Site icon अग्नि आलोक

रीवा को दिल्ली-मुंबई नहीं , एक अच्छा शहर बनाएं : अजय खरे

Share

पूंजीवादी विकास नहीं , जनसाधारण का विकास चाहिए

रीवा । समाजवादी जन परिषद के नेता अजय खरे ने कहा है कि रीवा के नगरीय चुनाव में राजनीतिक दल कथित  विकास का झुनझुना दिखाकर मतदाताओं को रिझाने में लगे हुए हैं । लोग कथित विकास के नाम पर छले जा रहे हैं । मूलभूत जरूरतों को नजरअंदाज करके लंबे समय से शहरवासियों को दिल्ली मुंबई जैसे महानगरों के सपने दिखाए जा रहे हैं । श्री खरे ने कहा कि रीवा की ऐतिहासिक पहचान और पर्यावरण को कायम रखते हुए उसका विकास होना चाहिए । दिल्ली मुंबई को विकास का पैमाना नहीं बनाया जा सकता जो आज भी मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं । विकास के नाम पर मची लूट के चलते रीवा का मूलभूत ढांचा ही बिगड़ गया है । विकास के नाम पर पूरा शहर दुकानीकरण का शिकार बन गया है । रीवा को एक अच्छा शहर बनाने की जरूरत है ।

श्री खरे ने कहा कि चुनाव में हो रही भारी फिजूलखर्ची एवं बड़े-बड़े कट आउट पोस्टर बाजी अत्यंत गैर जिम्मेदाराना है । चुनाव में कम से कम खर्च करके भी मतदाताओं के सामने अपनी बात रखी जा सकती है लेकिन देखने में आ रहा है मतदाताओं को आकर्षित करने चुनावी दुकानों की सजावट पर बेहद फिजूलखर्ची की जा रही है । बेहद खर्चीले चुनाव लोकतंत्र के लिए घातक एवं पूंजीपतियों के मददगार हैं , जिसका बोझ जनसाधारण पर पड़ेगा । रीवा को पूंजीवादी विकास नहीं जनसाधारण का विकास चाहिए ।

मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव के साथ-साथ नगरीय निकाय के चुनाव भी हो रहे हैं। रीवा नगर पालिक निगम में महापौर के चुनाव के साथ-साथ 4 5 वार्डो के पार्षदों का चुनाव हो रहा है । चुनाव वैचारिक आधार पर लड़े जाने के बजाए जातिगत धार्मिक आधार पर हो रहे हैं । मतदाताओं को भ्रमित करने का गंदा खेल शुरू है । पैसा दारू मुर्गा के आधार पर वोट लेने के हथकंडे भी शुरू हैं । शहर में जहां बड़े पैमाने पर धार्मिक स्थानों पर अतिक्रमण की बात किसी से छिपी नहीं है  , वहीं धर्म की आड़ में सार्वजनिक स्थानों और पार्कों में अतिक्रमण होने से अराजक माहौल देखने को मिल रहा है । समूचा प्रशासनिक अमला किंकर्तव्यविमूढ़ स्थिति में होने से कोई कार्यवाही नहीं हो पा रही है । लोगों को विकास की मृग मारीचिका में उलझाए रखा गया है । रीवा के ऐतिहासिक जय स्तंभ को बचाए जाने के लिए अभी तक किसी भी राजनीतिक दल ने इस बात को चुनावी मुद्दा नहीं बनाया है । विकास के नाम पर हो रही खुली लूट और सरकारी जमीनों को बड़े पूंजीपतियों के हवाले किए जाने की बात का कहीं स्पष्ट विरोध दिखाई नहीं दे रहा है । पूंजीपतियों से पैसा लेकर चुनाव लड़े जा रहे हैं , ऐसे में रीवा का विकास नहीं बल्कि पूंजीपतियों का विकास होगा । 

श्री खरे ने कहा कि रीवा शहर के अंदर बड़े पैमाने पर नियमों को ताक पर रखकर बहु मंजिलें इमारतों के निर्माण के चलते माहौल तंग और प्रदूषण का शिकार हो गया है । भू माफिया के बढ़ते दुष्प्रभाव के चलते समूचे नदी तटवर्ती क्षेत्र को ऊंचा और तंग बना दिया गया है , जिसके चलते परंपरागत बारिश होने की स्थिति में शहर डूबता नजर आएगा । शहर और आसपास के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हरे भरे पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से शहर का पर्यावरण बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ है । पूरा रीवा शहर बेढंगे विकास की विनाश लीला के चपेट में है । मनमाने तरीके से बनाए गए फ्लाई ओवरों के चलते मुख्य सड़कों का स्वरूप विकृत हो गया है । नए बस स्टैंड से बाणसागर कॉलोनी की ओर जाने वाली नीचे की सड़क फ्लाईओवर के चलते खतम जैसी हैं । शहर से गुजरने वाला पुराना राष्ट्रीय राजमार्ग मनमाने तरीके से बनाए गए फ्लाई ओवरों के चलते तंग गलियों में तब्दील हो गया है । फ्लाईओवर के नीचे बड़े पैमाने पर गलत तरीके से चलाए जा रहे दुकानीकरण से यातायात व्यवस्था बुरी तरह चौपट हुई है । फ्लाई ओवरों की भी हालत खस्ता होने से आम जीवन को बड़ा भारी खतरा बना हुआ है । 25 लाख आबादी वाले जिले में रीवा शहर की आबादी महज तीन लाख होने के बावजूद महानगर बनाए जाने के झूठे सपने दिखाकर लंबे समय से भ्रमित एवं ठगा जा रहा है । शहर में मीठे पानी के नाम पर बदबूदार और जहरीले पानी की आपूर्ति की जा रही है । पर्यावरण का विनाश करके रीवा शहर को बुरी तरह से कंक्रीट के जाल में जकड़ दिया गया है । शहर में 25 सालों से भी अधिक समय से एक ही पार्टी का महापौर रहा है लेकिन विकास के नाम पर पूंजीपति मालामाल हुए हैं । मामूली पानी गिरने पर भी कृत्रिम बाढ़ की चपेट में पूरा शहर आ जाता है । होने जा रहे चुनाव के दौरान यदि पानी गिरता है तो विकास की पूरी पोल खुल जाएगी । लंबे समय का कटु अनुभव यह है कि नदी में बाढ़ नहीं रहती लेकिन बमुश्किल आधे घंटे की बारिश में शहर कृत्रिम बाढ़ से जूझता नजर आता है । जब कभी बारिश होगी तो यही भयावह नजारा देखने को मिलेगा । श्री खरे ने कहा कि मौजूदा चुनाव प्रणाली में अच्छे उम्मीदवारों को ढूंढना काफी मुश्किल काम है । फिर भी रीवा शहर के 171000 मतदाताओं की यह बड़ी जवाबदारी बनती है कि नगरीय निकाय चुनाव में वह अच्छे प्रत्याशियों को तलाश करते हुए उन्हें विजयी बनाएं ।

Exit mobile version