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मोनू मानेसर के घरवाले तीर्थयात्रा पर :मर्डर का आरोपी लोगों के लिए हीरो

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गुरुग्राम से करीब 18 किलोमीटर दूर हरियाणा का मानेसर। करीब 31 हजार आबादी वाले इस शहर का एक नाम देश भर में चर्चा में है- मोहित यादव या मोनू मानेसर। नई उम्र के लड़के उसके फैन हैं, तो बुजुर्ग उसे हिंदू धर्म का रखवाला मानते हैं।

मोनू पर एक महीने में तीन मुस्लिमों की हत्या का आरोप लग चुका है। तीनों को गो-तस्कर होने के शक में पीटा गया था। हालांकि, मानेसर के लोग मोनू को हीरो मानते हैं। पलटकर सवाल करते हैं- ‘क्या गायों को बचाना अपराध है, क्या हिंदू सिर्फ गाय कटते देखते रहे। मोनू हिंदू धर्म का रक्षक है।’

मोनू के किराएदार और उसके गोरक्षा दल से जुड़े विनय कुमार सिंह की बात से इसका अंदाजा हो जाता है। विनय कहते हैं- ‘मोनू भाई हमारी गौमाता को बचा रहे हैं, जिसे ‘ये’ लोग काट रहे हैं। इसके सिवा उन्होंने कुछ नहीं किया। मोनू के नाम पर कांग्रेस और BJP राजनीति कर रही हैं। मोनू ने किसी की हत्या नहीं की। यह CCTV कैमरे की फुटेज से भी साबित हो गया है। हम लोग चाहते हैं कि मामले की CBI जांच हो।’

मोनू के घर में 4 CCTV कैमरे लगे हैं, इनमें 3 घर के अंदर और एक गली की ओर लगा है। मोनू ने CCTV फुटेज जारी कर दावा किया था कि जुनैद और नासिर की हत्या वाले दिन वह घर में था।

हिंदू अगर गायों को बचाने का संकल्प ले, तो क्या ये गलत है
मैंने मानेसर पहुंचकर मोनू के बारे में पता किया तो लोग बचते नजर आए। उसका घर कहां है, कोई ये तक बताने को तैयार नहीं था। करीब आधा किमी चलने पर एक लड़के ने उस गली के बारे में बताया, जहां मोनू रहता है। फिर ये भी कहा कि ‘किसी को मेरा नाम नहीं बताना।’

मैंने उससे पूछा, ‘मोनू कैसा लड़का है?

जवाब मिला- ‘जैसा मीडिया दिखा रहा है, वैसा तो बिल्कुल नहीं। गांव में उसने कभी लड़ाई-झगड़ा नहीं किया। वो तो बहुत मिलनसार है, सबकी मदद करता है। वह दबंग नहीं है, गुंडा भी नहीं है। कोई हिंदू अगर गायों को बचाने का संकल्प ले, तो क्या गलत है। मोनू अपनी टीम के साथ तस्करों से गायों को छुड़ाने जाता है, किसी की हत्या करने नहीं। वह कभी किसी का कत्ल नहीं कर सकता। गांव में वह सबका चहेता है।’

लड़के ने बताया, ‘फिलहाल गांव वालों ने सिर्फ पंचायत में बोलने का फैसला लिया है। हम नहीं चाहते कि किसी की कोई भी बात मोनू को नुकसान पहुंचाए।’

मोनू के घर में ताला, घरवाले तीर्थ यात्रा पर गए
मैं मोनू मानेसर के घर वाली गली के पास पहुंची। आसपास की दुकान पर और वहां खड़े लोगों से उसके घर का पता पूछा। हम 150 मीटर के दायरे में 20-25 मिनट तक घूमते रहे, बार-बार पूछते रहे, लेकिन किसी ने मोनू का घर नहीं बताया।

मतलब साफ है, कोई नहीं चाहता कि ऐसा जर्नलिस्ट मोनू के घर पहुंचे, जिसे वे पहले से नहीं जानते। खैर, मैंने उसी लड़के को फोन किया, जिसने मुझे गली का पता दिया था। थोड़ी ना-नुकुर के बाद उसने घर के बारे में बता दिया।

मानेसर में मोनू का घर, यहां अभी सिर्फ एक किराएदार रह रहे हैं। मोनू जुनैद और नासिर की हत्या के बाद से अंडरग्राउंड है। परिवार भी घर पर नहीं है।

अब मेरे पास मोनू के घर का पता था। एक गली से आगे बढ़े, तो सामने बड़ा सा गेट दिखा। गेट बंद है, अंदर तिरंगा लहरा रहा है। मैं सीधे घर में चली गई। मोनू मानेसर यहीं रहता है। मैं घर के बरामदे में दाखिल हुई, तो सामने हुक्का गुड़गुड़ाते कुछ लोग मिले। एक कमरे में ताला लटक रहा था, सामने दो गाय बंधी थीं। हुक्के के सामने बैठे एक शख्स से मैंने बातचीत शुरू की। यही विनय कुमार सिंह है, जो मोनू के यहां किराए पर रहते हैं। मैंने बात शुरू की…

मोनू कहां है?
विनय-
 पता नहीं। हमारी बात 16 तारीख से नहीं हुई।

उसके घर वाले कहां हैं?
विनय- शिवरात्रि पर अयोध्या गए हैं।

मैंने विनय को भरोसे में लिया और कहा, मैं मोनू के बारे में जानने आई हूं। आप कह रहे वह कातिल नहीं है, तो वह कैसा है, बस यही लोगों को बताना चाहते हैं।

किसी तरह विनय कुमार सिंह राजी हुए। कहा- ‘मोनू के घरवाले 18 फरवरी को शिवरात्रि मनाने अयोध्या गए हैं। एक-दो दिन में वापस आएंगे।’ हालांकि, उन्होंने कैमरे पर अयोध्या की जगह हरिद्वार का नाम लिया। इससे पता चला कि घरवाले कहां है, बताने की मनाही है।

हरियाणा के नगीना में राजस्थान पुलिस ने 17 फरवरी को बजरंग दल के श्रीकांत शर्मा के घर छापा मारा था। श्रीकांत मोनू का साथी है और 16 फरवरी को मिली दो मुस्लिम लड़कों की जली हुई लाशों के केस में हत्या का आरोपी है। श्रीकांत के घर छापे के अगले दिन से ही मोनू के दो में से एक कमरे में ताला लगा है। दरअसल, मोनू के बड़े से दिखने वाले घर में सिर्फ तीन कमरे हैं। दो में वह और उसका परिवार रहता है।

परिवार में मां, पत्नी और एक बच्चा है। तीसरे कमरे में एक किराएदार रहता है। बाकी का हिस्सा मोनू के ताऊ और चाचा का है। उसमें किराएदार ही रहते हैं। मोनू की गायों और एक कुत्ते की देखरेख अभी किराएदार ही कर रहे हैं।

हम भी गाय छुड़ाने जाते हैं, पूरे हरियाणा में मोनू भाई का नेटवर्क
मैंने विनय सिंह से पूछा– ‘मोनू की टीम को गाय तस्करी की सूचना कैसे मिलती है? जवाब में विनय सिंह कहते हैं, ‘मानेसर ही नहीं, बल्कि पूरे हरियाणा में मोनू भाई का नेटवर्क है। वह बजरंग दल से जुड़े हैं। उनका नेटवर्क तो है ही, उनकी अपनी बहुत बड़ी टीम है। 250 से 500 लोग उनके साथ हैं। जो भी गाय को मां मानता है, वह कुछ गलत होने पर हमें खबर दे देता है। हम पुलिस को सूचना देते हैं। पुलिस की एक टीम हमारे साथ जाती है। गोवंश छुड़ाकर हम तस्करों को पुलिस के हवाले कर देते हैं।’

आप कभी मोनू के साथ गए हैं?

‘हां, अगर वह कहते हैं और मेरे पास समय होता है, तो मैं भी जाता हूं। हालांकि, मैं ऑटो चलाता हूं। मेरा काम सड़क पर घायल पड़े गाय-बैलों के बारे में मोनू भाई को बताना है।’

गोरक्षा टीम यह काम भी करती है, विनय ने जवाब दिया– ‘हां’।

विनय से बात कर मैं मोनू के घर से निकल गई। गौरक्षा दल के एक मेंबर से मिली, वह बात करने के लिए तैयार हो गया, लेकिन पहचान छिपाने की गुजारिश की। उसने बताया, ‘पूरे हरियाणा में गायों को बचाने के लिए अलग-अलग दल हैं, जैसे बजरंग दल, गौरक्षा दल और गोपुत्र सेना।’

‘इसके अलावा आम लोग जिनकी गाय और हिंदू धर्म में श्रद्धा है, वह हमारी सेना के सिपाही हैं। कुल मिलाकर हरियाणा में 15-20 हजार लोग गोरक्षा के लिए एक नेटवर्क की तरह काम करते हैं। पुलिस हमें पूरा सपोर्ट करती है। हम पूरी तरह से कानूनी दायरे में रहते हुए काम करते हैं।’

सब्जी बेच रहे बुजुर्ग बोले- मोनू हिंदू धर्म का रक्षक, हम उसके साथ हैं…
मोनू के घर की तरफ जाने वाली गली के बाहर ही सब्जी की दुकान है। दुकानवाले से मोनू के बारे में सवाल किया, तो एकदम से भड़क गया। पूछने लगा- ‘आप हिंदू हैं, क्या गाय को कटते देख सकती हैं। अगर हां, तो आप हिंदू नहीं हैं। मेवात में क्या चल रहा है, वह पता लगाइए। मोनू को मत खोजिए। मोनू धर्म के रास्ते पर है। अगर पुलिस आई तो हम गाड़ियां जला देंगे। मैं तो कहता हूं कि हर घर से मोनू जैसा बच्चा निकले।’

मैंने पूछा, मोनू की टीम के बारे में तो आप जानते ही होंगे। वह फिर झल्लाया और कहा- ‘हम सब मोनू की टीम में हैं। मैं भी गौरक्षक हूं। पूरा गांव उसकी टीम में है। पूरा गांव ही क्यों, हर हिंदू मोनू की टीम में है।’

गांव से निकलकर मैं मानेसर थाने पहुंची। वहां बैठे सिपाहियों ने कहा, ‘मोनू अच्छा लड़का है। यहां उसके खिलाफ कोई शिकायत या FIR नहीं। वह गांव में किसी से झगड़ा भी नहीं करता। वह बस अपना काम करता है। आप गांव जाएंगी, तो पता चल जाएगा, वह सबका चहेता है। उसके हमउम्र और कम उम्र के लड़के तो उसके फैन हैं।’

मैंने कहा, ‘पोस्टर बॉय है क्या वह गांव का?’ जवाब मिला, ‘कह सकती हैं, उसके यहां बहुत चहेते हैं। गांव के लोग उसे धर्म का रक्षक मानते है।’

और पुलिस उसे क्या मानती है…

‘हम तो बस आदेश मानते हैं।’

मन में शक था, तो सोचा एक बार फिर पैदल उसके घर पर जाएं, शायद ताला खुला हो। पहुंची तो ताला बंद था। विनय कुमार सिंह एक तख्ते पर लेटे थे। हमें देखा तो समझ गए। बोले- ‘जब तक मामला सुलझता नहीं, आपको कोई नहीं मिलेगा। आप बेकार में खोज रही हैं।’

विनय ने भरोसे के साथ यह भी कहा कि मोनू का नाम जल्दी ही हट जाएगा। बात चल रही है। यह बात 19 फरवरी को हुई थी। FIR में दर्ज नामों में मोनू मानेसर को लेकर सबसे ज्यादा हंगामा हुआ था। 21 तारीख आते-आते राजस्थान पुलिस ने इस मामले में गिरफ्तार रिंकू सैनी से पूछताछ के आधार पर जिन 8 लोगों के नाम जारी किए, उसमें मोनू का नाम नहीं है।

जुनैद और नासिर हत्याकांड, जिसके बाद मोनू फिर चर्चा में आया
35 साल का जुनैद और 28 साल का नासिर राजस्थान के जिला भरतपुर के गांव घाटमीका के रहने वाले थे। ये गांव हरियाणा बॉर्डर के नजदीक है। जुनैद के चचेरे भाई इस्माइल ने 15 फरवरी को गोपालगढ़ थाना (भरतपुर) में दोनों के अपहरण और मारपीट का मामला दर्ज कराया।

16 फरवरी को जुनैद और नासिर की लाशें हरियाणा में भिवानी जिले के कस्बा लोहारू में मिली। दोनों लाशें जली हुई हालत में एक बोलेरो गाड़ी से मिली थीं। इस मामले में भरतपुर थाना पुलिस ने अपहरण और हत्या का मामला दर्ज किया है। इसमें 8 लोगों को आरोपी बनाया गया है। हालांकि, इनमें मोनू का नाम नहीं है।

इससे पहले 28 जनवरी को हरियाणा के नूंह में वारिस की मौत में भी मोनू मानेसर का नाम आया था। वारिस की कार से एक गाय मिली थी। आरोप था कि मोनू की टीम ने वारिस और उसके साथ मौजूद दो लड़कों को पीटा था। कुछ घंटे बाद वारिस की मौत हो गई थी। इस केस में गोरक्षा दल पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।

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