सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने वकीलों द्वारा एक ही मामले को अलग-अलग उल्लेखित कराने की परंपरा की निंदा की। उन्होंने इसे बंद करने की अपील की और कहा, यह उनकी विश्वसनीयता को दांव पर लगाता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अदालत को गुमराह करने के प्रयासों को अनुमति नहीं दी जाएगी।
ई दिल्ली : चीफ जस्टिस (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ ने तत्काल सुनवाई के लिए एक ही मामले का अलग-अलग वकीलों द्वारा उल्लेख करने की परंपरा की मंगलवार को निंदा की। चीफ जस्टिस ने कहा कि वह इसकी अनुमति नहीं देंगे क्योंकि यह उनकी ‘खुद की विश्वसनीयता’ को दांव पर लगाता है। कई बार, वकील अपने मामलों को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कराने के लिए जोखिम उठाते हैं। ऐसे में में एडवोकेट्स को बदलकर एक ही मामले को बार-बार अलग-अलग तारीखों पर लिस्टिंग करवाते हैं।
इस परंपरा को बंद करें
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अलग-अलग वकीलों की तरफ से बार-बार उल्लेख कराने की इस परंपरा को बंद करें। आप सभी जोखिम मोल लेने की कोशिश कर रहे हैं। चीफ जस्टिस के रूप में मेरे पास जो भी थोड़ा बहुत विवेक है, उसका इस्तेमाल कभी भी आपके पक्ष में नहीं किया जाएगा, क्योंकि इस कोर्ट को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है।’
तो पलक झपकाते ही आदेश मिल जाता है
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि तीन अलग-अलग वकील लाइए और देखिए…जस्टिस के पलक झपकाते ही आपको आदेश मिल जाता है। यही इस कोर्ट में हो रहा है। मैं ऐसा नहीं करूंगा। क्योंकि मेरी खुद की विश्वसनीयता दांव पर है…। चीफ जस्टिस की तरफ से दिन की कार्यवाही की शुरुआत में ये टिप्पणियां की गईं, जब एक वकील ने तत्काल सूचीबद्ध कराने के लिए खनन पट्टे की समाप्ति से जुड़े एक मामले का उल्लेख किया।
चीफ जस्टिस की टिप्पणी न्यायिक प्रक्रिया की अखंडता बनाए रखने के प्रति उनके दृढ़ संकल्प को रेखांकित करती है। इसके साथ ही वकीलों को अपने मामलों को लिस्ट कराने के लिए प्रक्रियागत खामियों का फायदा उठाने के खिलाफ चेतावनी देती है।