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एंटोनी ही नहीं और भी कई के बेटे-बेटियों ने माता-पिता की पार्टी को नकारा

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नई दिल्ली। कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री एके एंटनी के बेटे ने आखिरकार बीजेपी का दामन थाम लिया है। बीजेपी में उनका जाना जनवरी में ही तय हो गया था जब उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दिया था। हालांकि एके एंटनी ने अपने बेटे अनिल एंटनी के बीजेपी में शामिल होने के फैसले को गलत बताया हैं। लेकिन आपको बता दें कि भारतीय राजनीति में यह पहला मामला नहीं है जब कोई पिता-पुत्र अलग-अलग राजनीतिक दलों में हों। देश में ऐसे कई उदाहरण हैं। ऐसी कई राजनीतिक परिवार हैं, जहां एक ही परिवार के सदस्य अपनी-अपनी सियासत अलग-अलग दल के साथ कर रहे हैं।

राजमाता सिंधिया और माधवराव सिंधिया की राहें रही जुदा

जनसंघ की संस्थापक सदस्यों में गिनी जाने वाली सिंधिया राजघराने की राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने जहां कांग्रेस की राजनीतिक विरोधी जनसंघ की स्थापना में महत्ती भूमिका निभाई वहीं, उनके बेटे माधवराव सिंधिया कांग्रेस के दिग्गज नेता कहलाए। कई मौकों पर तो मां और बेटे के बीच राजनीतिक विचारधारा की लड़ाई खुलकर सामने भी आई। साल 2020 में कमलनाथ सरकार गिराने के बाद माधवराव के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया भी दादी की स्थापित की गई विचारधारा में शामिल हो गए।

यशवंत सिन्हा और जयंत सिन्हा भी अलग अलग दलों से जुड़े

झारखंड की सियासत के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और उनके बेटे जयंत सिन्हा अलग-अलग पार्टी में है। यशवंत सिन्हा बीजेपी छोड़कर ममता बनर्जी की टीएमसी का दामन थाम लिया था और राष्ट्रपति के चुनाव में विपक्षी दल की तरफ से उम्मीदवार थे जबकि जयंत सिन्हा बीजेपी से सांसद हैं और मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। इन दोनों पिता पुत्र का राजनीतिक पार्टी भले अलग-अलग हैं लेकिन इन दोनों ने कभी एक-दूसरे के खिलाफ किसी तरह का व्यक्तव्य नहीं दिया।

स्वामी प्रसाद मौर्य और संघमित्रा मौर्य भी विरोधी दलों के सदस्य

उत्तर प्रदेश में स्वामी प्रसाद मौर्य और उनके बेटी संघमित्रा मौर्या अलग-अलग राजनीतिक दल के साथ हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य सपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं तो बेटी संघमित्रा मौर्य बीजेपी से सांसद हैं। पिता समाजवादी विचारधारा की पैरोकारी कर रहे हैं तो बेटी राष्ट्रवादी और हिंदुत्व की विचारधारा के साथ खड़ी नजर आ रही है।

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