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महुआ मोइत्रा संसद से लॉग आउट,सांसदी छीने जाने से गुस्से में लाल महुआ मोइत्रा

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ध्वनि मत से महुआ की सदस्यता खत्म करने की सिफारिश

नई दिल्ली । महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता रद्द करने की एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट को लोकसभा में स्वीकार कर लिया गया है। महुआ मोइत्रा ने लोकसभा से निष्कासित होने पर कहा, ‘मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं थे, लेकिन फिर भी कंगारू कोर्ट ने ये फैसला लिया क्योंकि मोदी सरकार के लिए अडानी ग्रुप जरूरी है।’

संसदीय एथिक्स कमेटी ने टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा से जुड़े ‘कैश फार क्वेरी’ मामले में लोकसभा में शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है। रिपोर्ट पेश होते ही विपक्षी सांसदों ने संसद में हंगामा शुरू हो गया, जिस वजह से लोकसभा को दोपहर 2 बजे तक स्थगित किया गया। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट में मोइत्रा की संसद सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की गई थी। दो बजे सदन शुरू होने पर करीब घंटे भर चर्चा के बाद सदन ने महुआ मोइत्रा की सदस्यता खत्म करने की सिफारिश को ध्वनि मत से स्वीकार कर लिया। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ने इसकी घोषणा कर दी।

लोकसभा स्पीकर के फैसले के बाद महुआ मोइत्रा ने केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर भड़ास निकाली है। संसद सदस्यता रद्द होने पर मोइत्रा ने कहा कि मैंने अडानी का मुद्दा उठाया था जिस वजह से मुझे संसद की सदस्यता से बर्खास्त किया गया है। एथिक्स कमिटी के सामने मेरे खिलाफ कोई भी मुद्दा नहीं था, कोई सबूत नहीं थे। बस उनके पास केवल एक ही मुद्दा था की मैंने अडानी का मुद्दा उठाया था।


विपक्षी सदस्यों ने टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के निष्कासन के प्रस्ताव को लोकसभा में स्वीकार करने के बाद वाक-आउट किया। सदन के बाहर महुआ मोइत्रा ने कहा कि सभी आरोप गलत हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने अडानी का मुद्दा उठाया था। उन्होंने पूछा कि उनके खिलाफ आरोप लगाने वाले बिजनेसमैन को क्यों नहीं बुलाया गया। मोइत्रा ने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई सदन का ध्यान भटकाने के लिए की गई है।


लोकसभा में बीजेपी सांसद विजय सोनकर ने महुआ मोइत्रा पर एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पेश की। लोकसभा के एजेंडे में रिपोर्ट पहले चार दिसंबर की सूची में थी, लेकिन रिपोर्ट को पेश नहीं किया गया। पिछले हफ्ते मोदी सरकार की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में टीएमसी नेताओं ने मोइत्रा को सदन से निष्कासित करने का कोई भी निर्णय लेने से पहले रिपोर्ट पर चर्चा की मांग की।


इस बीच बीएसपी सांसद दानिश अली ने कहा है कि अगर रिपोर्ट पेश की जाती है, तब वह पूर्ण चर्चा पर जोर दूंगा, क्योंकि मसौदा ढाई मिनट में अपनाया गया था। इससे पहले एथिक्स कमेटी के छह सदस्यों ने रिपोर्ट के पक्ष में अपना वोट दिया, विपक्ष के चार सदस्यों ने इस पर असहमति जताकर विरोध में वोट दिया। उन्होंने उसे फिक्स्ड मैच बताया।


दरअसल सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्रई ने सीबीआई में शिकायत करके महुआ मोइत्रा के खिलाफ संसद में सवाल पूछने के लिए पैसे लेने का गंभीर आरोप लगाया था। इस आरोप के बाद बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने मामले की जांच कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि वकील जय देहाद्रई ने आरोप लगाया है कि महुआ ने अडानी ग्रुप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने के लिए संसद की अपनी लॉग-इन आईडी उद्योगपति दर्शन हीरानंदानी दे दिया था।

महुआ मोइत्रा ने कहा, ‘मोदी सरकार ने सोचा कि मुझे चुप कराकर वे अडानी मुद्दे को खत्म कर देंगे, मैं आपको यह बता दूं कि इस कंगारू कोर्ट ने पूरे भारत को केवल यह दिखाया है कि अडानी आपके लिए कितना महत्वपूर्ण है, और आप एक महिला सांसद को समर्पण करने से रोकने के लिए उसे किस हद तक परेशान करेंगे।’

टीएमसी सांसद के रूप में अपने निष्कासन के बाद महुआ मोइत्रा ने कहा, ‘एथिक्स कमेटी के पास निष्कासित करने का कोई अधिकार नहीं है, यह आपके (बीजेपी) अंत की शुरुआत है।’ लोकसभा में महुआ मोइत्रा को टीएमसी सांसद के रूप में निष्कासित करने का प्रस्ताव पारित होने के बाद विपक्षी सांसद संसद परिसर से वॉकआउट कर गए। महुआ मोइत्रा के टीएमसी सांसद पद से निष्कासन पर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘यह आधारहीन तथ्यों के आधार पर और बदले की भावना से किया गया है।’

‘मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं’

लोकसभा सदस्यता खत्म होने पर टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा ने कहा कि मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें सदन में बोलने का मौका नहीं मिला। महुआ ने कहा, ‘लोकसभा स्पीकर का फैसला सिर्फ मेरे लॉग इन शेयर करने के आधार पर लिया गया। मेरे घर सीबीआई भेजी जाएगी और 6 महीने तक मुझे टॉर्चर किया जाएगा, मैं अगले 30 साल संसद के अंदर और बाहर लड़ती रहूंगी।’

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