पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम की वजह से अब सीएनजी को लोग पसंद कर रहे हैं, लेकिन वर्तमान में डीजल वाहन सीएनजी में कन्वर्ट नहीं होते हैं। इसे देखते हुए राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विवि (आरजीपीवी) में एक रिसर्च हुआ है। इसके तहत डीजल इंजन में तकनीकी बदलाव कर वाहन को सीएनजी से चलाया जा सकेगा और पेट्रोल का भी उपयोग किया जा सकेगा। रिसर्च करने वाली फैकल्टी के मुताबिक रिसर्च में डीजल वाहन को पेट्रोल और सीएनजी से चलाने पर काम किया गया है।
खेती में होने वाला खर्च भी बचेगा
डीजल वाहनों को अगर सीएनजी या अन्य सस्ते ईंधन से चलाया जा सके तो इसका लाभ एग्रीकल्चर में भी मिल सकेगा। रिसर्च करने वाले आरजीपीवी के मैकेनिकल इंजीनियरिंग के एचओडी प्रो. असीम तिवारी ने बताया कि इसके लिए पेटेंट फाइल किए गए हैं। उन्होंने बताया कि छोटे वाहनों में डीजल इंजन धीरे-धीरे बंद हो रहे हैं।
इस वजह से आने वाले समय में इनका रखरखाव भी अपेक्षाकृत महंगा पड़ेगा। ऐसी स्थिति में अगर यह सीएनजी या अन्य तरह के सस्ते फ्यूल से चलेंगे तो इसका सीधा लाभ वाहन चालक को मिल सकेगा। बड़े वाहनों में भी यह काफी उपयोगी साबित होगा।
खासकर एग्रीकल्चर में इस्तेमाल होने वाले वाहनों में इसके उपयोग से किसानों काे लाभ मिलेगा, खेती में होने वाले खर्चे में कमी आएगी। रिसर्चर्स के मुताबिक हार्वेस्टर सहित अन्य बड़े वाहनों में डीजल की काफी खपत होती है। अगर ये पेट्रोल के साथ सीएनजी से चलेंगे तो लागत में काफी कमी आ आएगी।
अब लोग इलेक्ट्रिक कार की पूछ-परख भी करने लगे हैं, लेकिन वर्तमान में जो इलेक्ट्रिक व्हीकल्स आ रहे हैं, उनका एसी बैटरी से चलता है। इस वजह से बैटरी की लाइफ काफी प्रभावित होती है। इसका हल भी राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विवि (आरजीपीवी) ने निकाल लिया है। यहां ऐसी टेक्निक पर काम हो रहा हैं, जिसमें एसी चलाने के लिए बैटरी की जरूरत न के बराबर पड़ेगी। इससे बैटरी की लाइफ में बढ़ोतरी होगी और इलेक्ट्रिक वाहन चालक को फायदा होगा।
ब्रेक के पावर का उपयोग करेंगे
आरजीपीवी के मैकेनिकल डिपार्टमेंट के एचओडी प्रो. असीम तिवारी ने बताया कि वर्तमान में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में एसी, पेट्रोल और डीजल कारों के सिस्टम की तरह ही काम करता है। यह कंप्रेशर बेस्ड होता है। इस वजह से यह बैटरी के पावर को कम करता है। इसे देखते हुए ऐसी तकनीक पर काम किया जा रहा है, जिससे दूसरे सोर्स से कार के एसी को चलाया जा सके।
इसमें ब्रेक के अलावा डीसी मोटर से हीट लेने जैसे विकल्प को शामिल किया जा रहा है। अभी वेपर कंप्रेशर सिस्टम पर काम होता है। इस दिशा में करीब एक साल से रिसर्च जारी है। प्रो. तिवारी ने बताया कि इलेक्ट्रिक व्हीकल की बैटरी की लाइफ करीब 3 साल होती है।
यह पूरी तरह से बैटरी आधारित होती है, इसलिए पूरा लोड इसी पर आता है। बैटरी बदलवाने पर करीब ढाई लाख रुपए खर्चा आता है। ऐसे में अगर एसी का अलग एनर्जी सोर्स होगा तो बैटरी की लाइफ में इजाफा होगा, यह बैटरी के पावर को कम नहीं करेगा।