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कारोबार : बड़ों की लड़ाई से छोटों को सबक

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  -राकेश दुबे

फ्यूचर ग्रुप के प्रोमोटर किशोर बियानी ने अपना पूरा रिटेल और कुछ होलसेल कारोबार रिलायंस रिटेल को बेचने का जो सौदा किया था, सुप्रीम कोर्ट ने उस पर रोक लगा दी है। मामला पेचीदा है। अदालत में जेफ बेजोस के एमेजॉन और फ्यूचर ग्रुप के प्रोमोटर किशोर बियानी के बीच ही लडाई चल रही थी और आज भी जारी है। कहने को यह मुकाबला दुनिया के सबसे अमीर आदमी जेफ बेजोस और भारत के सबसे अमीर आदमी मुकेश अंबानी की कंपनियों के बीच है,परन्तु  देश का खुदरा बाजार दांव पर है |


फॉरेस्टर रिसर्च एक रिपोर्ट कहती है , वर्ष २०२० में भारत का रिटेल कारोबार करीब ८८३ अरब डॉलर यानी करीब६५ लाख करोड़ रुपये का था। इसमें से भी सिर्फ किराना या ग्रोसरी का हिस्सा ६०८  अरब डॉलर या ४५  लाख करोड़ रुपये के करीब था। इसी एजेंसी का अनुमान था कि२०२४ तक यह कारोबार बढ़कर एक लाख तीस हजार करोड़ डॉलर या ९७  लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका होगा। यही वह बाजार है, जिस पर कब्जा जमाने की लड़ाई एमेजॉन व रिलायंस रिटेल के बीच चल रही है। अब किशोर बियानी रिटेल किंग नहीं रहे । किशोर बियानी के कारोबार की कहानी बहुत से लोगों के लिए सबक का काम भी कर सकती है |उन्होंने एक सौदा किया था अब वही गले की फांस बन चुका है। किशोर बियानी को  ज्यादातर लोग उन्हें पैंटलून स्टोर्स और बिग बाजार के नाम से ही पहचानते हैं। देश के रिटेल कारोबार पर भारत की बड़ी कंपनियों की निगाहें थींऔर  रिलायंस रिटेल धीरे-धीरे चला, लेकिन अब वह देश का सबसे बड़ा रिटेलर बन चुका था। इसके विपरीत फ्यूचर ग्रुप कुछ ऐसी जुगत में लगा रहा कि किसी तरह कंपनी में इतना पैसा लाने का इंतजाम हो जाए कि वह बाजार में कमजोर न पड़े।एमेजॉन जैसी कंपनी भी भारत में पैर फैलाना चाहती थी, लेकिन ऑनलाइन कारोबार में लगी कंपनी के लिए इसमें घुसना और मुश्किल था।२०१९ में फ्यूचर ग्रुप से एक बयान आया कि उनकी एक कंपनी फ्यूचर कूपन्स लिमिटेड ने एमेजॉन के साथ करार किया है और एमेजॉन ने इस कंपनी में ४९ प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी है। दोनों कंपनियों ने यही कहा था कि यह तो लॉयल्टी पॉइंट और गिफ्ट वाउचर जैसा काम करने वाली कंपनी है और इसमें निवेश का ग्रुप के रिटेल कारोबार से कोई रिश्ता नहीं है। कौन जानता  था, यह छोटा सा सौदा ही आगे चलकर बहुत बड़ा बवाल खड़ा करने वाला है। किशोर बियानी या फ्यूचर ग्रुप भी शायद यह नहीं सोच रहे थे कि एक दिन उन्हें अपना कारोबार रिलायंस को बेचना पड़ेगा। लॉकडाउन शुरू होने के पहले ही कंपनी भारी परेशानी में थी, लेकिन लॉकडाउन बहुत महंगा पड़ा। पिछले साल अगस्त में फ्यूचर ग्रुप ने अपना रिटेल कारोबार रिलायंस को बेचने का समझौता किया। इस समझौते के  साथ ही एमेजॉन ने अब सामने आकर बताया कि जिस फ्यूचर कूपन्स में उसने ४९  प्रतिशत हिस्सा खरीदा था, वह फ्यूचर रिटेल में करीब १०  प्रतिशत हिस्सेदारी की मालिक है, इस प्रकार एमेजॉन भी उस कंपनी में करीब पांच प्रतिशत का हिस्सेदार है। एमेजॉन ने यह भी कहा कि २०१९  के करार में एक रिस्ट्रिक्टेड पर्सन्स यानी ऐसे लोगों और कंपनियों की लिस्ट थी, जिनके साथ फ्यूचर ग्रुप को सौदा नहीं करना था। रिलायंस रिटेल इस लिस्ट में शामिल था। आखिर विवाद सिंगापुर की अंतरराष्ट्रीय पंचाट में पहुंचा और उसने सौदे पर निषेध लगा दिया । एमेजॉन जब यह फैसला लागू करवाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट गया, तो वहां से पहला आदेश उसके ही पक्ष में आया। लेकिन इसके बाद हाइकोर्ट की ही बड़ी बेंच ने इस फैसले को पलटकर सौदे पर रोक लगाने का आदेश खारिज कर दिया। तब मामला सुप्रीम कोर्ट गया, जहां से पिछले गुरुवार को फैसला आया है। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले की यह बात समझनी जरूरी है कि कोर्ट ने सिर्फ यह कहा है कि सिंगापुर की पंचाट अगर कोई फैसला सुनाती है, तो वह भारत में भी लागू होगा, इसीलिए फ्यूचर व रिलायंस का सौदा फिलहाल आगे नहीं बढ़ सकता। यह पूरा मामला देश के सारे व्यापारियों के लिए सबक है। चादर से बाहर पैर फैलाना तो कारोबार में जरूरी है, लेकिन यह ध्यान रखना भी जरूरी है कि इस चक्कर में कहीं चादर न फट जाए।

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