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मंत्री महेश जोशी का टिकट कटना सीएम गहलोत को व्यक्तिगत झटका

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एस पी मित्तल अजमेर

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चार नवंबर को नाथद्वारा से कांग्रेस के उम्मीदवार और विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के  नामांकन में भाग लिया। नामांकन के बाद हुई एक चुनावी सभा में गहलोत ने कहा कि कांग्रेस को बहुमत मिलने पर नाथद्वारा को भी जिला बना दिया था जाएगा तथा यहां के विधायक सीपी जोशी को दोबारा से विधानसभा का अध्यक्ष बनाया जाएगा। सवाल उठता है कि गहलोत ने यह घोषणा किस हैसियत से की। क्या अशोक गहलोत स्वयं को अभी से ही चौथी बार राजस्थान का मुख्यमंत्री मान रहे हैं? किसी विधायक को विधानसभा का अध्यक्ष बनाना अपने आप में बहुत बड़ा निर्णय है। कांग्रेस ने तो यही माना जाता है कि इतने महत्वपूर्ण पद पर हाईकमान ही निर्णय लेता है। लेकिन चार नवंबर को जिस आत्म विश्वास के साथ जोशी को विधानसभा अध्यक्ष बनाने की घोषणा की उस से जाहिर है कि कांग्रेस को बहुमत मिलने पर गहलोत ही मुख्यमंत्री होंगे। कांग्रेस के घोषित उम्मीदवारों में सौ से भी ज्यादा उम्मीदवार गहलोत के समर्थक हैं। समर्थकों को लगता है कि बहुमत मिलने पर गहलोत ही मुख्यमंत्री होंगे। सीपी जोशी को दोबारा से विधानसभा अध्यक्ष बनाने के साथ साथ गहलोत ने स्वयं के मुख्यमंत्री बनने की भी घोषणा कर दी है।

व्यक्तिगत झटका:

अशोक गहलोत भले ही सीपी जोशी को दोबारा से विधानसभा अध्यक्ष बनाने की घोषणा कर रहे हों, लेकिन जलदाय मंत्री महेश जोशी का जयपुर के हवामहल विधानसभा क्षेत्र से टिकट कटना गहलोत को व्यक्तिगत झटका है। सब जानते हैं कि गहलोत को मुख्यमंत्री बनाए रखने में महेश जोशी की महत्वपूर्ण भूमिका रही। जोशी ने गत वर्ष 25 सितंबर को गहलोत के समर्थन में 80 विधायकों को एकत्रित करने में भूमिका तो निभाई थी, साथ ही अगस्त 2020 में जब राजनीतिक संकट आया तो सचिन पायलट और उनके समर्थक 18 विधायकों के खिलाफ भी देशद्रोह का मुकदमा महेश जोशी ने ही दर्ज कराया था। यानी गहलोत को मुख्यमंत्री बनाए रखने के लिए अपना सब कुछ दाव पर लगा दिया। लेकिन सीएम गहलोत अब जोशी को हवा महल से उम्मीदवार बनवाने में विफल रहे हैं। चार नवंबर को जारी सूची में जयपुर शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष आरआर तिवारी को हवा महल से उम्मीदवार घोषित कर दिया गया है। टिकट नहीं मिलने से जोशी और उनके समर्थक मायूस है। देखना होगा कि अशोक गहलोत महेश जोशी की मायूसी को किस प्रकार से दूर करते हैं।

कोटा मॉडल का क्या होगा:

जानकार सूत्रों का मानना है कि अशोक गहलोत को ही मुख्यमंत्री बनाने की जिद करने के लिए हाईकमान ने तीन मंत्रियों को अनुशासनहीनता का नोटिस दिया था। इसमें महेश जोशी के साथ साथ शांति धारीवाल और आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ भी शामिल हैं। अब यदि कोटा से धारीवाल का टिकट भी कटता है तो सवाल उठता है कि कोटा मॉडल का क्या होगा?  विगत दिनों कोटा में विकास कार्यों का लोकार्पण करते हुए सीएम गहलोत ने कहा था कि हम विधानसभा चुनाव में कोटा के विकास मॉडल को जनता के सामने रखेेंगे। कोटा में हुए विकास कार्यों की तरह ही प्रदेश के हर शहर में विकास करवाया जाएगा। लेकिन अब जब 6 नवंबर को नामांकन की अंतिम तिथि है, तब तक कोटा से कांग्रेस का उम्मीदवार घोषित नहीं हुआ है। इससे प्रतीत होता है कि महेश जोशी की तरह धारीवाल को भी उम्मीदवार नहीं बनाया जाएगा। धर्मेन्द्र राठौड़ भी अजमेर उत्तर से टिकट मांग रहे हैं, लेकिन उनकी उम्मीदवारी पर भी तलवार लटकी हुई है। 

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