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शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 23.4 फीसदी बढ़ा; एडीबी ने भारत का विकास दर अनुमान बढ़ाकर 6.7% किया

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भारत सरकार को शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों यानी अप्रैल-नवंबर अवधि में बजट अनुमान (बीई) का 58.34 फीसदी पहुंच गया। वित्त मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-नवंबर अवधि के दौरान शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 10.64 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया। यह पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 23.4 फीसदी अधिक है। मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, रिफंड जारी करने से पहले सकल कर संग्रह अप्रैल-नवंबर अवधि में 17.7 फीसदी बढ़कर 12.67 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से नवंबर तक कुल 2.03 लाख करोड़ रुपये का रिफंड जारी किया गया।

रिफंड जारी करने के लिए विशेष प्रावधान
मंत्रालय ने कहा कि जिन मामलों में रिफंड शुरू में विफल हो गया था, उनके लिए विशेष पहल की गई और बाद में वैध बैंक खातों में रिफंड जारी किया गया। 2022-23 में प्रत्यक्ष कर (व्यक्तिगत आयकर और कॉरपोरेट कर) संग्रह 18.23 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। इस दौरान अप्रत्यक्ष कर (जीएसटी, सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क) संग्रह 15.38 लाख करोड़ रहने का अनुमान है। इस हफ्ते की शुरुआत में वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने कहा था, सरकार बजट में तय अनुमान 33.61 लाख करोड़ रुपये के कर संग्रह लक्ष्य पर कायम है।

एडीबी ने विकास दर अनुमान बढ़ा 6.7 फीसदी किया
नई दिल्ली। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के विकास दर अनुमान को बढ़ाकर 6.7 फीसदी कर दिया है। पहले यह 6.3 फीसदी था। दूसरी तिमाही में 7.6 फीसदी की वृद्धि दर को देखते हुए अनुमान बढ़ाया गया है। एडीबी ने बृहस्पतिवार को रिपोर्ट में कहा, आर्थिक आंकड़े भी औद्योगिक क्षेत्र की मजबूती के संकेत दे रहे हैं। विनिर्माण, खनन, निर्माण व यूटिलिटीज जैसे क्षेत्र दो अंकों से ज्यादा की बढ़त हासिल कर रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से पूंजी निवेश में तेजी है, जिससे निजी क्षेत्र के कम निवेश का असर नहीं होगा।

देश में 95 फीसदी के पास बीमा नहीं
देश की 144 करोड़ की आबादी में करीब 95 फीसदी लोगों के पास बीमा नहीं है। राष्ट्रीय बीमा अकादमी ने एक रिपोर्ट में कहा, निम्न एवं मध्यम आय वर्ग के 84 फीसदी लोगों और तटीय क्षेत्रों, दूसरी व तीसरी श्रेणी के शहरों के 77 फीसदी लोगों के पास बीमा का अभाव है। 73 फीसदी आबादी स्वास्थ्य बीमा के दायरे में नहीं है। इस दिशा में सरकार, गैर-सरकारी संगठनों और उद्योग समूहों के बीच सहयोग बढ़ने की जरूरत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उन किसानों के लिए फसल बीमा जरूरी की जाए, जिन्होंने बैकों व सूक्ष्म वित्तीय कंपनियों से कर्ज लिया है।

पेंशन सुरक्षा बीमा में 93 फीसदी अंतर
वर्तमान में पेंशन सुरक्षा बीमा में 93 फीसदी का अंतर है। सिर्फ 24 फीसदी कर्मचारी सेवानिवृत्त योजना के तहत पंजीकृत हैं। जीवन बीमा में यह अंतर 87 फीसदी है। ऐसे में बीमा कंपनियों के पास कारोबार की बेहतर संभावना है। भारतीय बीमा विनियामक विकास प्राधिकरण (इरडा) के चेयरमैन देबाशीष पांडा ने कहा, बीमा उद्योग को यूपीआई, बैंक खाता खोलने व मोबाइल पहुंच की भारी सफलता के आधार पर बीमा बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।

जेम से खरीदारी बढ़ने की उम्मीद
सरकारी पोर्टल जेम से चालू वित्त वर्ष में उत्पादों और सेवाओं की खरीदारी 3.5 लाख करोड़ रुपये के पार होने की उम्मीद है। जेम के सीईओ पीके सिंह ने बताया, तमाम मंत्रालयों ने खरीदारी में तेजी दिखाई है। पोर्टल से अभी तक 2.4 लाख करोड़ रुपये की खरीदारी हुई है। 2021-22 में कुल 1.06 लाख करोड़ रुपये की खरीदारी हुई थी और पिछले वित्त वर्ष में यह दो लाख करोड़ रुपये को पार कर गई थी।

नए साल में उम्मीद से अधिक रहेगी दुनिया में तेल की खपत
पूरी दुनिया में अगले साल तेल की खपत उम्मीद से अधिक रहने की उम्मीद है। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने कहा, जीवाश्म ईंधन से दूर जाने के लिए इस सप्ताह के कॉप28 समझौते के बावजूद निकट समय में तेल का इस्तेमाल ज्यादा होगा। एजेंसी ने बृहस्पतिवार को कहा, अमेरिका के दृष्टिकोण में सुधार और तेल की कम कीमतों से 2024 में दुनिया में क्रूड की खपत 11 लाख बैरल प्रतिदिन बढ़ सकती है। यह आंकड़ा उसके पिछले अनुमान से 1.30 लाख बैरल अधिक है। आईईए ने कहा, ओपेक और अन्य देशों की ओर से उत्पादन में कटौती के बाद भी तेल की खपत बढ़ने वाली है। 2023 में तेल की मांग 90,000 बैरल प्रतिदिन बढ़कर 23 लाख बैरल प्रतिदिन पर पहुंच गई थी। ओपेक का अनुमान है कि 2024 में मांग 22.5 लाख बैरल प्रतिदिन बढ़ेगी।

भारत के आयात में 4.5 फीसदी गिरावट
देश का नवंबर में कच्चा तेल आयात अक्तूबर की तुलना में 4.5 फीसदी घटकर 45 लाख बैरल प्रतिदिन रह गया है। इसमें 16 लाख बैरल प्रतिदिन रूस से मंगाया गया है, जो अक्तूबर की तुलना में तीन फीसदी अधिक है। भारत पहले के मुकाबले रूस से महंगे भाव पर तेल खरीद रहा है।

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