जयपुर । राजस्थान की राजधानी में बड़ा सियासी उलटफेर देखने को मिला है. यहां कांग्रेस बड़ा झटका देते हुए 8 पार्षद बीजेपी में शामिल हो गए. इसके बाद बीजेपी सरकार ने जयपुर हेरिटेज नगर निगम मेयर मुनेश गुर्जर को हटाने के बाद अब निर्दलीय पार्षद कुसुम यादव को कार्यवाहक मेयर बना दिया है. राजस्थान की भजनलाल सरकार ने कांग्रेस की मेयर मुनेश गुर्जर को एसीबी में भ्रष्टाचार के मामले के चलते निलंबित कर दिया था. कुसुम यादव बीजेपी के टिकट पर भी 2020 में पार्षद का चुनाव लड़ चुकी हैं.
आरोप है कि मुनेश गुर्जर जमीन के पट्टों की फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं करती थीं और इसके बदले उनके पति लोगों से रिश्वत मांगते थे. उन्हें एसीबी ने गहलोत सरकार के दौरान ट्रैप किया गया था. अब उसी को लेकर बीजेपी सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया था. लेकिन बीजेपी के सामने अपना मेयर नियुक्त करने के लिए बड़ी चुनौती ये थी कि पार्टी के पास बहुमत के लिए 8 पार्षद कम थे. ऐसे में कांग्रेस के आठ पार्षदों ने मंगलवार को बीजेपी का हाथ थाम लिया. और इसके चलते बीजेपी ने अपने समर्थन से निर्दलीय पार्षद कुसुम यादव को जयपुर का कार्यवाहक मेयर बना दिया.
कुसुम यादव को कार्यवाहक मेयर नियुक्त करते हुए राजस्थान के स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक एवं विशिष्ट सचिव कुमार पाल गौतम ने कहा, “23 सिबंतर को नगर निगम जयपुर हैरिटेज मेयर मुनेश गुर्जर को निलंबित किया गया है. मेयर पद अन्य पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित है. ऐसे में राज्य सरकार ने राजस्थान नगरपालिका अधिनियम, 2009 की धारा 50 (1) (iv) (क) में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए मेयर पद पर पार्षद वार्ड संख्य 74 कुसुम यादव को अधिकृत किया जाता है.”
जयपुर महापौर के लिए चाहिए इतनी संख्या
जयपुर हैरिटेज नगर निगम में कुल 100 पार्षदों की सीटें हैं. किसी भी पार्टी को बहुमत के लिए 51 पार्षदों की जरूरत होती है. साल 2020 के नगर निगम के चुनाव के परिणामों के मुताबिक बीजेपी के 42 पार्षद, कांग्रेस के 47 पार्षद और 11 पार्षद निर्दलीय चुनाव जीते थे. इनमें से 9 ने कांग्रेस पार्टी को अपना समर्थन दिया था. 2 ने भारतीय जनता पार्टी को समर्थन दिया था. बीजेपी में शामिल होने वाले पार्षदों में मनोज उत्तम शर्मा, मोहम्मद जकरिया, मुद्गल, सुशीला देवी, ज्योति चौहान, अरविंद मेठी, संतोष कंवर और पारस जैन शामिल हैं. सभी पार्षदों ने बिना शर्त हस्ताक्षर युक्त समर्थन पत्र बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ और यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा को सौंपा था.
एसीबी ने कांग्रेस मेयर के पति को किया था गिरफ्तार
बता दें कि पिछले साल 4 अगस्त को एसीबी ने मुनेश गुर्जर के आवास पर छापा मारा था, जहां उनके पति सुशील गुर्जर और दो दलाल नारायण सिंह और अनिल दुबे को 2 लाख रुपये की रिश्वत के साथ गिरफ्तार किया गया था. छापे में लीज संबंधी फाइलें भी मिली थीं. सुशील गुर्जर के घर से 41 लाख रुपये और दलाल नारायण सिंह के घर से 8.95 लाख रुपये मिले थे.
जांच में महापौर गुर्जर के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की पुष्टि हुई. छापे के एक दिन बाद ही तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने गुर्जर को महापौर पद से निलंबित कर दिया था. हालांकि, उन्हें हाईकोर्ट से राहत मिल गई थी. जांच के दौरान एसीबी ने गुर्जर की संलिप्तता पाई, जिसके बाद ब्यूरो ने उनके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने के लिए अभियोजन स्वीकृति मांगी थी. राज्य सरकार ने कुछ दिन पहले ही गुर्जर के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति दी थी.