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नाम की महापौर, सारे फैसलों पर लगती है देवर वीरेन्द्र पप्पू राय की मुहर

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मंत्री विश्वास सारंग की पिछलग्गू बनीं महापौर मालती राय*

*पद मिलते ही दिया परिवारवाद को बढ़ावा*

*बहन के लड़के रूपेश राय को बनाया है मीडिया प्रभारी*

*विजया पाठक, एडिटर, जगत विजन*

     काफी अंतराल के बाद हुए महापौर के चुनाव में राजधानीवासियों ने भोपाल से मालती राय को महापौर पद के लिए चुना। बड़ी उम्मीद थी कि महापौर चुनाव जीतकर शहर का विकास करेंगी और नगर निगम द्वारा आम लोगों को करों में रियायत देंगी। यही कारण था कि लोगों ने एक लाख से अधिक वोटों से मालती राय को महापौर बनाया। लेकिन आज राजधानीवासी अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं। क्योंकि मालती राय शहर की महापौर नहीं बल्कि मंत्री विश्वास सारंग की पिछलग्गू बनकर रह गई हैं। महापौर को अपने दायित्व और निगम की कार्यवाहियों से कोई वास्ता नहीं वह तो केवल विश्वास सारंग की जी हजूरी करने में व्यस्त हैं। शहर की सभी आयोजनों या कार्यक्रमों में विश्वास सारंग के साथ पिछलग्गू जैसी दिखाई देती हैं। सारंग के बगैर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाती हैं। इतना ही नहीं सारंग के परिवारवालों के यहां भी जी हजूरी लगाना नहीं भूलती हैं। अभी हाल ही में मंत्री विश्वास सारंग की पत्नि रोमा सारंग का जन्मदिन था। जन्मदिन के इस अवसर पर सुबह-सुबह सबसे पहले महापौर मालती राय ही मंत्री के बंगले पर शुभकामना प्रेषित करने पहुंची थी। ऐसे कई अवसर आए हैं जब मालती राय, सारंग के व्यक्तिगत कार्यक्रमों में प्राथमिक तौर पर भागीदार बनीं हों।

     यह बात भी सच है कि मालती राय को विश्वास सारंग की करीबी माना जाता है। महापौर टिकिट से लेकर चुनाव प्रसार में सारंग ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। या कहे कि सारंग के कारण ही मालती राय को टिकिट मिला था। लेकिन अब वह एक संवैधानिक पद पर आसीन हैं जिसे शहर का प्रथम नागरिक कहा जाता है। जिनके उपर शहर के विकास का जिम्मा है और लोगों की उम्मीरद पर खरा उतरने की जिम्मेदारी है। अगर वह एक रबर स्टांप बनकर शहर का कल्याण करना चाहती हैं तो ऐेसे महापौर से क्या उम्मीद की जा सकती है। सूत्रों का कहना है कि बगैर मंत्री विश्वास सारंग की मंजूरी के मालती राय कोई भी फैसला नहीं ले पाती हैं।

*सुपर महापौर हैं देवर वीरेन्द्र पप्पू राय*

महापौर मालती राय का देवर वीरेन्द्र पप्पू राय आर्थिक रूप से काफी सुदृढ़ है। इसके राय ट्रेवल्स के नाम पर काफी बसें विभिन्न जगहों पर चल रही हैं। सूत्रों का कहना है कि महापौर के चुनाव में प्रचार-प्रसार में सारा पैसा पप्पू राय ने ही लगाया था। वीरेन्द्र पप्पू राय वर्षों से बीजेपी का सक्रिय कार्यकर्ता रहा है और मंत्री विश्वास सारंग का काफी करीबी रहा है। मंत्री के लगभग सारे मंचों में पप्पू राय को देखा जा सकता है। यही वजह है कि इस समय पप्पू राय ही सुपर महापौर बना हुआ है। विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि महापौर के फैसलों में पप्पू राय की मुहर लगना जरूरी है। इसके कहने पर ही निगम में फाईलें इधर की उधर होती हैं। इतना ही नहीं महापौर के कार्यक्रमों में पप्पू  राय को विशेष रूप से आमंत्रित भी किया जाता है और महत्वपूर्ण जगह प्रदान की जाती है। इनके साथ ही महापौर के पति एमएल राय भी इस समय कम सक्रिय नहीं हैं। वे भी ज्यादातर जगहों पर महापौर के कामों में घुसपैठ करते दिखाई देते हैं।

*महापौर ने अपने इर्द-गिर्द रखा है परिवारवालों को

चुनाव प्रचार के दौरान मालती राय ने कांग्रेस के महापौर प्रत्‍याशी विभा पटैल पर आरोप लगाये थे कि उन्‍होंने अपने कार्यकाल में परिवारवाद को खूब बढ़ावा दिया है। और निगम में अपने लोगों को ही रखा है। लेकिन मालती राय अब भूल गई हैं कि वह भी यही कर रही हैं। महापौर मालती राय के कारनामें यही पर नहीं रूकते हैं। उन्होंने अपने निजी स्टॉफ में परिवारवालों को विशेष रूप से रखा है और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी हैं। मालती राय की बहिन का लड़का रूपेश राय महापौर के मीडिया प्रभाग का काम देख रहा है, जबकि रूपेश राय प्रदेश के एक प्रतिष्ठित अखवार में सब एडिटर की पोस्ट पर काम कर रहा है लेकिन ऑफ का द रिकार्ड वह मालती राय का मीडिया भी संभाल रहा है। चुनाव प्रचार के समय भी मीडिया को मैनेज करने और पैसे का लेनदेन करने का जिम्मा रूपेश राय के पास था। अखबार में काम करने का रौब भी रूपेश राय द्वारा जमाया जाता है।

*महापौर मालती राय भ्रष्टाचार में फंसीं, 15 साल पुराना है मामला*

भोपाल की महापौर मालती राय ने अपने पहले भाषण में नगर निगम से भ्रष्टाचार खत्म करने की बात कही थी। अब उनके शपथ लेने के अगले ही दिन 07 अगस्त को उनको 15 साल पुराने मामले में नोटिस मिला है। यह मामला एमपी नगर में सीमेंट-कंक्रीट सड़कों के निर्माण से जुड़ा है। जिसमें तत्कालीन भाजपा के 39 पार्षदों को ठेकेदार को 85 लाख रुपये का अधिक भुगतान करने का दोषी पाया गया था। उस समय मालती राय पार्षद थीं। इस मामले को लेकर कांग्रेस विधायक आरिफ अकील ने लोकायुक्त को शिकायत की थी। जिसके बाद लोकायुक्त  ने अपनी जांच रिपोर्ट 2007 में संभागायुक्त को भेजी थी। रिपोर्ट में दोषी पार्षदों को अयोग्य घोषित करने और 85 लाख रुपये की वसूली करने की सिफारिश की है। जिसके बाद से मामला पेंडिंग था। अब सुनवाई के लिए संभागायुक्त ने नोटिस जारी किए हैं। दरअसल 2005 में एमपी नगर जोन-2 में 5.45 करोड़ से सीसी रोड, पाइप लाइन, सीवेज लाइन समेत विकास कार्य होने थे। इसमें एक फर्म ने एसओआर से 7.2 प्रतिशत कम रेट पर ऑफर किया। इसका भाजपा पार्षदों ने विरोध किया और बीजेपी पार्षदों के बहुमत के आधार पर टेंडर रद्द हो गया। इसके बाद उसी कंपनी को एसओआर से 8.38 प्रतिशत अधिक का ऑफर दिया गया। इससे निगम को 85 लाख रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ। इसकी ही वसूली लोकायुक्त ने पार्षदों से करने की सिफारिश की है।

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