अग्नि आलोक

*मामा बालेश्वर दयाल की पुण्यतिथि पर  लाखों अनुयाई बामनिया पहुंचे*

Share

*समाधि स्थल पर “भीलांचल के गांधी : मामा बालेश्वर दयाल” स्मारिका का  लोकार्पण*

*मामा बालेश्वर दयाल को भारत रत्न देने की मांग*

*समाधि स्थल की उपेक्षा कर रही है सरकार* 

*देश को मामाजी के सामाजिक आर्थिक मॉडल की  जरूरत है* *डॉ सुनीलम*

इंदौर। वरिष्ठ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, पूर्व राज्यसभा सदस्य समाजवादी चिंतक मामा बालेश्वर दयाल की 25वीं पुण्यतिथि भील आश्रम, बामनिया में मनाई गई। इस अवसर पर मामा बालेश्वर दयाल जी के लाखों अनुयायियों ने 25 दिसंबर की सुबह से 26 दिसंबर की शाम तक समाधि स्थल  पहुंचकर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। 25 दिसंबर को रात भर सभा चली। भजन, कीर्तन होता रहा।

 समाधि स्थल पर इंदौर के वरिष्ठ पत्रकार रामस्वरूप मंत्री द्वारा संपादित स्मारिका *”भीलांचल के गांधी : मामा बालेश्वर दयाल”*  का लोकार्पण पूर्व विधायक डॉ सुनीलम, वरिष्ठ पत्रकार क्रांति कुमार वैद्य, पर्यावरणविद् डॉ खुशाल सिंह पुरोहित, गोविंद यादव, जयस संरक्षक डॉ अभय ओहरी, समाजवादी नेता राजू अग्रवाल, मास्टर रामलाल निनामा, पत्रकार सत्यनारायण शर्मा, दिनेश सिंह कुशवाह, लीलाधर चौधरी, डॉ सोमेश्वर सिंह एवं इंद्रसेन निमोनकर द्वारा किया गया।

इस अवसर पर इंदौर के समाजवादी कार्यकर्ता शिवरतन चौहान,हेमंत पन्हालकर, इकबाल चौहान, पत्रकार जीवन मंडलेचा, सोशलिस्ट पार्टी के कमलेश परमार, मोहम्मद अली सिद्दीकी, कैलाश यादव एवं टंट्या मामा भील सैना के प्रदेश अध्यक्ष चंदन सिंह मकवाना सहित बड़ी संख्या में राजनीतिक सामाजिक कार्यकर्ता भी उपस्थित थे।

 लोकार्पण कार्यक्रम एवं पुण्यतिथि कार्यक्रम का बहुजन संवाद यूट्यूब चैनल पर लाइव प्रसारण किया गया।

इस अवसर पर समाजवादी विचारक, पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने कहा कि  मामा जी की पुण्यतिथि पर बड़ी संख्या में अनुयाई बामनिया पहुंचते हैं लेकिन प्रशासन द्वारा अनुयायियों के लिए किसी प्रकार की कोई व्यवस्था नही की जाती है बल्कि विघ्न पैदा किए जाते है।

सरकार मामाजी को भारत रत्न देने की बजाए उन्हें तिरस्कृत कर रही है।   डॉ सुनीलम ने कहा कि गुजरात मॉडल की नहीं  मामाजी के सामाजिक आर्थिक मॉडल की देश को जरूरत है।     

    जयस संरक्षक डॉ अभय ओहरी ने कहा कि समाधि स्थल का  विकास एक शिक्षण केंद्र के तौर पर किया जाना चाहिए तथा मामाजी  का संग्रहालय स्थापित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा जयस मामाजी के सपनों को साकार करेगा।

   डॉ खुशाल सिंह पुरोहित ने कहा कि समाज परिवर्तन हेतु मामा जी ने अपना पूरा जीवन लगाया था।इंदौर में  देवी अहिल्या विश्वविद्यालय को  मामा बालेश्वर दयाल शोध पीठ की स्थापना करनी चाहिए जिससे नई पीढ़ी मामा जी के विचारों से जुड़ सके।

    वरिष्ठ पत्रकार रामस्वरूप मंत्री ने कहा कि मामा बालेश्वर दयाल के विचारों के प्रचार प्रसार को लेकर हमने क्रांति कुमार वैद्य एवं डॉ सुनीलम के साथ मिलकर अब तक 20 पुस्तिकाएं एवं स्मारिकाएं प्रकाशित की है, प्रकाशन का कार्य आगे भी जारी रहेगा।

    वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजवादी चिंतक कांति कुमार वैद्य ने कहा कि मामा बालेश्वर दयाल का मूल्यांकन होना अभी बाकी है। ज्यों ज्यों समय बीतता जा रहा है त्यों त्यों मामा जी के विचारों की प्रासंगिकता लगातार बढ़ती जा रही है। युवा पीढ़ी भी मामाजी के प्रति आकर्षित हो रही है।

     सुशीला बहन ने कहा कि मेरे लिए यह गर्व की बात है कि मामाजी के जीवनकाल में  उनकी सेवा करने का मौका मिला तथा अब मेरा जीवन मामा जी के विचारों के प्रचार प्रसार के लिए समर्पित है।

    मास्टर रामलाल निनामा ने बताया कि हर वर्ष की तरह  इस वर्ष भी राजस्थान के हजारों अनुयायियों ने 21 दिसंबर को पदयात्रा शुरू की थी। उन्होंने बताया कि मेरी आठ पीढ़ियां मामा जी के विचारों से प्रभावित रही है। हम मामाजी को देवताओं का देवता मानते हैं।

    उन्होंने कहा की नई पीढ़ी को जोड़ने के लिए साहित्य प्रकाशन और उसका वितरण जरूरी है।

    समाजवादी नेता गोविंद यादव ने कहा कि वर्तमान समय में पूंजीवाद का मुकाबला मामा जी द्वारा प्रतिपादित प्रकृतिवाद एवं समाजवाद से चल रहा है।उन्होंने कहा मामा जी के विचारों पर चलकर ही मानवता के अस्तित्व को बचाया जा सकता है।

   डॉ खुशाल सिंह पुरोहित ने कहा कि समाज परिवर्तन हेतु मामा जी ने अपना पूरा जीवन लगाया था।इंदौर में  देवी अहिल्या विश्वविद्यालय को  मामा बालेश्वर दयाल शोध पीठ की स्थापना करनी चाहिए जिससे नई पीढ़ी मामा जी के विचारों से जुड़ सके।

    वरिष्ठ पत्रकार रामस्वरूप मंत्री ने कहा कि मामा बालेश्वर दयाल के विचारों के प्रचार प्रसार को लेकर हमने क्रांति कुमार वैद्य एवं डॉ सुनीलम के साथ मिलकर अब तक 20 पुस्तिकाएं एवं स्मारिकाएं प्रकाशित की है, प्रकाशन का कार्य आगे भी जारी रहेगा।

    वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजवादी चिंतक कांति कुमार वैद्य ने कहा कि मामा बालेश्वर दयाल का मूल्यांकन होना अभी बाकी है। ज्यों ज्यों समय बीतता जा रहा है त्यों त्यों मामा जी के विचारों की प्रासंगिकता लगातार बढ़ती जा रही है। युवा पीढ़ी भी मामाजी के प्रति आकर्षित हो रही है।

     सुशीला बहन ने कहा कि मेरे लिए यह गर्व की बात है कि मामाजी के जीवनकाल में  उनकी सेवा करने का मौका मिला तथा अब मेरा जीवन मामा जी के विचारों के प्रचार प्रसार के लिए समर्पित है।

    मास्टर रामलाल निनामा ने बताया कि हर वर्ष की तरह  इस वर्ष भी राजस्थान के हजारों अनुयायियों ने 21 दिसंबर को पदयात्रा शुरू की थी। उन्होंने बताया कि मेरी आठ पीढ़ियां मामा जी के विचारों से प्रभावित रही है। हम मामाजी को देवताओं का देवता मानते हैं।

    उन्होंने कहा की नई पीढ़ी को जोड़ने के लिए साहित्य प्रकाशन और उसका वितरण जरूरी है।

    समाजवादी नेता गोविंद यादव ने कहा कि वर्तमान समय में पूंजीवाद का मुकाबला मामा जी द्वारा प्रतिपादित प्रकृतिवाद एवं समाजवाद से चल रहा है।उन्होंने कहा मामा जी के विचारों पर चलकर ही मानवता के अस्तित्व को बचाया जा सकता है।

Exit mobile version