अग्नि आलोक

 *दांडी यात्रा और वायकोम सत्याग्रह की याद* 

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इंदौर ।

गांधी जयंती के अवसर पर इप्टा, प्रलेस और अन्य प्रगतिशील जनसंगठनों द्वारा इंदौर में रुस्तम का बाग़ीचा स्थित संत रविदास धर्मशाला में स्थानीय रहवासियों के बीच एक कार्यक्रम आयोजित किया  I कार्यक्रम देशभर में चल रही “ढाई आखर प्रेम” की राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा के अंतर्गत आयोजित किया गया था।

इस अवसर पर महात्मा गांधी के दो महत्वपूर्ण आंदोलन- नमक सत्याग्रह और वायकोम सत्याग्रह पर फिल्म के अंशों का प्रदर्शन किया गया।  

नमक सत्याग्रह , दांडी पर चर्चा करते हुए  डॉ  जया  मेहता ने बताया कि  ब्रिटिश नमक एकाधिकार कानून के खिलाफ  अहिंसक विरोध करते हुए यह यात्रा गांधी जी के नेतृत्व में की गई थी जिसमें गांधी जी ने अपने 78 विश्वस्त स्वयंसेवकों के साथ इस मार्च की शुरुआत की। यह यात्रा साबरमती आश्रम से दांडी तक 387 किलोमीटर (240 मील) तक की गई थी । यात्रा के दौरान हज़ारों देशवासी उसमें शामिल हुए।  जब गांधीजी ने 6 अप्रैल 1930 को सुबह 8:30 बजे ब्रिटिश राज के नमक कानून को तोड़ा , तो इससे लाखों भारतीयों द्वारा नमक कानूनों के खिलाफ बड़े पैमाने पर सविनय अवज्ञा की कार्रवाई शुरू हो गई। 

वायकोम सत्याग्रह पर  चर्चा करते हुए विनीत तिवारी ने कहा कि 1924–25 में अस्पृश्यता की कुप्रथा के विरुद्ध त्रावणकोर (केरल) में चलाया गया था। इसका उद्देश्य निम्न जातीय एझवाओं एवं अछूतों द्वारा अहिंसावादी तरीके से त्रावणकोर के एक मंदिर के निकट की सड़कों के उपयोग के बारे में अपने अधिकारों को मनवाना था।  इस आन्दोलन का नेतृत्व एझवाओं के कांग्रेसी नेता टी. के. माधवन, के. केलप्पन तथा के. पी. केशवमेनन ने किया।   30 मार्च, 1924 को के.पी. केशव के नेतृत्व में सत्याग्रहियों ने मंदिर के पुजारियों तथा त्रावनकोर की सरकार द्वारा मंदिर में प्रवेश को रोकने के लिए लगाई गई बाड़ को पार कर मंदिर की ओर कूच किया। सभी सत्याग्रहियों को गिरफ़्तार किया गया। ये  आंदोलन स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण पड़ाव थे। 

कार्यक्रम में  शर्मिष्ठा बनर्जी ने गांधी जी का प्रिय भजन  “वैष्णव जन तो तेने कहिए रे, पीर पराई जाने रे” और शैलेन्द्र के लिखे जनगीत प्रस्तुत किए गए। 

कार्यक्रम में क्षेत्रीय पार्षद श्रीमती सैफू वर्मा के अतिरिक्त बड़ी संख्या में रहवासी और इप्टा इंदौर के प्रमोद बागड़ी ,  विजय दलाल, श्री अशोक दुबे, श्री अरविंद पोरवाल, श्री तौफीक, रवि शंकर ,अथर्व शिंतरे , सुश्री महिमा आदि भी मौजूद थे ।

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