चंडीगढ़: दो दिन पहले कांग्रेस छोड़ने और सभी पदों से इस्तीफा देने के बाद अब पूर्व मंत्री कै. अजय सिंह यादव फिर से पार्टी में लौट आए हैं। उन्होंने खुद ये बात कही है। उन्होंने कहा कि मैं अपनी नेता और मार्गदर्शक सोनिया गांधी जी का विशेष रूप से ऋणी हूं और उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाने के बारे में कभी नहीं सोच सकता। मैंने पिछले 38 वर्षों से कांग्रेस पार्टी की सेवा की है और कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और पार्टी को अपना सर्वश्रेष्ठ दिया।
उन्होंने आगे कहा कि मैंने अपने नेता स्वर्गीय राजीव गांधी जी और सोनिया गांधी के साथ काम किया और उनके द्वारा मेरे प्रति किए गए स्नेह को मैं नहीं भूल सकता। क्योंकि हमारे परिवार का 1952 से 70 वर्षों से अधिक का लंबा जुड़ाव है। मेरे दिवंगत पिता राव अभय सिंह नेहरू-गांधी परिवार के साथ रहे। मैं जन्म से कांग्रेसी हूं और अपनी अंतिम सांस तक कांग्रेसी ही रहूंगा।
मैं इस बात से परेशान था कि ओबीसी विभाग के लिए की गई मेरी कड़ी मेहनत को हाईकमान द्वारा सराहा नहीं जा रहा था और कुछ कठोर शब्दों ने मुझे यह कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर किया, लेकिन ठंडे दिमाग से मैंने कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने का फैसला किया, खासकर मेरी मार्गदर्शक और नेता सोनिया गांधी जी को। मेरे बेटे चिरंजीव ने मुझे अतीत को भूलने के लिए प्रेरित किया।
राहुल गांधी को लेकर दिया था बड़ा बयान
इस पहले उन्होंने राहुल गांधी पर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने एक्स अकाउंट पर दो पोस्ट शेयर की थी, जिसमें उन्होंने राहुल गांधी को चापलूसों से घिरा हुआ बताया। उन्होंने यह भी लिखा है कि कांग्रेस में केंद्रीय नेतृत्व से बात करना तक मुश्किल है। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का सहयोगी बताते हुए कै. अजय ने कहा है कि कोई अपने पिता के सहयोगी का अपमान नहीं करता। सबसे पुरानी पार्टी के लिए सपनों की दुनिया में जीना दुर्भाग्यपूर्ण है।
‘चमचों से घिरे रहते हैं राहुल’कै. अजय ने लिखा था कि वह स्वाभिमान में विश्वास रखते हैं। पद पर रहना महत्वपूर्ण नहीं, बल्कि बिना किसी बाधा के पार्टी के लिए काम करना महत्वपूर्ण है। वह 1988 में कांग्रेस में शामिल हुए थे, तब पार्टी के बड़े नेताओं से संवाद होता था। यह क्रम राजीव गांधी और यहां तक कि सोनिया गांधी तक जारी रहा। लेकिन वर्तमान में राहुल गांधी को उनके इर्द-गिर्द की एक कोटरी (चापलूसों) ने घेर लिया है, जिसके चलते बड़े नेताओं सहित पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनसे दूरी बना ली है। उन्होंने कहा है कि बड़े नेता का बेटा होना उनका मौलिक अधिकार नहीं है, वे अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं कर सकते।