अग्नि आलोक

अखबार प्रबंधन, जांच अधिकारी और अब अजमेर जेल के अफसरों के खिलाफ न्यायालय में इस्तगासा 

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कानून की पालना करवाने वालों को ही कानून का पाठ पढ़ा रही हैं निलंबित डीएसपी दिव्या मित्तल

एस पी मित्तल, अजमेर 

राजस्थान के बहुचर्चित नशीली दवाईयों के प्रकरण में निलंबित डीएसपी दिव्या मित्तल का कहना है कि समय आने पर पुलिस के उन बड़े अफसरों के चेहरे भी उजागर करुंगी तो गलत व्यवहार करते हैं। नशीली दवाइयों के प्रकरण की जांच अधिकारी रहीं दिव्या मित्तल ने कहा कि एसीबी के पास मेरे द्वारा दो करोड़ रुपए की राशि मांगने की कोई रिकॉर्डिंग नहीं है। सिर्फ आरोपी के बयान के आधार पर मुझे दो बार गिरफ्तार किया। मेरी गिरफ्तारी में कानून की अवहेलना की गई, इसलिए मैंने जांच अधिकारी कमल सिंह के खिलाफ न्यायालय में मुकदमा किया। मैं चाहती हंू कि मेरी गिरफ्तारी के तथ्य और सबूत न्यायालय में बताए जाएं। दिव्या ने कहा कि अखबारों में भी अधिकारियों के हवाले से झूठी खबरें प्रकाशित होती हैं। यही वजह है कि देश के सबसे बड़े अखबार होने का दावा करने वाले दैनिक समाचार पत्र के स्थानीय रिपोर्टर से लेकर मालिक तक के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज करवाया है। एसीबी के अधिकारी कुछ भी कहें, लेकिन प्रकाशित खबर की जिम्मेदारी अखबार मालिक और संपादक की है। पुलिस अधिकारी तो अपनी मौखिक बात से पलट जाएंगे, लेकिन खबार प्रकाशन की जिम्मेदारी अखबार प्रबंधन पर बनी रहेगी। चूंकि संबंधित अखबार ने तथ्यों से परे जाकर खबरें छापी, इसलिए मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है। कोई भी मीडिया किसी अधिकारी के हवाले से खबर प्रकाशित करता है तो सबसे पहली जिम्मेदारी संबंधित मीडिया की होती है। दिव्या ने बताया कि उन्हें 20 जनवरी से एक अप्रैल तक अजमेर की सेंट्रल जेल में रखा गया। तब जेल की महिला बैरिक के फोटो खिंचवा कर सार्वजनिक किए गए। महिला कैदी जब कतार में खड़ी थीं, तब भी फोटो खिंचवाए गए। जबकि जेल नियमों के तहत किसी भी कैदी का फोटो नहीं खींचा जा सकता है। महिला कैदी का फोटो खींचकर सार्वजनिक करना तो अपराध की श्रेणी में आता है। मेरा फोटो जानबूझकर खींचा और फिर मेरी सहमति के बगैर ही प्रकाशित करवा दिया। चूंकि जेल नियमों का उल्लंघन हुआ है, इसलिए सेंट्रल जेल की अधीक्षक सुमन मालीवाल, उपअधीक्षक हिना खान आदि के खिलाफ भी न्यायालय में मानहानि का इस्तगासा किया है। दिव्या ने कहा कि मुझे किसी भी न्यायालय ने दोषी नहीं ठहराया है। फिर भी मेरे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया जा रहा है। न्यायालय में जन सुनवाई होगी तो सच्चाई सामने आ जाएगी। किसी के कह देने मात्र से कोई अपराधी नहीं हो जाता। जिन अधिकारियों की जांच पर मुझे गिरफ्तार किया, उनमें से कई अधिकारियों की जांच पर कोर्ट ने प्रतिकूल टिप्पणी की है। सुनवाई के दौरान ऐसे तथ्य न्यायालय में रखे जाएंगे।

अश्लील वीडियो के मामले में डर क्यों?:

दिव्या मित्तल गत वर्ष जब अजमेर में एसओजी की डीएसपी थी तब ब्यावर के डीएसपी हीरालाल सैनी का जयपुर की एक महिला कांस्टेबल के साथ अश्लील वीडियो वायरल हुआ। यह वीडियो पुष्कर के एक रिसोर्ट के स्विमिंग पुल का बतायागया। इस मामले को लेकर जब हंगामा हुआ तो सरकार ने मामले की जांच दिव्या मित्तल से  ही करवाई थी। हालांकि दिव्या ने उस जांच पर तो सीधे तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की, इतना जरूर कहा कि पुलिस विभाग के कुछ अफसर अभी भी डरे हुए हैं। क्योंकि उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट उन्हीं दिनों उच्च अधिकारियों ाके प्रस्तुत कर दी थी। यहां यह उल्लेखनीय है कि अश्लील वीडियो वायरल होने के बाद सरकार में खलबली मच गई थी, क्योंकि उन लोगों के नाम भी चर्चा में आए जिनकी मेहरबानी से हीरालाल सैनी ब्यावर जैसे बड़े शहर में ढाई वर्ष से डीएसपी बने हुए थे। जबकि ब्यावर के महत्व को देखते हुए जूनियर आईपीएस को ही डीएसपी नियुक्त किया जाता है। 

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