मध्य प्रदेश को इस साल 552 इलेक्ट्रिक बसों की डिलीवरी मिलने में देरी हो रही है। केंद्र सरकार ने 10,000 बसों के लिए घोषणा की थी, लेकिन अन्य राज्यों की डिमांड के कारण ये बसें अगले साल मिल सकती हैं। राज्य सरकार ने संबंधित प्रस्ताव भेज दिया था, लेकिन वित्त विभाग की आपत्ति और शर्तों के कारण देरी हुई है।
मध्य प्रदेश को इस साल भी केंद्र सरकार से 552 इलेक्ट्रिक बसों का मिलना मुश्किल लग रहा है। केंद्र सरकार के पास मप्र के अलावा कई अन्य राज्यों की डिमांड एक साथ आने पर बसों की डिलीवरी अटक गई है। दिसंबर 2023 में केंद्र ने पीएम ई बस सेवा के तहत 57,000 करोड़ की लागत से मप्र सहित कई राज्यों में 10,000 बसें चलाने की घोषणा की थी।
दो साल से चल रही डिलीवरी प्रक्रिया
लगभग दो साल से चल रही 552 इलेक्ट्रिक बसों की प्रक्रिया के तहत बसों की डिलीवरी इस वर्ष हो जानी थी, लेकिन अब अगले वर्ष ही बसें मिलने की संभावना है।मध्य प्रदेश ने जो प्रस्ताव बनाया था वह पहले वित्त विभाग की आपत्ति पर अटक गया था। केंद्र की शर्त थी कि ई बसों का संचालन करने वाली कंपनी को भुगतान सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार को लिखित अंडरटेकिंग देनी होगी। इस पर वित्त विभाग ने आपत्ति लगा दी थी।
अक्टूबर 2023 में प्रस्ताव भेजा था
कंपनी को स्टैंडर्ड बस के लिए 24, मिडी बस के लिए 22 और मिनी बस के लिए 20 रुपये प्रति किमी भुगतान होना है। बाद में नगरीय प्रशासन विभाग ने बस संचालकों को घाटा होने पर नगरीय निकायों की अनुदान राशि से भरपाई करने की सहमति देकर 2023 में अक्टूबर में प्रस्ताव भेज दिया था।
इधर, इसी साल फरवरी में पीएम ई-बस योजना के तहत मुख्यमंत्री डा मोहन यादव ने कैबिनेट की बैठक में भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन और सागर में 552 शहरी बसों के संचालन को स्वीकृति दी थी। इसके बाद नगरीय प्रशासन विभाग ने 552 बसों की सप्लाई के लिए केंद्र को प्रस्ताव बनाकर भेजा था। इंदौर को 150, भोपाल, उज्जैन और जबलपुर को 100-100, ग्वालियर को 70 के अलावा सागर को 32 इलेक्ट्रिक बसें मिलनी हैं।