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सांसद दानिश अली बसपा से निलंबित,राहुल गांधी के साथ कई बार दिखी नजदीकी

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बहुजन समाज पार्टी ने अमरोहा से सांसद दानिश अली को पार्टी से बाहर कर दिया है। पार्टी ने उन्हें सस्पेंड कर के पीछे पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होना बताया है। बता दें कि अमरोहा से सांसद दानिश अली हाल ही में काफी सुर्खियों में रहे थे। दरअसल दिल्ली से भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी ने उन पर सांसद के अंदर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इसको लेकर संसद से सड़क तक काफी हंगामा मचा था। बहुजन समाज पार्टी ने अपनी तरफ से जारी किए गए पत्र में लिखा है, आपको (दानिश अली) अनेकों बार मौखिक रूप से से कहा गया कि आप पार्टी की नीतियों विचारधारा एवं अनुशासन के विरुद्ध जाकर कोई भी बयानबाजी व कृत्य आदि न करें परंतु इसके बाद भी आप लगातार पार्टी के विरुद्ध जाकर कार्य करते आ रहे हैं। 

बहुजन समाज पार्टी ने अपनी तरफ से जारी किए गए पत्र में लिखा है, आपको (दानिश अली) अनेकों बार मौखिक रूप से से कहा गया कि आप पार्टी की नीतियों विचारधारा एवं अनुशासन के विरुद्ध जाकर कोई भी बयानबाजी व कृत्य आदि न करें परंतु इसके बाद भी आप लगातार पार्टी के विरुद्ध जाकर कार्य करते आ रहे हैं। 

यहां आपको यह भी बताना जरूरी है कि सन 2018 तक आप देवगौड़ा की जनता पार्टी के सदस्य के रूप में कार्य कर रहे थे तथा कर्नाटक में सन् 2018 के आम चुनाव में बहुजन समाज पार्टी और जनता पार्टी के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा गया था। इस गठबंधन में देवगौड़ा के अनुरोध पर आपको अमरोहा से बसपा प्रत्याशी के रूप में टिकट दिया गया और इस टिकट के दिए जाने के पहले देवगौड़ा ने यह आश्वासन दिया था कि बसपा को टिकट न मिलने के बाद बसपा की सभी नीतियों व निर्देशों का सदैव पालन करेंगे और पार्टी के हित में ही कार्य करेंगे। इस आश्वासन को आपने भी उनके समक्ष दोहराया था। 

इसी आश्वासन के बाद ही आपको बसपा की सदस्यता ग्रहण कराई गई थी और अमरोहा से चुनाव लड़ाकर तथा जिताकर लोकसभा में भेजा गया था। लेकिन आप अपने दिए गए आश्वासनों को भूलकर पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं। अत: अब पार्टी के हित में आपको बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता से तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है।

जामिया मिलिया इस्लामिया से पढ़ाई करने वाले दानिश पांच भाइयों में सबसे छोटे हैं। उन्होंने अपना राजनीतिक सफर जनता दल (सेक्यूलर) के साथ शुरू किया। उन्हें जनरल सेकेट्री तक की जिम्मेदारी दी गई। कर्नाटक में कांग्रेस और जनता दल (सेक्यूलर) को मिलाने में दानिश की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

दानिश 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले वह बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए। इसके बाद उन्हें अमरोहा से चुनाव लड़ने का मौका मिला था। उनके मुकाबले में भाजपा ने कंवर सिंह तंवर और कांग्रेस ने सचिन चौधरी का टिकट दिया था। उन्होंने कंवर सिंह तंवर को हराया था।

मोदी लहर के बीच अमरोहा से जीता था चुनाव

अमरोहा से पहली बार सांसद बनने के बाद से ही दानिश अली चर्चाओं में रहे हैं। भले ही कुंवर दानिश अली अमरोहा लोकसभा क्षेत्र के रहने वाले हैं लेकिन उनकी विधानसभा गढ़ मुक्तेश्वर में पड़ती है। अमरोहा में 2019 में दानिश अली ने गठबंधन से चुनाव लड़ा और भाजपा के पूर्व सांसद चौधरी कंवर सिंह तंवर को हराकर संसद पहुंचे।

भाजपाई शुरू से ही दानिश अली को घेरने की कोशिश करते रहे हैं। वह चाहे हिंदू मुस्लिम की राजनीति के नाम पर या उन्हें हिंदू धर्म से बात कर घेरने का प्यास प्रयास किया जाता रहा है। लोकसभा चुनाव के दौरान देश भर चली मोदी लहर में अमरोहा में थम गई।

भाजपा प्रत्याशी कंवर सिंह तंवर लहर में हार गए थे। गठबंधन उम्मीदवार कुंवर दानिश अली ने 63,244 वोटों से जीत दर्ज की थी। दानिश को 601082 वोट मिले थे। जबकि मौजूदा कंवर सिंह तंवर को 5,37,834 मत मिले थे। इसके अलावा कांग्रेस प्रत्याशी सचिन चौधरी को 12,510 मत मिले थे।

राहुल से मुलाकात के निकाले गए सियासी मायने

लोकसभा में भाजपा सांसद रमेश बिधुड़ी के आपत्तिजनक टिप्पणी करने के बाद पूरा विपक्ष बसपा सांसद दानिश अली के समर्थन में उतर आया था। इसके बाद राहुल गांधी ने दानिश अली मुलाकात थी। तभी से राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर भी शुरू हो गया था। राहुल गांधी और बसपा सांसद के इस मुलाकात का पता चला तो राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं होने लगीं।  

बता दें कि वर्ष 2019 में बसपा के दानिश अली ने अमरोहा से पहली बार चुनाव लड़ा। हालांकि, बाद में सपा और रालोद से गठबंधन होते ही अमरोहा के राजनीतिक समीकरण बदल गए। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी कंवर सिंह तंवर भी भारी मतों से हराया था।

जिसके बाद वह अमरोहा के मुस्लिम और दलितों के लिए नया चेहरा बनकर सामने आए। अब बसपा से निलंबित होने के बाद राजनीतिक गलियारों में फिर से तमाम कयास लगाए जा रहे हैं।

‘हम नफरत का सामना मोहब्बत से करेंगे’ 

अमरोहा सांसद कुंवर दानिश अली ने संसद में हुई घटना का जिक्र करते हुए राहुल गांधी के बयान का जिक्र करते हुए कहा था कि हम नफरत का सामना मोहब्बत से करेंगे। लोकतंत्र के मंदिर में गंदी भाषा बोलना हमारे संस्कार में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हम नफरत का मुकाबला प्यार से करेंगे। हम लोग महात्मा गांधी, बाबा साहेब आंबेडकर और मौलाना अबुल कलाम आजाद के अनुयायी हैं। हम अहिंसा और सांवैधानिक व्यवस्था में विश्वास रखते हैं।

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