माघ मकरगत रबि जब होई, तीरथ पतिहिं आव सब कोई
विचारों, मतों, संस्कृतियों, परंपराओं स्वरूपों का गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी के तट पर महामिलन 45 दिन तक चलेगा। समुद्र मंथन के दौरान निकले कलश से छलकीं अमृत की चंद बूंदों से युगों पहले शुरू शुरू हुई कुंभ स्नान की परंपरा का सोमवार को आगाज हो गया है। दुनिया भर के धार्मिक आयोजनों में सबसे बड़ा यह मेला 26 फरवरी तक चलेगा।
प्रयागराज में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर सोमवार को पौष पूर्णिमा के शुभ अवसर पर पहले प्रमुख स्नान अनुष्ठान के साथ महाकुंभ का शुभारंभ होने जा रहा है। आस्था के इस महा आयोजन में अगले 45 दिनों के दौरान अध्यात्म के अनेक रंग बिखरेंगे। महाशिवरात्रि के दिन 26 फरवरी को इसका समापन होगा।महाकुंभ 12 वर्षों बाद आयोजित किया जा रहा है। हालांकि संतों का दावा है कि इस आयोजन के लिए खगोलीय परिवर्तन व संयोजन 144 वर्षों के बाद हो रहे हैं, जो इस अवसर को और भी ज्यादा शुभ बना रहे हैं। गोवर्धन पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ ने बताया कि यह 12 पूर्ण कुंभों के बाद हो रहा है, इसलिए इसे महाकुंभ कहा जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह महाकुंभ राष्ट्र, भक्तों और तीर्थयात्रियों को अन्य कुंभ की तुलना में अधिक शक्ति प्रदान करने जा रहा है।
उत्तर प्रदेश सरकार का अनुमान है कि दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक जमावड़े में करीब 35 करोड़ श्रद्धालु आएंगे। अधिकारियों के मुताबिक, यह एक भव्य महाकुंभ होगा, जिसमें दिव्यता और आध्यात्मिकता के साथ-साथ आधुनिकता भी दिखाई देगी। यह एक तरह का ‘डिजी-कुंभ’ भी होगा, जिसमें एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाएगा।
10 हजार एकड़ में बसा सबसे बड़ा अस्थायी शहर
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि लगभग दस हजार एकड़ क्षेत्र में होने जा रहा यह आयोजन स्वच्छता, सुरक्षा और आधुनिकता के लिए एक अनुकरणीय मानक स्थापित करेगा। महाकुंभ के दौरान आयोजन स्थल दुनिया के सबसे बड़े अस्थायी शहर में तब्दील हो जाता है। इसमें एक बार में 50 लाख से एक करोड़ श्रद्धालु आ सकते हैं। महाकुंभ मेला क्षेत्र में 55 से अधिक थाने स्थापित किये गये हैं और लगभग 45 हजार पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगायी गयी है। संतों के 13 अखाड़े इस महाकुंभ में भाग ले रहे हैं। संगम क्षेत्र में 30 से अधिक पंटून पुल तैयार किए गये हैं। अखाड़ा क्षेत्र में अखाड़ों समेत विभिन्न संगठनों के शिविर पूरी भव्यता से स्थापित हो चुके हैं।
प्रमुख स्नान तिथियां
पौष पूर्णिमा 13 जनवरी, मकर संक्रांति 14 जनवरी, मौनी अमावस्या 29 जनवरी, बसंत पंचमी 3 फरवरी, माघी पूर्णिमा 12 फरवरी, महाशिवरात्रि 26 फरवरी