एस पी मित्तल, अजमेर
अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री के पद पर तीसरी बार विराजमान हैं। विधानसभा चुनाव के बाद चाहे परसराम मदेरणा, सीपी जोशी या फिर सचिन पायलट की दावेदारी मुख्यमंत्री पद पर हो, लेकिन कांग्रेस का नेतृत्व करने वाले गांधी परिवार ने हर बार अशोक गहलोत को ही तरजीह दी है। मुख्यमंत्री बनने के बाद गहलोत ने भी गांधी परिवार को खुश रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। गांधी परिवार को खुश रखने का ताजा उदाहरण राज्यसभा चुनाव में राजस्थान से कांग्रेस के तीन उम्मीदवारों की घोषणा है। कांग्रेस ने राजस्थान के नेताओं की अनदेखी कर हरियाणा के रणदीप सुरजेवाला, यूपी के प्रमोद तिवारी और महाराष्ट्र के मुकुल वासनिक को उम्मीदवार बनाया है। ये तीनों ही गांधी परिवार की पसंद है। गांधी परिवार की पसंद वाले तीनों उम्मीदवारों को जिताने की जिम्मेदारी भी गहलोत की ही है। सब जानते हैं कि सुरजेवाला अपने गृह प्रदेश हरियाणा में दो बार विधानसभा का चुनाव हार चुके हैं और प्रमोद तिवारी पूरे उत्तर प्रदेश से विधायक बनने की स्थिति में नहीं है। इसी प्रकार महाराष्ट्र में मुकुल वासनिक की अब कोई राजनीतिक जमीन है। ऐसा नहीं कि महाराष्ट्र, हरियाणा और यूपी में राज्यसभा के चुनाव नहीं हो रहे। इन तीनों राज्यों में भी 10 जून को ही चुनाव है। यूपी को छोड़ कर हरियाणा और महाराष्ट्र में कांग्रेस अपने एक एक उम्मीदवार को जीतने की स्थिति में है। लेकिन सुरजेवाला और वासनिक अपने अपने प्रदेशों से बेदखल है, इसलिए गांधी परिवार की मदद से राजस्थान से उम्मीदवार बनाए गए हैं। यानी जिन नेताओं को उनके प्रदेश से कांग्रेसियों ने भगा दिया, उन्हें राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गले लगा लिया। प्रमोद तिवारी, रणदीप सुरजेवाला और मुकुल वासनिक अमरबेल की तरह परजीवी हैं। इन नेताओं में दम होता तो ये अपने अपने प्रदेश से ही राज्यसभा में पहुंचते। गांधी परिवार के पालने में झूल ने वाले शिशुओं को दूध पिलाने की जिम्मेदारी अशोक गहलोत की है। गहलोत को भी पता है कि कांग्रेस में गांधी परिवार को खुश रखने से ही मुख्यमंत्री का पद मिलता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि तीनों प्रत्याशी बाहर के हैं। जहां तक राजस्थान के कांग्रेसी विधायकों का सवाल है तो गहलोत को विधायकों को पटाए रखने के सारे तौर तरीके आते हैं। कांग्रेस के विधायक ही नहीं बल्कि सभी 13 निर्दलीय विधायक भी गहलोत की सत्ता की मलाई चाट रहे हैं। विपक्ष कितनी भी जोर आजमाइश कर ले, लेकिन गहलोत के पास 125 विधायकों का जुगाड़ है और तीनों उम्मीदवारों को जिताने के लिए 123 विधायक चाहिए। यह सही है कि राजस्थान में राज्यसभा चुनाव को 10 जून तक रौचक बनाए रखने के लिए भाजपा अपना दूसरा उम्मीदवार भी उतार रही है। भाजपा के पास 71 विधायक हैं और एक उम्मीदवार की जीत तय है, लेकिन भाजपा अपने 30 सरप्लस वोटों को लेकर एक और उम्मीदवार का नामांकन करवाएगी। लेकिन भाजपा के दूसरे उम्मीदवार के लिए 11 विधायकों के वोट एकत्रित करना मुश्किल है। गहलोत के 125 विधायकों में कोई सेंधमारी नहीं हो, इसलिए 30 मई से ही विधायकों को एकत्रित करने का काम शुरू हो गया है। माना जा रहा है कि गहलोत सरकार और समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायक एक बार फिर 10 जून से तालाबंदी में रहेंगे। भाजपा ने घनश्याम तिवाड़ी के नाम की घोषणा कर दी है।