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दो से तीन साल बाद ही ड्राइवर लेस हो सकेगी मेट्रो ट्रेन

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इंदौर।  मेट्रो प्रोजेक्ट का काम इंदौर-भोपाल  में तेज गति से चल रहा है। दोनों जगह अगस्त-सितम्बर में ट्रायल रन का लक्ष्य रखा गया है। पिछले दिनों अल्स्टॉम ट्रांसपोर्ट इंडिया को इंडिया-भोपाल मेट्रो में लगने वाले 156 कोच यानी डब्बों का ठेका दिया गया, जिसकी राशि 3248 करोड़ होती है। इसमें कम्पनी 15 साल तक रख-रखाव के साथ सिग्नलिंग और ट्रेन नियंत्रण और दूर संचार प्रणालियों का भी 7 साल तक रख-रखाव करेगी। आज विभागीय मंत्री सहित अफसर रेल कोच बनाने वाली कम्पनी के बडोदरा स्थित संयंत्र पर पहुंचे हैं और रोलिंग स्टॉक यानी कोच निर्माण कार्य को हरी झंडी दिखाएंगे। 31 अगस्त तक 3-3 कोच की एक-एक मेट्रो ट्रेन इंदौर और भोपाल पहुंच जाएगी।

मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कार्पोरेशन के एमडी मनीष सिंह ने कार्यभार संभालने के बाद दोनों जगह प्रोजेक्टों के निर्माण की गति बढ़वा दी, ताकि मुख्यमंत्री की मंशा अनुरूप अगस्त-सितम्बर में ट्रायल रन हो सके। इंदौर में मेट्रो ट्रेन के प्रायोरिटी कॉरिडोर जो कि साढ़े 5 किलोमीटर लम्बा है उस पर ट्रायल रन लिया जाना है। लिहाजा अभी जो पटरियों की खेप इंदौर पहुंची है उसे डिपो और प्रायोरिटी ट्रैक पर बिछाने की तैयारियां भी जोर-सोर से जारी है। दूसरी तरफ रेलवे कोच को तैयार करवाने का काम भी कम्पनी की फैक्ट्री में शुरू हो रहा है। उल्लेखनीय है कि अल्स्टॉम ट्रांसपोर्ट इंडिया को इंदौर-भोपाल मेट्रो में इस्तेमाल होने वाले कोच यानी डब्बों के निर्माण सहित रख-रखाव का ठेका दिया गया है। अग्निबाण ने ही सबसे पहले इसका खुलासा किया था। 3248 करोड़ में दिए गए इस ठेके में इंदौर मेट्रो के 75 कोच और भोपाल मेट्रो के 81 कोच शामिल रहेंगे। भोपाल में तीन कोच की 27 ट्रेन, जबकि इंदौर में तीन कोच की 25 ट्रेन चलना है। अभी ट्रायल रन के लिए एक-एक ट्रेन इंदौर और भोपाल को 31 अगस्त तक मिलेगी, जिनमें तीन-तीन कोच रहेंगे। वैसे तो दिसम्बर 2026 में इंदौर-भोपाल मेट्रो के पहले चरण को शुरू किया जाना है, जिसमें इंदौर में 31.46 और भोपाल में 30.95 किलोमीटर का पहला चरण तय किया गया है। आज नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह, प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई, मेट्रो के प्रबंध संचालक मनीष सिंह, परियोजना निदेशक अजय शर्मा व अन्य अधिकारी बडोदरा संयंत्र पहुंचे हैं, जहां कोच निर्माण का विधिवत शुभारंभ होगा।

142 करोड़ शासन से, तो 20 फीसदी केन्द्र से मिलेगी राशि
अभी मध्यप्रदेश शासन ने जो अपना सालाना बजट पेश किया उसमें 710 करोड़ रुपए मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए रखे गए हैं, जिसमें से इस वर्ष 20 फीसदी शेयर आबंटन किए जाएंगे, यानी 142 करोड़ रुपए की राशि शासन देगा। जबकि 20 फीसदी का शेयर केन्द्र सरकार से मिलेगा, जिससे दोनों प्रोजेक्टों को गति मिलेगी। वहीं आज से मेट्रो के डिब्बे यानी कोच का निर्माण भी शुरू हो जाएगा, जिसके लिए मंत्री सहित अफसरों की टीम कम्पनी के गुजरात बडोदा स्थित सावली संयंत्र यूनिट पहुंची है। पहली खेप में 6 कोच इंदौर-भोपाल को ट्रायल रन के लिए मिलेंगे।
दो से तीन साल बाद ही ड्राइवर लेस हो सकेगी मेट्रो ट्रेन
यह भी उल्लेखनीय है कि देश में अभी केवल दिल्ली मेट्रो की एक लाइन में अनअटेंडेंट ट्रेन ऑपरेशन मोड की तनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसमें बिना ड्राइवर या ऑपरेटर के ट्रेन का संचालन होता है। अभी शुरुआत में तो इंदौर-भोपाल में ड्राइवर और ट्रेन ऑपरेटरों से ही मेट्रो चलेगी, लेकिन भविष्य में यानी दो-तीन साल बाद ड्राइवर लेस तकनीक का इस्तेमाल मेट्रो में होगा। अभी इंदौर-भोपाल में इस तकनीक के इस्तेमाल के आधार पर ही प्रोजेक्ट को अमल में लाया जा रहा है।

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