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ताजा समाचार – 5वीं बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री चुनीं गईं शेख हसीना;बुंदेलखंड में तालाबों को नया जीवन देने की हो रही कोशिश,पीएम मोदी भाजपा के लिए चलेंगे बड़ा दांव

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पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने प्राधिकारियों को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों पर हमले के मामले में मुख्य आरोपी व तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता शाहजहां शेख को तुरंत गिरफ्तार करने तथा आतंकवादियों के साथ उनके कथित संबंधों की जांच करने का निर्देश दिया है।शेख हसीना ने दर्ज की आम चुनावों में जीत; दो तिहाई बहुमत के साथ अवामी लीग सत्ता में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी (आरपीसीसी) ने पूर्व विधायक मेवाराम जैन को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। पार्टी के एक पदाधिकारी ने यह जानकारी दी। अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनावों की तैयारियों की समीक्षा के लिए मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) और दो निर्वाचन आयुक्त (ईसी) सोमवार को आंध्र प्रदेश का दौरा करेंगे। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। देश में बीते 24 घंटे के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण के 756 नए मामले सामने आए और पांच संक्रमितों की मौत हो गई।

शेख हसीना ने दर्ज की आम चुनावों में जीत; दो तिहाई बहुमत के साथ अवामी लीग सत्ता में

बांग्लादेश में हिंसक वारदातों व मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के बहिष्कार के बीच रविवार को मतदान हुआ। मतगणना के दौरान बांग्लादेश चुनाव आयोग ने देर रात प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के दो तिहाई बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की पुुष्टि की। इसी के साथ शेख हसीना का पांचवी बार प्रधानमंत्री बनना तय हो गया है। आम चुनाव के लिए करीब 40 प्रतिशत मतदान हुआ। शेख हसीना लगातार चौथी बार प्रधानमंत्री का पद संभालेंगी। वह 1996 से 2001 तक भी पीएम रह चुकी हैं।

अभी मतों की गिनती जारी है। अवामी लीग की प्रमुख शेख हसीना गोपालगंज-3 निर्वाचन क्षेत्र से आठवीं बार संसद के लिए चुनी गईं। बीडी न्यूज24 की रिपोर्ट के अनुसार 76 वर्षीय हसीना को 249,965 वोट मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी बांग्लादेश सुप्रीम पार्टी के एम निजामुद्दीन लश्कर को सिर्फ 469 वोट मिले। वर्ष 2018 में करीब 80 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने अधिकार का उपयोग किया था। मतदान सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक चला। अनियमितताओं पर सात मतदान केंद्रों पर मतदान स्थगित कर दिया गया है। चुनाव आयोग ने एक पुलिस अधिकारी को धमकाने पर चट्टोग्राम में सत्तारूढ़ दल के प्रत्याशी की उम्मीदवारी रद्द कर दी है। ढाका के हजारीबाग और चट्टोग्राम में एक मतदान केंद्र के पास दो देसी बम धमाके हुए। इनमें एक बच्चा सहित चार लोग घायल हो गए।  

हम बहुत सौभाग्यशाली…भारत हमारा भरोसेमंद मित्रः हसीना
इस बीच पीएम शेख हसीना ने एक सवाल के जवाब में कहा, हम बहुत सौभाग्यशाली हैं। भारत हमारा भरोसेमंद मित्र है। मुक्ति संग्राम (1971) के दौरान, वर्ष 1975 के बाद भारत ने हमारा समर्थन किया…जब हमने अपना पूरा परिवार- पिता, मां, भाई, हर कोई (सैन्य तख्तापलट में) खो दिया था और केवल हम दो (हसीना और उनकी छोटी बहन रिहाना) बचे थे भारत ने हमें शरण भी दी। इसलिए हम भारत के लोगों को शुभकामनाएं देते हैं।

सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली पहली महिला पीएम हैं हसीना
रविवार को हुए आम चुनाव में भारी मतों से जीत दर्ज करने वाली शेख हसीना विश्व की सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली महिला प्रधानमंत्री हैं। हसीना पहले 1996 से 2001 तक प्रधानमंत्री रहीं। इसके बाद वर्ष 2009 से अब तक देश की प्रधानमंत्री हैं। वह श्रीलंका की भंडारनायके, भारत की इंदिरा गांधी जैसी महिला नेताओं से काफी आगे हैं। हसीना के अलावा सिरिमावो भंडारनायके 17 साल 208 दिन, इंदिरा गांधी 16 साल 15 दिन व मार्ग्रेट थैचर 11 साल 208 दिनों तक पीएम रही हैं।

साइबर हमले से कामकाज हुआ प्रभावित
चुनाव आयोग ने रविवार को कहा कि यूक्रेन और जर्मनी के हैकरों ने उनके ऐप पर साइबर हमला किया, जिससे देश में 12वें आम चुनाव के दौरान उसका कामकाज धीमा हो गया। मतदान की जानकारी देने वाला एप भी काम नहीं कर रहा है।

100 से ज्यादा विदेशी पर्यवेक्षकों ने रखी चुनाव पर नजर
27 सियासी दलों के 1,500 से अधिक उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे थे। इसके अलावा 436 निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव लड़ रहे थे। कड़ी सुरक्षा के बीच हो रहे 12वें आम चुनाव पर 100 से अधिक विदेशी पर्यवेक्षकों ने नजर रखी, जिसमें तीन भारत के हैं। चुनाव के दौरान कानून और व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों और सुरक्षा बलों के 7.5 लाख से अधिक सदस्यों को तैनात किया गया है।

पूर्व सांसद के बेटे और विधायकी का चुनाव लड़े अजय मल्होत्रा से ठगी, 130 रुपये का लालच पड़ा भारी

आरोपी जालसाज करीब 180 रुपये की आने वाले अंडे की क्रेट मात्र 49 रुपये में देने का झांसा देते थे। नई दिल्ली जिले की साइबर थाना पुलिस ने इस गिरोह के तीन जालसाज शानू सरकार, विशाल शाह और मोहम्मद महताब को गिरफ्तार किया है। 

आरोपी जालसाज करीब 180 रुपये की आने वाले अंडे की क्रेट मात्र 49 रुपये में देने का झांसा देते थे। नई दिल्ली जिले की साइबर थाना पुलिस ने इस गिरोह के तीन जालसाज शानू सरकार, विशाल शाह और मोहम्मद महताब को गिरफ्तार किया है। दिल्ली पुलिस ने विदेश मंत्रालय व सीबीआई के जरिए कनाडा सरकार से वेबसाइट की डिटेल मांगी है।

नई दिल्ली पुलिस अधिकारियों के अनुसार, पांच बार सांसद रहे भाजपा नेता विजय कुमार मल्होत्रा के बेटे अजय मल्होत्रा व्यवसाय करते है। उन्होंने जिले के साइबर थाना प्रभारी सुनील कुमार को ठगी की शिकायत दी थी। उन्होंने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि एक वेबसाइट ने उन्हें सस्ते दाम पर यानि 49 रुपये की अंडे की क्रेडिट देने का उपलब्ध कराने का लालच दिया। बाद में जब उसने अपने क्रेडिट कार्ड का विवरण दर्ज किया, लेकिन उसे कोई ऑर्डर नहीं दिया गया। बाद में उनकी डिटेल से कुछ और ऑर्डर हो गया। इनके बैंक खाते से 53 हजार रुपये कट गए। मामला दर्जकर एसीपी रतनलाल व साइबर थाना प्रभारी सुनील कुमार की देखरेख में एसआई मंजीत सिंह, एसआई विपिन त्यागी, सिपाही रिंकू, विकास नागर, व राकेश की टीम ने जांच शुरू की।

ऐसे पकड़े गए आरोपी
एसआई मंजीत सिंह को जांच में पता लगा कि किसी धोखेबाज द्वारा फर्जी वेबसाइट बनाई गई थी और शिकायतकर्ता के क्रेडिट कार्ड से किए गए लेनदेन का विवरण प्राप्त किया गया था। ये पता चला कि सोने के सिक्कों का ऑर्डर ब्लिंकिट पर किया गया था और मोती नगर, दिल्ली में डिलीवर किया गया था। इसके बाद डिलीवरी बॉय से पूछताछ की गई जिसने डिलीवरी लेने वाले की तस्वीरें दीं। जांच के बाद एसआई मंजीत व विपिन त्यागी की टीम ने एक जालसाज मूलरूप से पश्चिमी बंगाल निवासी व दिल्ली में जोशी कॉलोनी बी-92 मंडावली में रह रहे शानू सरकार पुत्र दीपक सरकार को गिरफ्तार कर लिया। इसकी निशानदेही पर ए-4, गली नंबर 2 दूसरी मंजिल, चंदर विहार, मंडावली निवासी विशाल शाह पुत्र बलराम शाह और ए-159, विकास पुरी निवासी मोहम्मद महताब पुत्र मोहम्मद कामिल को गिरफ्तार कर लिया। विशाल शाह के पास से एक मोबाइल और एक फर्जी सिम कार्ड व महताब के पास से दो मोबाइल और एक फर्जी कार्ड बरामद किया गया है।

कनाडा में बना रखी थी ठगी के लिए साइट
आरोपियों ने कनाडा में टाटी की न्यूट्री फ्रेस से मिलती-जुलती साइड बनवा रखी थी। जालसाजों ने ये साइट कनाडा में बनवा रखी थी। आरोपी वेबसाइट पर अंडे की ट्रे 49 रुपये का झांसा देते थे।जब व्यक्ति ट्रे लेने के अपनी डिटेल भरते थे तो आरोपी इस डिटेल से अन्य ऑर्डर कर देते थे। ये ज्यादातर सिगरेट व सोने का सिक्के मंगाते थे। इसके बाद पीडि़त के बैंक खाते से मोटी रकम कम जाती थी। शुरुआती जांच में पता लगा है कि पीडि़त दिल्ली, महाराष्ट्र व यूपी के हैं। ये डिलीवरी दिल्ली में ही मंगाते थे।

सेवानिवृत्ति के बाद यात्रा, जीवन की नई शुरुआत, बुजुर्गों की यात्रा के लिए अब खास पैकेज

हम समय के साथ आगे बढ़ते हैं। विकसित होते हैं। जीवन में आगे बढ़ने के साथ हमारी पसंद भी बदलती है। इस बीच, एक समय ऐसा भी आता है, जब आसपास के लोगों को लगता है कि आपके कार्य उम्र के अनुरूप नहीं हैं। हालांकि, यह परंपरा अब टूट रही है। यात्रा पर खर्च के अपराधबोध से बाहर निकल बुजुर्ग सेवानिवृत्ति के बाद बेहतर जीवन जी रहे हैं।

कुछ दिन पहले दिल्ली के इंडिया कॉफी हाउस में मैं एक दोस्त के आने का इंतजार कर रहा था। वहां पांच बुजुर्गों का एक समूह मार्च में लक्षद्वीप की यात्रा करने की योजना पर चर्चा कर रहा था। चर्चा को सुनने से मैं खुद को नहीं रोक सका। वे लक्षद्वीप में स्नॉर्केलिंग करना चाहते थे। समुद्र तट पर इत्मीनान से सैर करना चाहते थे। पहले तो मैं उनकी चर्चा पर हंसे बिना नहीं रह सका, लेकिन तुरंत उनकी उम्र की कल्पना की। महसूस किया कि उनकी सोच में कुछ भी गलत नहीं था। हां, समुद्र तट पर सैर करने की उनकी योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्षद्वीप में समय बिताने संबंधी सोशल मीडिया तस्वीरों से प्ररित थी, जिसे गूगल पर अब तक सर्वाधिक सर्च किया गया।

एक समय था, जब सेवानिवृत्त व्यक्ति के खाली समय व्यतीत करने को सर्दियों में धूप सेंकने, मंदिर जाने और सत्संग सुनने से जोड़कर देखा जाता था। अब यह परंपरा टूट रही है। बेहतर स्वास्थ्य व सामर्थ्य के हिसाब से सेवानिवृत्त लोग दुनिया को जानने के लिए यात्रा करने की इच्छा रखते हैं। यह एक अद्भुत विचार है क्योंकि ऐसे लोग धर्म और आस्था की तलाश में अपनी सेवानिवृत्ति के बाद की उम्र खर्च करने जैसे रुढ़ियों को तोड़ रहे हैं।

बुजुर्गों की यात्रा के लिए अब खास पैकेज 
आज कई ऐसी यात्राएं और इससे जुड़े पैकेज हैं, जो विशेष रूप से बुजुर्गों को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। इनमें उनके स्वास्थ्य का भी ध्यान रखा जाता है। ये पैकेज जोड़ों (कपल) के साथ उन बुजुर्गों के लिए भी हैं, जो जीवनसाथी के निधन के बाद अकेले रहते हैं। ऐसी यात्राएं लोकप्रिय भी हो रही हैं। इससे सेवानिवृत्त लोगों को उन यात्राओं पर जाने का मौका मिल रहा है, जहां लंबे समय से जाना चाहते थे, लेकिन अपनी पारिवारिक और पेशेवर जिम्मेदारियों के कारण अपने युवा वर्षों में नहीं जा सके।

नई जगह देखने के लिए खुद उठाना चाहते हैं खर्च
एक फाइनेंशियल प्लानर के रूप में मैं ऐसे कई लोगों से मिला हूं, जो सेवानिवृत्ति के बाद भारत भ्रमण के साथ विदेश यात्रा भी करना चाहते हैं। ऐसे मामलों में जिन सेवानिवृत्त जोड़े के बच्चे विदेश में रहते हैं, वे अपनी यात्रा का खर्च खुद उठाना चाहते हैं। साथ ही, अपनी आगे की यात्रा या वापसी में उन जगहों पर जरूर जाना चाहते हैं, जिन्हें वे किसी अन्य पर्यटक की तरह देखना चाहते हैं। कुछ वर्ष पहले तक मौजमस्ती और आराम के लिए बुजुर्गों की यात्रा को स्वीकार कर पाना आसान बात नहीं थी।

जैसे ही मेरा दोस्त आया, मैंने उन बुजुर्गों की जोरदार हंसी की आवाज सुनी क्योंकि उनमें से एक ने अपनी पत्नी को फोन करने में कामयाबी हासिल कर ली थी, जो लक्षद्वीप जाने के लिए समान रूप से उत्सुक थीं। यात्रा करने में झिझक रहे कुछ सदस्यों से यह स्पष्ट हो रहा था कि पूरा समूह मार्च में समुद्र तट की यात्रा और नई जगहों की खोज का उत्सुकता से इंतजार कर रहा था। ऐसे बुजुर्ग युवाओं के लिए भी महान प्रेरणा हैं, जो सेवानिवृत्ति के कई अवसरों के साथ जीवन की आशा करते हैं। हल्के ढंग से कहें तो अगर कोई हमारे प्रधानमंत्री की यात्रा और भारत में नए पर्यटन स्थलों का प्रदर्शन करने के उनके तरीके का अनुसरण करता है तो जल्द ही हमारे पास बुजुर्गों की एक बड़ी संख्या होगी, जो इन स्थानों पर जाना चाहते हैं।

बदल रहा समाज, अब अपराधबोध की जगह नहीं
वास्तव में बुजुर्ग इसलिए भी यात्रा नहीं करते क्योंकि उन्हें ऐसी यात्राओं पर बहुत पैसे खर्च करने का अपराधबोध महसूस होता है। शुक्र है, समाज बदल रहा है क्योंकि कई सेवानिवृत्त लोग फोन और गैजेट की तरह यात्रा के नए चलन से परिचित हैं। बुजुर्गों के बीच यात्रा के बढ़ते चलन का लाभ उठाने के लिए ट्रैवल उद्योग (होटल, टूर ऑपरेटर, एयरलाइंस व ट्रैवल एजेंट) सेवानिवृत्त लोगों को किफायती दरों की पेशकश कर रहा है। इस समूह को लक्षित करने का एक और लाभ है…जरूरी नहीं कि वे सामान्य छुट्टियों के मौसम में ही यात्रा करें।

समय की उपलब्धता यानी छूट पाने का मौका
सेवानिवृति्त के बाद समय की उपलब्धता बुजुर्गों को अतिरिक्त छूट पाने के लिए ऑफ सीजन में यात्रा स्थलों का पता लगाने और कभी-कभार अतिरिक्त छूट पाने का भी मौका देती है। यह वित्तीय रूप से स्वतंत्र कुछ सेवानिवृत्त लोगों को अपराधबोध के बिना पैसे बचाने के फैसले लेने की अनुमति भी देती है। जैसे-जैसे हम दादा-दादी की उस पीढ़ी में प्रवेश कर रहे हैं, जो मोबाइल व तकनीक की समझ रखते हैं और जीवन के प्रति उत्साह रखने वाले हैं, ऐसे लोगों की यात्रा संबंधी जरूरतें पूरी करने वाला बाजार तैयार होना देखने लायक बात होगी।

पीएम मोदी भाजपा के लिए चलेंगे बड़ा दांव

आगामी अप्रैल-मई में होने वाले 18वें लोकसभा चुनाव में लगातार तीसरे कार्यकाल की तरफ बढ़ रहे नरेंद्र मोदी विपक्षी गठबंधन की तरफ से आने वाली हर चुनौती को, चाहे वह कितनी ही मामूली क्यों न हो, पूरी सतर्कता और गंभीरता से ले रहे हैं। नरेंद्र मोदी की तरफ से भाजपा को साफ निर्देश है कि विपक्षियों पर पूरी नजर रखें और उन्हें किसी भी हाल में अनियंत्रित न होने दें।

‘इंडिया’ गठबंधन के भीतर सीटों के बंटवारे को लेकर चल रही खींच-तान और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने गठबंधन का चेहरा पेश करने में असमर्थता के चलते आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को जीतने से रोक पाना विपक्षी गठबंधन के लिए दुर्गम चुनौती बन गया है। चुनौती की विकटता इससे समझी जा सकती है कि हममें से कई आगामी चुनाव को ऐसी स्पर्धा मान रहे हैं, जिसमें ‘इंडिया’गठबंधन ने अब तक पहला कदम भी नहीं बढ़ाया है, जबकि भाजपा मंजिल पर दस्तक दे रही है। लेकिन एक व्यक्ति ऐसा कभी नहीं सोचेगा, और वह हैं प्रधानमंत्री मोदी।

आगामी अप्रैल-मई में होने वाले 18वें लोकसभा चुनाव में लगातार तीसरे कार्यकाल की तरफ बढ़ रहे नरेंद्र मोदी विपक्षी गठबंधन की तरफ से आने वाली हर चुनौती को, चाहे वह कितनी ही मामूली क्यों न हो, पूरी सतर्कता और गंभीरता से ले रहे हैं। नरेंद्र मोदी की तरफ से भाजपा को साफ निर्देश है कि विपक्षियों पर पूरी नजर रखें और उन्हें किसी भी हाल में अनियंत्रित न होने दें। इसलिए, वह चाहते हैं कि भाजपा उनके लिए वोट जुटाने के उद्देश्य से पूरी ताकत से काम करे। यही वजह है कि भाजपा की चुनाव-प्रबंधन रणनीति में विपक्ष के हर हमले का, वह कितना ही कमजोर क्यों न हो, मुंहतोड़ जवाब देने का संदेश जरूर शामिल होगा।

चुनावी अभियानों में केंद्रीय मंत्रियों के जमावड़े और भाजपा की तरफ से खासकर ग्रामीण व शहरी गरीबों, महिलाओं, युवाओं और किसानों तक लक्षित ढंग से अपने संदेश पहुंचाने की व्यापक मुहिम देखने को मिले, तो हैरत नहीं होनी चाहिए। विभिन्न रणनीतिक सत्रों में मोदी अपनी पार्टी के नेताओं से लगातार कह रहे हैं कि उन्हें भारत के विकास की कहानी को लेकर जनता तक पहुंचना चाहिए और विपक्षियों की किसी भी चाल को हल्के में नहीं लेना चाहिए, चाहे वह 15 राज्यों की 100 लोकसभा सीटों को छूने वाली राहुल गांधी की नई यात्रा ही क्यों न हो। मोदी का भाजपा के रणनीतिकारों को संदेश साफ है कि नए और प्रभावशाली जनादेश के साथ सत्ता में लौटने के लिए हर मतदाता और हर राज्य महत्वपूर्ण है। चाहे उम्मीदवारों का चयन करना हो या क्षेत्रवार मुद्दे उठाने हों, अमित शाह की सीधी निगरानी में दोहरी जांच की व्यवस्था लागू की गई है। जब सब कुछ केंद्रीय नेतृत्व को ही करना है, तो मुमकिन है कि पार्टी के लोग आरामतलब और मनचाहे नतीजों के लिए प्रधानमंत्री की शख्सियत पर निर्भर हो जाएं। पर मोदी ऐसा होने नहीं देंगे। उन्होंने भाजपा के लिए ज्यादा संभावनाएं न रखने वाले राज्यों में भी दिखाया है कि वह कितनी ज्यादा कोशिशें करते हैं। तमिलनाडु के त्रिची में और केरल के त्रिशूर में उनकी सभाओं को ही देखें। इन राज्यों में मोदी ने हिंदुत्व के बजाय अपने विकास के एजेंडे के जरिये स्थानीय मतदाताओं से जुड़ने की कोशिश की। हां, थोड़ा-सा हिंदू पुट केवल क्षेत्र की आध्यात्मिक विरासत की ओर इशारा करने तक सीमित जरूर था।

उल्लेखनीय है कि पिछले कई वर्षों से भाजपा केरल और तमिलनाडु में जमीनी स्तर पर काम कर रही है, इससे बेफिक्र कि उसे मिल रहा समर्थन संसद या राज्य विधानसभाओं में सीटों में तब्दील हो रहा है या नहीं। जाहिर है कि एक अथक प्रचारक के रूप में मोदी समय और ऊर्जा का निवेश करने को तब भी तैयार हैं, भले ही रिटर्न की गारंटी न हो। मोदी ने अमित शाह और दूसरे चुनावी योद्धाओं को एहसास दिलाया है कि आगामी चुनाव में भाजपा के लिए दूसरे दलों की तुलना में दांव कहीं ज्यादा बड़ा है। 2024 में जीत भाजपा के लिए एक नए युग का द्वार खोलेगी, जो अगले एक दशक के लिए पार्टी को निर्विवाद रूप से सबसे आगे खड़ा कर देगी। नरेंद्र मोदी के अनुसार, यही वह समय होगा, जब देश के लिए सबसे अच्छी चीजें होनी तय हैं और 2047 तक सौ वर्ष के हो चुके आजाद भारत में भाजपा ही देश में महत्वपूर्ण बदलावों की अग्रदूत के रूप में देखी जाएगी। सभी भाजपा-विरोधी वोटों को एकजुट करने में विपक्ष कई चुनौतियों से जूझ रहा है। कुछ राज्यों में गठबंधन सहयोगी एक-दूसरे के विरोधी हैं, जिनमें से ज्यादातर एक खास क्षेत्र या सामाजिक समूह तक सीमित हैं, जो सहयोगियों को वोट हस्तांतरित करने की ताकत भी नहीं रखते। विपक्ष जहां नेतृत्व व आपसी संवाद के मुद्दे पर अनिश्चित है, और सिर्फ एक बात की रट लगा रहा है कि भाजपा की सीटें कम करके मोदी को रोकना होगा, वहीं, नरेंद्र मोदी की अपनी पार्टी पर पूरी पकड़ है।

पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल और विपक्षी कांग्रेस व माकपा सीटों को लेकर एक-दूसरे के दावों पर सवाल उठा रहे हैं। महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी के सबसे बड़ा घटक होने का दावा कर रही उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने 23 सीटों पर दावा किया है, जबकि बाकी 25 सीटें कांग्रेस और एनसीपी के बीच बंटेंगी। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। ऐसे में, कांग्रेस व गठबंधन के दूसरे सहयोगियों की स्थिति की आसानी से कल्पना की जा सकती है।

चुनावी विश्लेषक 2024 के लोकसभा चुनाव को कांग्रेस के लिए अस्तित्व की लड़ाई मान रहे हैं। उनके लिए यह बनाओ या बिगाड़ो वाली स्थिति है। 2019 में भाजपा ने अपने दम पर 303 सीटें जीती थीं, जो 2014 की 282 सीटों से ज्यादा थीं। जबकि कांग्रेस को 52 सीटें मिली थीं। 2019 में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के पास 332 सांसद थे और ‘इंडिया’ गठबंधन के मौजूदा 28 सदस्यों के पास 144 सीटे थीं। लेकिन 2019 के बाद से एनडीए की संरचना में बड़े बदलाव हुए हैं। अन्नाद्रमुक, जदयू और अकाली दल जैसे क्षेत्रीय दल उसका साथ छोड़ चुके हैं। फिर भी, 543 सदस्यीय लोकसभा की वर्तमान संरचना दर्शाती है कि 319 सांसदों के साथ एनडीए, 139 सीटों वाले ‘इंडिया’ गठबंधन से काफी आगे है। मौजूदा एनडीए सदस्यों का 2019 में संयुक्त वोट शेयर करीब 40 फीसदी था, जबकि ‘इंडिया’ गठबंधन के सहयोगियों को 35 फीसदी वोट मिले थे। नरेंद्र मोदी का सपना 350 से ज्यादा सीटें और 40 से 50 फीसदी वोट शेयर पाने का है। जाहिर है कि वह अब तक की उपलब्धियों को लेकर संतुष्ट नहीं बैठेंगे और यकीनन एक नए कीर्तिमान की ओर बढ़ना चाहेंगे।

सुधार की कवायद: बुंदेलखंड में तालाबों को नया जीवन देने की हो रही कोशिश

खजरा खुर्द गांव में पुराना तालाब नाम से विख्यात तालाब की उपयोगिता हाल के समय में सफाई न होने के कारण घट गई थी। परमार्थ संस्था व उससे जुड़ी महिला कार्यकर्ताओं-‘जल सहेलियों’ ने इसे पुनर्जीवित करने के लिए अभियान चलाया। 

ग्रामीण क्षेत्रों में तालाब पानी संबंधी विभिन्न जरूरतें पूरी करने के साथ भूजल-स्तर बनाए रखने का मुख्य आधार रहे हैं। विभिन्न कारणों से हाल के समय में उपेक्षा के कारण अनेक तालाब क्षतिग्रस्त हुए हैं। इस कारण बड़े जल-संकट के बीच अब उनकी रक्षा के कुछ महत्वपूर्ण प्रयास होने लगे हैं। विशेषकर बुंदेलखंड में ऐसे प्रयास काफी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वहां जल संतुलन बनाए रखने में तालाबों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

लहार ठाकुरपुरा गांव (बबीना ब्लॉक, झांसी) में इसी नाम का विशाल, लगभग 87 एकड़ का तालाब आसपास के ग्रामीण इलाकों के लिए गौरवशाली धरोहर रहा है, पर हाल के वर्षों में जलकुंभी, मिट्टी-गाद आदि के चलते इसकी सुंदरता और उपयोगिता, दोनों कम होती जा रही थी। ऐसे में जब ‘परमार्थ’ संस्था ने तालाब की स्वच्छता के लिए जनसभा की, अभियान चलाया और प्रशासन से भी संपर्क किया, तो इसे काफी सहयोग मिला। मनरेगा के अंतर्गत अनेक हफ्ते तक तालाब की सफाई का अभियान चलता रहा। जलकुंभी और गाद की सफाई की गई तथा नहर का पानी तालाब में लाया गया। आसपास बाड़ लगाई गई और जमीन को पक्का किया गया।

हालांकि अभी रोशनी की व्यवस्था और मरम्मत का कार्य होना शेष है, फिर भी तालाब बहुत सुंदर बन गया है। इसकी जल-ग्रहण क्षमता बढ़ी है और पानी साफ है। गांववासियों ने बताया कि एक छोटी नहर निकाल कर इससे सिंचाई की व्यवस्था भी की जानी चाहिए। इसके अलावा, चंदेल राजाओं के समय से चले आ रहे एवं 100 एकड़ से बड़े क्षेत्र में फैले मानपुर के तालाब (जो इसी ब्लॉक में स्थित है) में एक छोटी नहर की व्यवस्था पहले से परंपरागत तौर पर रही है, पर इसमें बहुत टूट-फूट हो गई थी। परमार्थ संस्था ने यहां एक विशेष प्रयास कर इस नहर के किनारों की मरम्मत की एवं तालाब की सफाई भी करवाई। इस कारण गांववासियों को सिंचाई का बेहतर लाभ मिल रहा है। यह कार्य ऐसे समय में गैर-मशीनीकृत उपायों से किया गया, जब यहां लोगों को रोजगार की बहुत जरूरत थी।

खजरा खुर्द गांव में पुराना तालाब नाम से विख्यात तालाब की उपयोगिता हाल के समय में सफाई न होने के कारण घट गई थी। परमार्थ संस्था व उससे जुड़ी महिला कार्यकर्ताओं-‘जल सहेलियों’ ने इसे पुनर्जीवित करने के लिए अभियान चलाया। इसके बाद किनारों की मरम्मत, मिट्टी-गाद हटाने, आसपास वृक्षारोपण आदि के कार्य हुए। तालाब की जल-ग्रहण क्षमता बढ़ने के साथ इससे आसपास के कुंओं का जल-स्तर भी बढ़ा।

छतरपुर जिले (मध्य प्रदेश) के अंगरौठा गांव में महिलाओं ने 107 मीटर की नहर खोदने का कार्य बहुत कठिन परिस्थितियों में शुरू किया, ताकि यहां के सूखे पड़े तालाब में पानी पहुंच सके। बाद में उनके इस साहसी कार्य से प्रेरित होकर अन्य लोगों ने भी सहयोग किया। इसी जिले में गंगा नामक महिला ने अपनी सखियों के साथ एक उपेक्षित सूखे तालाब को फिर से पानीदार बनाया। इस तालाब के बारे में अंधविश्वास प्रचलित था कि जो इसका पुनरुद्धार करेगा, उसे हानि होगी, लेकिन गंगा ने लोगों को समझाया कि यह अंधविश्वास है और गांव की प्यास बुझाने का प्रयास इस कारण नहीं रुकना चाहिए। इन महिलाओं ने न केवल तालाब की सफाई की, बल्कि इसमें पानी भी पहुंचाया।

देश में बुंदेलखंड जैसे कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जहां जल-संतुलन में तालाबों की विशेष भूमिका है और इनके निर्माण व रख-रखाव के लिए परंपरागत तकनीक व सामाजिक तौर-तरीके, दोनों प्रशंसनीय रहे हैं। इनसे आज भी सीखा जा सकता है। चाहे सभी घरों में नल आ जाएं, पर इन तालाबों का महत्व बना रहेगा और इनके संरक्षण पर ध्यान देना जरूरी है। इनमें जमा गाद-मिट्टी हटाकर इसकी जल-ग्रहण क्षमता भी बढ़ाई जा सकती है व किसानों को उपजाऊ गाद-मिट्टी अपने खेतों के लिए मिल जाएगी। अनेक स्थानों पर भूजल स्तर पहले ही बहुत नीचे चला गया है। यदि बोरवेल आदि से नलों के लिए भूजल का उपयोग किया जाएगा, तो ऐसे में जल-संतुलन बनाए रखने के लिए जरूरी है कि तालाबों में पहले से कहीं अधिक जल हो। इसलिए तालाबों की रक्षा एवं वर्षा जल संरक्षण का कार्य अब और महत्वपूर्ण हो गया है।

लुप्तप्राय वन्यजीव का वैश्विक बाजार में 20 बिलियन डॉलर का अवैध कारोबार, जीनोमिक्स करेगा खुलासा

दुनिया में सबसे अधिक तस्करी किए जाने वाले स्तनपायी पैंगोलिन का आनुवंशिक स्रोत से लेकर आखिरी मंजिल तक का मानचित्रण करने में वैज्ञानिकों ने सफलता पाई है। इसकी मदद से वन्यजीव के अवैध शिकार का हॉटस्पॉट पता लगाने में मदद मिलेगी। इस वन्यजीवों का वैश्विक बाजार में 20 बिलियन डॉलर का कारोबार है, जो परिष्कृत अंतरराष्ट्रीय कार्टेल द्वारा संचालित होता है।अध्ययनकर्ता जेन टिन्समैन ने कहा कि सिंगापुर में हाल में 18 टन पैंगोलिन बरामद हुए, जो मारे गए जानवरों की वास्तव में अकल्पनीय संख्या है।  वैज्ञानिकों ने नाइजीरिया को पैंगोलिनों के पहले प्रमुख वितरण केंद्र के रूप में पाया है। 

अब तक पैंगोलिन के अवैध व्यापार को रोकना चुनौतीपूर्ण था। 23 देशों में पाई जाने वाली आठ प्रजातियों की सीमा 23 लाख वर्ग मील तक फैली है। उन्हें  पारंपरिक चिकित्सा के रूप में बिक्री के लिए दुनिया भर में ले जाया जाता है। सफेद पेट वाली अफ्रीकी प्रजाति आमतौर पर चीन और अन्य एशियाई देशों में भेजी जाती है। अब शोधकर्ताओं ने जीनोमिक्स का उपयोग कर एक नया तरीका विकसित किया है, जो अवैध शिकार और तस्करी के हॉटस्पॉट की पहचान करने में मदद करेगा।  शोध में  विकासवादी जीवविज्ञानी व कैलिफोर्निया विवि, लॉस एंजिल्स (यूसीएलए) के साथ यूएस फिश एंड वाइल्डलाइफ सर्विस और चीन, गैबॉन, नाइजीरिया, कैमरून और चेक गणराज्य जैसे देशों के वैज्ञानिक शामिल हैं।

सभी आठ प्रजातियां लुप्तप्राय
शोधकर्ताओं के अनुसार पैंगोलिन की सभी आठ प्रजातियां, चार अफ्रीकी और चार एशियाई लुप्तप्राय हैं। प्रकृति संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय संघ ने उन्हें गंभीर रूप से लुप्तप्राय के रूप में सूचीबद्ध किया है। वन्यजीवों का वैश्विक व्यापार 20 बिलियन डॉलर का है, जो परिष्कृत अंतरराष्ट्रीय कार्टेल द्वारा संचालित होता है। शोधकर्ताओं और कानून प्रवर्तन एजेंसियों का मानना है कि इसका उपयोग अवैध हथियारों के व्यापार जैसी गतिविधियों को वित्त पोषित करने के लिए किया जाता है।

पैंगोलिन का पहला प्रमुख वितरण केंद्र नाइजीरिया
अध्ययनकर्ता जेन टिन्समैन ने कहा कि सिंगापुर में हाल में 18 टन पैंगोलिन बरामद हुए, जो मारे गए जानवरों की वास्तव में अकल्पनीय संख्या है।  वैज्ञानिकों ने नाइजीरिया को पैंगोलिनों के पहले प्रमुख वितरण केंद्र के रूप में पाया है। वहां से इन्हें चीन, थाईलैंड, वियतनाम, लाओस सहित अन्य देशों में भेजा जाता है।

ऐसे चलेगा अवैध शिकार का पता
विकासवादी जीवविज्ञानी और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजिल्स (यूसीएलए) के सेंटर फॉर ट्रॉपिकल रिसर्च के निदेशक अध्ययनकर्ता थॉमस स्मिथ कहते हैं कि आनुवंशिक जांच में कुछ दिन लगते हैं और यह लगभग 125 मील के भीतर किसी जानवर की उत्पत्ति का सटीक पता लगा सकती है। 

बाजार से निवास स्थान तक पैंगोलिन के व्यापार को ट्रैक करने के लिए अध्ययनकर्ताओं ने पैंगोलिन के जीनोम का मानचित्रण किया और आनुवंशिक रूप से विशिष्ट भौगोलिक आबादी का मानचित्रण करने के लिए मध्य अफ्रीका के ज्ञात इलाकों से इस प्रजाति के 111 नमूने एकत्र किए। इसके बाद शोधकर्ताओं ने जब्त 10 लाख जानवरों से नमूने लिए। दोनों का मिलान करके वे यह निर्धारित करने में सक्षम हुए कि सबसे तीव्र अवैध शिकार कहां हो रहा है। उन्होंने एक नक्शा भी तैयार किया जो अवैध व्यापार के मार्गों का पता लगाता है।

पाकिस्तान: हमले में चार लोगों की मौत, तीन घायल

पाकिस्तान के अशांत खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत में रविवार को अज्ञात बंदूकधारियों ने दो वाहनों पर गोलीबारी की जिसमें कम से कम चार लोगों की मौत हो गई और तीन अन्य घायल हो गये। पुलिस ने यह जानकारी दी।‘डॉन न्यूज’ की खबर के अनुसार जिला पुलिस अधिकारी (डीपीओ) मोहम्मद इमरान ने कहा कि स्वचालित हथियारों से लैस हमलावरों ने पारचिनार से पेशावर जाने वाले रास्ते में दो वाहनों को निशाना बनाया। उन्होंने कहा कि खुर्रम जिले के सद्दा बाजार के निकट हुए हमले में मारे गये लोगों में दो सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं। डीपीओ ने बताया कि हमलावरों की गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं। किसी भी समूह या व्यक्ति ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन इस क्षेत्र में सुन्नी और शिया के बीच सांप्रदायिक झड़प की घटनाएं होती रहती हैं। पारचिनार जिला मुख्यालय अस्पताल के उप चिकित्सा अधीक्षक डॉ कैसर अब्बास ने पुष्टि की कि घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा, “बंगाल में जो सत्ता है वो इस पर ध्यान रखेगी। इनके पार्टी(TMC) में जो खतकरनाक शख्स रहते हैं खूनी दरिंदे रखते हैं उनकी देखभाल सत्ताधारी पार्टी खुद करती है….भाजपा रोहिंगया चिल्लाते चिल्लाते ध्रुवीकरण करने लगी है। आप लोग इतने दिन कहां थे? रोहिंगया दिल्ली और जम्मू में भी है आप कुछ नहीं कर पाए।”

पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष और सांसद सुकांत मजूमदार ने राज्यपाल सीवी आनंद बोस से मुलाकात की और “पश्चिम बंगाल में बिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति पर तत्काल चिंता व्यक्त की।”

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के यह कहे जाने पर कि पार्टी का ध्यान सभी लोकसभा सीटों पर है, NCP सांसद सुप्रिया सुले ने कहा, “हर पार्टी हर सीट पर लड़ना चाहती है और फिर बातचीत होगी कि कौन बेहतर करेगा। आखिरकार सभी सीटों का सर्वे होगा और फिर देखेंगे कि किसकी ताकत कहां ज्यादा है। गठबंधन इसी तरह काम करता है।”

राम मंदिर उद्घाटन के दिन 22 जनवरी से 26 तक घरों में ही रहें, बदरुद्दीन अजमल ने मुसलमानों को दी नसीहत

एआईयूडीएफ प्रमुख और सांसद बदरूद्दीन अजमल ने मुसलमानों से कहा कि हमें सतर्क रहना होगा। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को 20 जनवरी से 25 जनवरी तक ट्रेन से यात्रा नहीं करनी चाहिए। राम जन्मभूमि में राम की मूर्ति रखी जाएगी, पूरी दुनिया इसे देखेगी। लाखों लोग आएंगे। भाजपा की योजना बड़ी है। इस अवधि के दौरान, हमें ट्रेन से यात्रा नहीं करनी चाहिए और घर पर रहना चाहिए। भाजपा मुसलमानों की सबसे बड़ी दुश्मन है।

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