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नीतीश के पास तीन साल बाद दोबारा जदयू की पूरी कमान;अध्यक्ष बनते ही एक्शन मोड में नीतीश

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दिल्ली में आज जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की अहम बैठक हुई। इस दौरान ललन सिंह ने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद ललन ने नीतीश के नाम का प्रस्ताव रखा जदयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि आज भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए यह मजबूरी है कि उन्हें जाति आधारित जनगणना को स्वीकार करना होगा। 15 साल पहले भी यह संभव नहीं था। अगर इंडिया गठबंधन सत्ता में आता है तो सबसे महत्वपूर्ण एजेंडा जाति आधारित जनगणना लागू करना होगा और इसमें कोई संदेह नहीं है।

चिराग ने कसा तंज, कहा- ललन सिंह से छीन खुद बने राष्ट्रीय अध्यक्ष

ललन सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफे और नीतीश कुमार के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद सियासी गर्मी बढ़ती ही जा रही है। इस बीच बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है। इसको लेकर भाजपा के कई नेताओं ने अलग अलग तरह के बयान दिए हैं। अब ऐसे में लोक जन शक्ति पार्टी रामविलास प्रमुख चिराग पासवान एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि आज नीतीश कुमार जी ने ललन बाबू से राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छीन कर स्वयं राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गये हैं और बोल रहे हैं कि  “मैं चुनौती स्वीकार करता हूं” और फिर आप कह रहे है कि “मैं बनना नहीं चाहता” तो ये दोहरा चरित्र क्या दर्शाता है। मुख्यमंत्री जी 2020 बिहार विधनसभा चुनाव के बाद जब आपकी पार्टी बिहार में तीसरे नंबर की पार्टी बनी थी तब भी आप कहे थे कि मैं मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहता, लेकिन आप आपने स्वार्थ के लिए मुख्यमंत्री बने।आज नीतीश कुमार जी ने ललन बाबू से राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छीन कर स्वयं राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गये हैं और बोल रहे हैं कि “मैं चुनौती स्वीकार करता हूं” और फिर आप कह रहे है कि “मैं बनना नहीं चाहता” तो ये दोहरा चरित्र क्या दर्शाता है।

मुख्यमंत्री को सिर्फ कुर्सी और सत्ता की चुनौती से मतलब है
 लोक जन शक्ति पार्टी रामविलास प्रमुख चिराग पासवान ने कहा कि आज जब आपको चुनौती स्वीकार ही है तो फिर आप बिहारियों के बदहाली की चुनौती क्यों नहीं स्वीकार करते, क्यों नहीं बिहार को देश में अग्रणी राज्यों की श्रेणी में ले जाने की चुनौती स्वीकार करते हैं। और जब आप इतनी चुनौती स्वीकार कर ही रहे है तो एक बार चुनाव लड़ने की चुनौती भी स्वीकार कीजिए।आईए एक बार मैदान में और लोकसभा या बिहार विधानसभा का चुनाव लड़कर सामने के रास्ते से संवैधानिक पद पर बैठिए, न कि पिछले दरवाजे से। आपको सिर्फ कुर्सी और सत्ता की चुनौती से मतलब है। अब चुनाव नजदीक आ रहा है, आपका ये एजेंडा बिहारी बखूबी समझ चुके है मुख्यमंत्री जी।

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