मध्य प्रदेश में सरकार ने प्रदेशभर में सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की सभी छुट्टियां 26 जनवरी 2025 तक रद्द कर दी हैं। सरकार के इस फैसले से हड़कंप मच गया है। दरअसल इस तरह के आदेश का खुलासा दतिया कलेक्टर की ओर जारी किए गए एक आदेश के बाद से हुआ है।। दतिया जिले में जिला प्रशासन ने अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए एक बड़ा आदेश जारी किया है। आदेश के अनुसार, अब कोई भी कर्मचारी या अधिकारी 26 जनवरी तक छुट्टी पर नहीं जा सकेगा। जिन कर्मचारियों की छुट्टियां पहले से स्वीकृत थीं, उन्हें भी तुरंत काम पर लौटना होगा।
इस बड़े फैसले का कारण मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री के रूप में एक वर्ष का कार्यकाल पूरा होना है। सरकार इसे जन कल्याण पर्व के रूप में मना रही है। इसी उपलक्ष्य में सभी जिलों में सरकारी योजनाओं को सक्रिय करने और उन्हें सही तरीके से लागू करने के लिए यह आदेश जारी किया गया है। इस पर्व के तहत मुख्यमंत्री के नेतृत्व में संचालित योजनाओं और उनकी उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाने के लिए बड़े स्तर पर आयोजन किए जा रहे हैं। इसी वजह से दतिया कलेक्टर ने सभी कर्मचारियों और अधिकारियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं ताकि सभी लोग इस अभियान में अपनी भूमिका निभा सकें।
दतिया से हुआ आदेश का खुलासा
इस चौंकाने वाले फैसले का खुलासा दतिया जिले में कलेक्टर द्वारा जारी एक आधिकारिक आदेश से हुआ। आदेश में साफ कहा गया है कि कोई भी कर्मचारी या अधिकारी 26 जनवरी तक छुट्टी पर नहीं जा सकेगा। जिनकी छुट्टियां पहले से स्वीकृत हैं, उन्हें भी तुरंत काम पर लौटना होगा।
छुट्टियां रद्द करने की वजह
सूत्रों के मुताबिक, यह कदम मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री पद पर एक वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के उपलक्ष्य में उठाया गया है। राज्य सरकार इसे “जन कल्याण पर्व” के रूप में मना रही है। इस पर्व के तहत सभी जिलों में सरकारी योजनाओं को सक्रिय करने और जनता तक उनकी उपलब्धियों को पहुंचाने के लिए बड़े पैमाने पर आयोजन किए जा रहे हैं।
सरकारी कर्मचारियों पर बढ़ा दबाव
सरकार का यह आदेश सामने आने के बाद कर्मचारियों और अधिकारियों में असंतोष पनप रहा है। कई कर्मचारियों ने इसे अनुचित और अनावश्यक दबाव बताया है। नाम न छापने की शर्त पर एक कर्मचारी ने कहा, “छुट्टियां रद्द करना हमारी व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला है। यह आदेश बिना किसी पूर्व सूचना के आया है, जिससे निजी योजनाएं पूरी तरह से प्रभावित हो गई हैं।”
सरकार की सफाई
सरकार का तर्क है कि जन कल्याण पर्व के तहत योजनाओं को धरातल पर उतारने और जनता तक पहुंचाने के लिए यह कदम आवश्यक है। मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी बयान में कहा गया, “प्रदेश के विकास और जनता के हित के लिए यह फैसला लिया गया है।”
क्या सरकार अपने फैसले पर कायम रहेगी?
सरकारी आदेश के इस अप्रत्याशित कदम ने प्रदेशभर के कर्मचारियों को असमंजस में डाल दिया है। देखना यह होगा कि सरकार इस फैसले को लेकर कोई ढील देती है या कर्मचारियों को अपने व्यक्तिगत जीवन पर समझौता करना पड़ेगा।
फिलहाल, यह आदेश सरकारी मशीनरी में कार्यप्रणाली को चुस्त-दुरुस्त बनाने का दावा करता है, लेकिन इसकी गूंज कर्मचारियों के असंतोष के रूप में दूर तक सुनाई दे रही है।