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उज्जैन में अयोध्या का टूटेगा रिकॉर्ड….महाकाल की महाशिवरात्रि 21 लाख दीयों से जगमगाएगी,10 मिनट में जलाने होंगे 12 लाख दीये

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महाशिवरात्रि पर मंगलवार को उज्जैन में ‘शिव ज्योति अर्पणम् महोत्सव’ मनाया जाएगा। यह अब तक का सबसे भव्य समारोह होगा। इस दिन पूरे शहर में 21 लाख दीये प्रज्ज्वलित किए जाएंगे। इनमें से 12 लाख दीप क्षिप्रा नदी के तट पर 10 मिनट में जलाकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराने का लक्ष्य रखा गया है। अब तक यह रिकॉर्ड श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या के नाम है।

Mahashivratri 2022 City of Mahakal Ujjain will be illuminated by 21 lakh  Deepak on Jyoti Arpanam Festival festival will make a world record

उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह के अनुसार, 1 मार्च को उज्जैन शहर इतिहास लिखेगा। 21 लाख दीयों का दीपोत्सव देखने के लिए आम लोगों को रात 8 बजे के बाद घाटों पर प्रवेश मिलेगा। दीप प्रज्ज्वलित करने और इसकी तैयारियां करने के लिए 1 मार्च की रात्रि 8 बजे तक घाटों पर पहुंचने वाले सभी मार्ग बंद रहेंगे।

सायरन की आवाज के साथ 10 मिनट में जलाने होंगे 12 लाख दीये
कार्यक्रम मंगलवार शाम 7 बजे प्रारंभ होगा। रामघाट पर सायरन बजने के साथ ही 12 लाख दीपक जलाने के लिए 10 मिनट का समय मिलेगा। दीपक जलने के बाद सबको पीछे हटना होगा। दूसरे सायरन की आवाज पर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की टीम इसे अपने कैमरे में कैद करेगी। सभी वॉलंटियर्स 7.30 बजे फ्री हो जाएंगे। घाटों पर एक साथ 6000 ब्लॉक के 120 सेक्टर में करीब 14 लाख दीपों को रखा जाएगा। दीपोत्सव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी यहां दीये जलाएंगे।

शहर में यहां भी जलेंगे बड़ी मात्रा में दीप
क्षिप्रा तट के अलावा महाकाल मंदिर में 51,000 दीये, मंगल नाथ मंदिर में 11000 दीये, कालभैरव मंदिर एवं घाट पर 10,000 दीये, गढ़कालिका मंदिर में 1,100 दीये, सिद्धवट मंदिर एवं घाट पर 6000 दीये, हरसिद्धि मंदिर में 5000 दीये, टावर चौक पर 1 लाख दीये और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर भी 2 लाख दीपक जलाए जाएंगे।

अयोध्या से कितना अलग होगा उज्जैन का दीपोत्सव

दीपक बनाने के टेंडर निकाले गए थे। दीये उज्जैन के अलावा देवास और इंदौर में भी बनकर तैयार हुए हैं।

मोमबत्ती से प्रज्ज्वलित होंगे दीये
दीयों को प्रज्ज्वलित करने के लिए 14 हजार मोमबत्ती भी तैयार की गई हैं। इन्हें 14 हजार लकड़ी की स्ट्रिप पर चिपकाने का काम तेजी से चल रहा है। इसके लिए दत्त अखाड़े में दिन रात 25 से अधिक लोग काम कर रहे हैं।

घाटों पर एक साथ 6000 ब्लॉक के 120 सेक्टर में 14 लाख दीयों को रखा जाएगा।

हर बचे सामान का होगा फिर से उपयोग
दीपोत्सव के बाद दीयों को रिसाइकिल किया जाएगा। दीये की मिट्टी से भगवान की प्रतिमा बनाकर शहर में स्थायी रूप से स्थापित की जाएगी। बचे तेल का उपयोग गौशाला आदि में खाद्य पदार्थों के लिए किया जाएगा। स्वयंसेवकों के पहचान-पत्र को रिसाइकिल कर कागज बनाया जाएगा। 3-R (REDUCE (कम उपयोग), RECYCLE (पुन: चक्रण), REUSE (पुन: उपयोग)) के तहत उद्यान में कुर्सियों, बेंच, बर्तन आदि बनाने के लिए लगभग 14,000 खाली तेल की बोतलों का दोबारा इस्तेमाल किया जाएगा।

दीप प्रज्जवलित करने ये संगठन आगे आए
13000 स्वयं सेवकों को क्षिप्रा घाट पर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए लगाया गया है, जिसके लिए 17593 स्व-पंजीकरण पहले ही किया जा चुका है। इसमें कॉलेजों से 2913, निजी स्कूलों से 1210, सरकारी स्कूलों से 3090, राष्ट्रीय सेवा योजना से 1023, खेल और युवा कल्याण से 552, तीर्थ पुरोहितों, पंडितों और अखाड़ों से 513, क्षत्रिय मराठा समुदाय से 56, कायस्थ समुदाय से 285 शामिल हैं। राठौर समुदाय से 95, गुजराती समुदाय से 120, सिंधी समुदाय से 100, अग्रवाल समुदाय से 173, सामाजिक संगठनों, समूहों, एनजीओ,सामाजिक कल्याण समूहों से 1027, कोचिंग संस्थानों से 1300, व्यावसायिक संगठनों से 111, राजनीतिक से 900 और पंचायत से 4000 एवं ग्रामीण क्षेत्रों के स्वयंसेवक द्वारा पंजीयन करवाया गया है।

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