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नीतीश ने विपक्षी गठबंधन का संयोजक बनने से किया किनारा

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बिहार के सीएम नीतीश कुमार विपक्षी गठबंधन इंडिया के संयोजक नहीं बनना चाहते। उन्होंने कांग्रेस समेत गठबंधन के दूसरे सहयोगियों को अपनी इस इच्छा से अवगत करा दिया है। इतना ही नहीं नीतीश सीट बंटवारे का फॉर्मूला और भाजपा के खिलाफ राज्यवार रणनीति तय किए बिना गठबंधन की बैठक भी बुलाए जाने के पक्ष में नहीं हैं।जदयू ने यह भी साफ कर दिया है कि वह राज्य की 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगा। शेष 23 सीटों पर किसकी कितनी हिस्सेदारी हो यह राजद तय करे। जदयू सूत्रों ने बताया कि नीतीश के संयोजक बनने की राह में कई बाधा हैं।

विपक्षी गठबंधन संयोजक के साथ गठबंधन का नेता भी तय करना चाहता है। इसका अर्थ हुआ कि अगर नीतीश संयोजक बने तो गठबंधन में उनकी स्थिति नंबर दो की होगी। चूंकि नीतीश ही इस गठबंधन के वास्तविक सर्जक हैं, ऐसे में नंबर दो की स्थिति उनके अनुरूप नहीं होगी। यही कारण है कि उन्होंने संयोजक नहीं बनने की इच्छा से सहयोगियों को अवगत करा दिया है।

कांग्रेस मामले में गेंद राजद के पाले में
राज्य में सीट बंटवारे का सवाल भी जदयू ने राजद के पाले में डाल दिया है। पार्टी ने बीते चुनाव की तरह कम से कम 17 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही है। पार्टी ने कहा है कि शेष बची 23 सीटों पर किसके हिस्से कितनी सीटें आएंगी, यह राजद को तय करना है। गौरतलब है कि कांग्रेस को उस फॉर्मूले पर आपत्ति है, जिसके तहत जदयू-राजद को 17-17, कांग्रेस को चार और वाम दलों को दो सीटों पर चुनाव लड़ना था।

अन्य राज्यों में भी सीटें चाहता है जदयू
जदयू चाहता है कि उसे पूर्वोत्तर भारत, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश में भी सीटें मिलें। दबाव बनाने के लिए जदयू ने इसी हफ्ते अरुणाचल प्रदेश पश्चिम से उम्मीदवार उतार दिया है। पार्टी उत्तर प्रदेश में तीन और मध्य प्रदेश की एक सीट पर चुनाव लड़ना चाहती है। इसी प्रकार टीएमसी और सपा भी चाहते हैं कि कांग्रेस उसे अपने प्रभाव वाले राज्यों में भी गठबंधन के तहत सीटें दे।

क्षेत्रीय दल नहीं दे रहे कांग्रेस को भाव
दरअसल, बिहार सहित पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र में जहां क्षेत्रीय दल कांग्रेस को भाव नहीं दे रहे, वहीं दिल्ली, पंजाब में बातचीत की शुरुआत भी नहीं हो पा रही। ममता बंगाल में कांग्रेस को महज दो सीटें देना चाहती है। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे, एनसीपी और कांग्रेस तीनों कम से कम 20 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। इसके इतर उत्तर प्रदेश में सपा को शक है कि कांग्रेस बसपा के संपर्क में है, जबकि दिल्ली, पंजाब में सीट बंटवारे पर शुरुआती बातचीत भी नहीं हुई है।

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