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अन्न का त्याग नहीं वरन् अन्याय का त्याग एवं परमात्मा के प्रति भाव रखना ही सच्ची एकादशी- स्वामी रामदयाल महाराज

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सद्गुरु शास्त्र से अनुभव करके अपनी बात कर कहते हैं, परंतु बुद्धि विनाश के कारण सही बात भी गलत लगती है l शक्कर में शंकर बसे गुड़ में बसे गणेश, मिश्री में तीनों बसे ब्रह्मा- विष्णु-महेश l किसी चीज की उपलब्धि सार्थकता नहीं है। उस चीज की उपलब्धता प्राप्त होने पर भी कोई मन की भावना न हो l उठने-बैठने में सांसों का क्षय होता है, सांसारिक भोगों में सासों का क्षय होता है परंतु पद्मासन लगाकर राम भजन करने से व्यक्ति दीर्घायु होता है, और कम श्वांस खर्च होती है l

छत्रीबाग रामद्वारा में धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य जगद्गुरु स्वामी रामदयाल महाराज ने यह बात कही। व्यासपीठ का पूजन रामनिवास मोड़, सुभाष धनोतिया, रितेश कृपलानी, रितेश माहेश्वरी, अनमोल पांडे, भूरा पहलवान, पुष्पेश बागड़ी, श्याम राणापुर आदि ने किया।

गुरु और माता-पिता का कर्ज अनंत जन्म तक भी नहीं चुकाया जा सकता है। इससे कभी मुक्त नहीं हो सकते। चाहे अपनी खाल के जूते बनाकर पहना दो फिर भी माता-पिता के ऋण से मुक्त नहीं हो सकते हैं l मुक्ति के लिए सदा ध्यान करें। ध्यान का अभ्यास करें और धरती से सहन करना सीखें। जो अच्छाई में भी बुराई देखता है, उसकी बुद्धि को तामस बुद्धि कहा जाता है l अर्जुन से शिष्य को श्री कृष्ण ने बुद्धि तत्व की है व्याख्या करते हुए धर्म और अधर्म और सात्विक बुद्धि क्या है यह सब सिखाया l आज एकादशी है, एकादशी का अर्थ है अपनी इंद्रियों को एकाग्र करके राम भजन करें। अन्न का त्याग करना एकादशी नहीं वरन अन्याय का त्याग एवं उस अनन्य परमात्मा के प्रति भाव रखना ही सच्ची एकादशी है।

आज तिजोरी को चोर से नहीं पहरेदारों से खतरा है। देश को दुश्मन से नहीं देश के गद्दारों से खतरा है। आज एकादशी है, एकादशी का अर्थ है अपनी इंद्रियों को एकाग्र करके राम भजन करें। अन्न का त्याग करना एकादशी नहीं वरन् अन्याय का त्याग एवं उस अनन्य परमात्मा के प्रति भाव रखना ही सच्ची एकादशी है।

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