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मेधावी विद्यार्थियों को चार साल नहीं मिले हैं लैपटॉप

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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चाहते हैं कि बच्चों की परीक्षा फीस में से 222 करोड़ रुपए के लैपटॉप खरीदे जाएं

एस पी मित्तल, अजमेर 

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चाहते हैं कि प्रदेश का शिक्षा बोर्ड 10वीं और 12वीं के परीक्षार्थियों से जो फीस वसूलता है, उस फीस में प्रदेश के उन 93 हजार मेधावी विद्यार्थियों को लैपटॉप दिए जाएं। सरकार की घोषणा है कि 8वीं, 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षा में जिन विद्यार्थियों ने 75 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं, उन सभी तीन साल इंटरनेट फ्री वाला लैपटॉप दिया जाए। गहलोत सरकार की कंगाली की वजह से गत चार वर्षों से मेधावी विद्यार्थियों को लैपटॉप नहीं दिए जा सके, इसलिए पात्र विद्यार्थियों की संख्या 93 हजार हो गई है। एक लैपटॉप की कीमत 23 हजार 900 रुपए आंकी गई है। ऐसे राज्य सरकार को 222 करोड़ रुपए चाहिए। चूंकि यह चुनावी वर्ष है और अशोक गहलोत हर कीमत पर अपनी सरकार की वापसी चाहते हैं। यही वजह है कि गहलोत सरकार ने अजमेर स्थित माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को निर्देश दिए हैं कि 93 हजार लैपटॉप खरीदे जाए। सरकार के इस आदेश से बोर्ड मुख्यालय में हड़कंप मच गया है, क्योंकि बोर्ड की आय का मुख्य स्त्रोत विद्यार्थियों से ली जाने वाली परीक्षा फीस ही है। बोर्ड 10वीं और 12वीं के विद्यार्थियों से जो फीस लेता है उससे करीब 200 करोड़ रुपए की आय होती है। यह राशि परीक्षा आयोजन पर खर्च हो जाती है। बोर्ड के पास कुछ राशि पूर्व की है, गहलोत सरकार पुरानी जमा राशि को ही खुर्द बुर्द करवाना चाहती है। जबकि ऐसी जमा राशि मुसीबत के समय काम में ली जाती है। पूर्व में लैपटॉप की  खरीद शिक्षा विभाग के द्वारा ही होती रही है, लेकिन अब शिक्षा विभाग भी कंगाली के दौर से गुजर रहा है। ऐसे में गहलोत सरकार ने बोर्ड के विद्यार्थियों पर ही लैपटॉप का बोझ डाल दिया है। सरकार के आदेश आने के बाद बोर्ड के बड़े अधिकारी तो चुप हैं, लेकिन बोर्ड कर्मचारी यूनियनों ने लैपटॉप खरीदने पर कड़ा एतराज जताया है। यूनियनों के प्रतिनिधियों का कहना है कि परीक्षा फीस में से लैपटॉप कैसे खरीदे जा सकते हैँ? मेधावी विद्यार्थियों को लैपटॉप देने की घोषणा सरकार की है, इसलिए लैपटॉप भी सरकार को ही खरीदने चाहिए। बोर्ड की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है, जिसमें से 222 करोड़ रुपए वहन किए जा सके। प्रतिनिधियों ने कहा कि यदि बोर्ड अधिकारियों ने सरकार के दबाव में आकर लैपटॉप खरीदे तो आंदोलन किया जाएगा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अक्सर कहते हैं कि घोषणाओं को पूरा करने के लिए वे जादू से पैसा लाएंगे। वे जादूगर है और जादू से पैसा लाने की कला जानते हैं। यदि शिक्षा बोर्ड 222 करोड़ रुपए के लैपटॉप खरीदता है तो यह जादू से पैसा लाना ही होगा। यह बात अलग है कि सका ओझ प्रदेश के विद्यार्थियों पर ही पड़ेगा।

देवनानी का विरोध:

93 हजार मेधावी विद्यार्थियों के लिए लैपटॉप खरीदने की खबर 29 अप्रैल को दैनिक भास्कर के डिजिटल एप पर प्रसारित हुई। एप के अजमेर स्थित प्रभारी सुनील जैन ने अपनी रिपोर्ट में यह बताया कि राज्य सरकार ने लैपटॉप खरीदने को जो आदेश दिए हैं उस पर शिक्षा बोर्ड ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। हालांकि कमेटी की रिपोर्ट अभी तक सामने नहीं आई है, लेकिन बोर्ड के अधिकारियों पर यह दबाव बना हुआ है कि जल्द से जल्द लैपटॉप खरीदे जाए। वहीं पूर्व शिक्षा मंत्री और भाजपा के विधायक वासुदेव देवनानी ने विद्यार्थियों की फीस से लैपटॉप खरीदने का कड़ा विरोध किया है। देवनानी ने कहा कि पूर्व में जब राज्य सरकार लैपटॉप खरीदती रही है, तब शिक्षा बोर्ड पर आर्थिक बोझ क्यों डाला जा रहा है। देवनानी ने इस बात पर भी अफसोस जताया कि गत चार वर्ष से मेधावी विद्यार्थी लैपटॉप से वंचित रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत दावे तो बहुत से करते हैं, लेकिन ऐसे दावे झूठे साबित होते हैं। देवनानी ने शिक्षा बोर्ड के प्रशासक और संभागीय आयुक्त बीएल मेहरा को भी चेताया है कि वे लैपटॉप खरीदने का निर्णय नहीं लें, क्योंकि बोर्ड की आय का मुख्य स्रोत परीक्षा शुल्क ही है। 

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