संघ परिवार के अपराधियों द्वारा मुस्लिमों पर इसी तरह के हमले किए गए हैं।
किसान सभा और खेत मजदूर यूनियन के प्रतिनिधिमंडल ने उत्तर प्रदेश के बनत कस्बे में तहसीम कुरैशी और लखनौती गांव में चांद मियां और सद्दाम कुरैशी के शोक संतप्त परिवारों से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल में वी शिवदासन (संसद सदस्य, राज्यसभा और खेत मजदूर यूनियन के कोषाध्यक्ष), अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष डॉ अशोक धवले, महासचिव विजू कृष्णन, वित्त सचिव पी कृष्णप्रसाद, खेत मजदूर यूनियन के महासचिव बी वेंकट, संयुक्त सचिव विक्रम सिंह और किसान सभा सीकेसी सदस्य पुष्पेंद्र त्यागी और मनोज कुमार शामिल थे। उनके साथ उत्तर प्रदेश के किसान सभा नेता दाउद खान, सुशील कुमार राणा, धर्मेंद्र सिंह और वीरेंद्र सिंह भी थे।
प्रतिनिधिमंडल को पता चला है कि अभी तक कोई भी सरकारी अधिकारी तहसीम कुरैशी के परिवार से मिलने नहीं आया है, जबकि एसडीएम ने लखनौती गांव में दो परिवारों से मुलाकात की थी। छत्तीसगढ़ या उत्तर प्रदेश की राज्य सरकारों द्वारा इन तीनों परिवारों को कोई मुआवजा या उपचार व्यय प्रदान नहीं किया गया है, जबकि दोनों ही राज्यों में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकारें हैं। किसान सभा ने छत्तीसगढ़ राज्य सरकार से प्रत्येक पीड़ित परिवार को एक करोड़ रुपये का मुआवजा और एक स्थायी नौकरी देने की मांग की है।
उल्लेखनीय है कि हरियाणा की भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने मेवात के एक पशुपालक पहलू खान के परिवार को भी आज तक कोई मुआवजा नहीं दिया है, जिनकी 1 अप्रैल 2017 को राजस्थान के अलवर में बजरंग दल के गुंडों ने हत्या कर दी थी। उस समय भी पूरे देश में किसानों ने पैसे इकट्ठा किए थे और किसान सभा ने पहलू खान के परिवार की सहायता के लिए 10 लाख रुपये की राशि दी थी।
छत्तीसगढ़ की घटना 7 जून को सुबह 2-3 बजे के बीच उस समय हुई, जब 11-12 लोगों के एक गिरोह ने मवेशियों से भरे ट्रक का पीछा किया – जिसमें सभी भैंसे थीं, एक भी गाय नहीं थी – और महानदी पुल पर ट्रक को रोककर मजदूरों पर हमला कर दिया। इसलिए यह भीड़ द्वारा हत्या नहीं, बल्कि पूर्व सुनियोजित हत्या और घृणा अपराध का मामला है। राज्य पुलिस ने हत्या के प्रयास और गैर इरादतन हत्या के लिए आईपीसी की धारा 304 और 307 के तहत एफआईआर दर्ज की, जिसमें दो साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। हत्या के लिए आईपीसी की कोई धारा 302 दर्ज नहीं किया गया है। इससे छत्तीसगढ़ राज्य पुलिस के कट्टर सांप्रदायिक पूर्वाग्रह का पता चलता है। इस मामले में देर से गिरफ्तार किए गए कुछ लोगों में राजा अग्रवाल भी शामिल हैं, जो भाजयुमो का जिला प्रचार प्रमुख हैं। रायपुर के भाजपा सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि मजदूरों की हत्या नहीं हुई है, बल्कि उन्होंने पुल से कूदकर आत्महत्या की है। यह हत्यारों को बचाने की कोशिश के अलावा और कुछ नहीं है और इसलिए यह एक गंभीर अपराध है। भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने इस मामले में कुछ नहीं किया है। किसान सभा ने फिर से न्यायिक जांच, हत्यारों को बचाने की साजिश में शामिल शीर्ष पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और भाजपा सांसद के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह चुनाव के बाद पूरे भारत में मुस्लिमों के खिलाफ नफरत भरे अपराधों की व्यापक वृद्धि के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। आरएसएस और उसके संगठन लगातार अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत भड़काते हैं। इससे अल्पसंख्यकों में अलगाव और असुरक्षा को बढ़ावा मिलता है, जो कट्टरपंथी प्रवृत्तियों को जन्म देता है, भारत की धर्मनिरपेक्ष नींव को कमजोर करता है और राष्ट्रीय एकता को खतरे में डालता है। अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता को मजबूत करने के संघर्ष का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
मवेशी अर्थव्यवस्था कृषि का हिस्सा है, जो किसान परिवारों की आय में 27% का योगदान देती है। भारत गोमांस निर्यात में दूसरा सबसे बड़ा देश है। मवेशी उद्योग में व्यापारियों और श्रमिकों पर हमले से मवेशी पालकों पर बुरा असर पड़ता है, जो अपने जानवरों को बेचने या लाभकारी मूल्य पाने में असमर्थ हैं, क्योंकि मवेशी व्यापार के लिए कोई बाजार नहीं है। अखिल भारतीय किसान सभा ने केंद्र की एनडीए सरकार और संसद से मॉब लिंचिंग और हिंसा के खिलाफ एक कड़ा कानून बनाने की मांग की है।
किसान सभा ने केंद्र में एनडीए की सरकार और संसद से मॉब लिंचिंग और घृणा अपराधों के खिलाफ एक सख्त कानून बनाने, कानून तोड़ने वालों के खिलाफ मुकदमा चलाने और सजा दिलाने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने और मवेशी व्यापार और मांस उद्योग में पशुपालकों, व्यापारियों और श्रमिकों के हितों की रक्षा करने की जोरदार मांग की है। सरकार को किसानों से बाजार मूल्य पर मवेशी खरीदना चाहिए और उनकी आजीविका की रक्षा करनी चाहिए।
किसान सभा ने अपनी सभी गांव और तहसील इकाइयों से 24 जुलाई 2024 को पशुपालकों और मवेशी परिवहन मजदूरों के खिलाफ आरएसएस द्वारा संचालित घृणा अपराधों के खिलाफ विरोध दिवस के रूप में मनाने और और छत्तीसगढ़ में मारे गए 3 मजदूरों के शोक संतप्त परिवारों की मदद करने के लिए धन इकट्ठा करने का आह्वान किया है। इसके साथ ही किसान सभा ने मॉब लिंचिंग और घृणा अपराधों के खिलाफ कानून बनाने की मांग की है।
*अशोक ढवले*, अध्यक्ष
*विजू कृष्णन*, महासचिव
*अखिल भारतीय किसान सभा*