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सांस्कृतिक वर्चस्ववाद के ख़िलाफ़ विद्रोह है मंजुल भारद्वाज रचित मराठी नाटक गोधडी !

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14वें विद्रोही साहित्य संस्कृति सम्मेलन में मंचित होगा नाटक ‘गोधड़ी’ !

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14वें विद्रोही साहित्य और संस्कृति सम्मेलन में 10 दिसम्बर,2022 को पुणे में मंचित होगा मंजुल भारद्वाज रचित नाटक ‘गोधड़ी’ !
सांस्कृतिक वर्चस्ववाद के ख़िलाफ़ विद्रोह है मंजुल भारद्वाज रचित मराठी नाटक गोधडी !

दुनिया में सबसे बड़े लोकतंत्र का गौरव भारत ने अहिंसा से हासिल कर विश्व को शांति का पथ दिखलाया. सबसे श्रेष्ठ संविधान से समता, समानता के मौलिक इंसानी अधिकार से अपने नागरिकों को देश का मालिक बना सबसे बड़ा साम्यवाद का सूत्र दुनिया को दिया.

फिर भी 70 साल बाद भारत में लोकतंत्र भीड़ तंत्र बन गया. विकारी सत्ता ने अहिंसा को तिलांजलि दे हिंसा को अपना हथियार बनाया. सामाजिक सौहार्द तहस नहस कर दिया. आज भारत की हवा में भय और नफ़रत पसरी है. विकारी संघ ने संस्कृति और संस्कार की दुहाई देकर सत्ता हासिल की है. संस्कृति और संस्कार के नाम पर समाज को हिंसक, क्रूर और धर्मान्ध बना दिया.

हमारी संस्कृति क्या है? क्या कभी हम सोचते हैं? संस्कृति के नाम पर हिंसा जनित त्यौहार और आडम्बर हमारे सामने परोसे जाते हैं. युद्ध ..युद्ध …युद्ध ..हिंसा विकार को पूजना क्या हमारी संस्कृति हैं ?

जी हाँ , विकारी संघ जिस संस्कृति,अस्मिता,धर्म के रक्षक होने का दम्भ भरता है उसका मूल है हिंसा. इसका मूल है वर्णवाद ! वर्णवाद है भारत की संस्कृति जो शोषण,असमानता,अन्याय और हिंसा से चलती है.

वर्णवाद इतना ज़हरीला है कि मनुष्य को मनुष्य नहीं समझता. पशु को माता बनाकर पूजता है और मनुष्य को अछूत समझता है. वर्णवाद वर्चस्ववाद से आत्म कुंठित अप संस्कृति को पैदा करता है जो मानवता के नाम पर कलंक है.

भारत की आत्मा हैं गाँव. भारत की आत्मा में वर्णवाद का दीमक लगा है. पूरा गाँव वर्णवाद को पूजता है. कभी गाँव को गौर से देखिये आपको वर्णवाद के शोषण की चीत्कार सुनाई देगी. 70 साल में संविधान सम्मत भारत के सपने को साकार नहीं होने दिया वर्णवाद ने.

संविधान सम्मत भारत बनाने के लिए भारत के गाँव से वर्णवाद का खात्मा अनिवार्य है. नाटक गोधडी वर्णवादी संस्कृति के खिलाफ विद्रोह है. नाटक गोधडी भारत के गाँव को वर्णवाद से मुक्त कराने का प्रण है. नाटक गोधडी समता का अलख है, मानवीय ऊष्मा है. हिंसा के विरुद्ध अहिंसा का आलोक है. गोधडी भारतीय संस्कृति का आत्मशोध है !

नाटक : गोधडी (मराठी)
लेखक –निर्देशक : मंजुल भारद्वाज
कब : 10 दिसम्बर,2022, शनिवार, शाम 5.00 बजे
कहाँ : साने गुरूजी स्मारक, सिंहगढ़ रोड, पुणे !
कलाकार : अश्विनी नांदेडकर,सायली पावसकर,कोमल खामकर, प्रियंका कांबळे, तुषार म्हस्के,संध्या बाविस्कर, तनिष्का लोंढे, प्रांजल गुडीले, नृपाली जोशी,प्रांजल जोशी, आरोही बाविस्कर और अन्य कलाकार !


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