भोपाल. मध्य प्रदेश विधानसभा सचिवालय ने विधायकों को सदन में असंसदीय भाषा से बचने के लिए ‘असंसदीय शब्द एवं वाक्यांश संग्रह’ पुस्तक का प्रकाशन किया है. रविवार को इस किताब का विमोचन किया गया ताकि सदन की गरिमा बने रहे और सदस्यों द्वारा कहे गये ऐसे शब्दों को बार-बार कार्यवाही से हटाना न पड़े. सोमवार से शुरू हो रहे मध्य प्रदेश विधानसभा के चार दिन के मॉनसून सत्र ) के एक दिन पहले विधानसभा ने 38 पन्नों की इस किताब का विमोचन किया. इस पुस्तक में 1,161 असंसदीय शब्दों और वाक्याशों का संग्रह है, जो वर्ष 1954 से लेकर अब तक विधानसभा के रिकॉर्ड से हटाये गये हैं. यह शब्द और वाक्यांश अधिकांश हिंदी के हैं.
विधानसभा सचिवालय द्वारा तैयार की गई इस पुस्तक के संकलन के अनुसार विधानसभा के सदस्यगणों से अब सदन में ‘पप्पू’ और ‘मिस्टर बंटाधार’ जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं करने की उम्मीद की जाती है. बता दें कि बीजेपी के समर्थक उपहास के तौर पर कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को ‘पप्पू’ कहते हैं. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह को वो ‘मिस्टर बंटाधार’ कहते हैं.
इनके अलावा, इस संग्रह में ढोंगी, निकम्मा, चोर, भ्रष्ट, तानाशाह और गुंडे सहित कई शब्दों और झूठ बोलना व व्यभिचार करना जैसे वाक्याशों को भी शामिल किया गया है. इसमें ‘ससुर’ शब्द का भी जिक्र किया गया है, जिसका उपयोग सदन में नौ सितंबर, 1954 को किया गया था, जिसे बाद में कार्यवाही से हटा दिया गया था. इस पुस्तक में सदन में वर्ष 1990 और 2014 के बीच को छोड़कर 1954 से लेकर 2021 तक के उन शब्दों व वाक्यांशों का संकलन किया गया है, जिन्हें सदन की कार्यवाही से हटाया गया है.
संसद और विधानसभा लोकतंत्र के मंदिर, यहां शब्दों का उचित चयन होना आवश्यक
इस पुस्तक का विमोचन विधानसभा स्थित मानसरोवर सभागार में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, विधानसभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम, नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ, प्रदेश के गृह एवं संसदीय कार्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा और पूर्व संसदीय कार्य मंत्री व प्रतिपक्ष के मुख्य सचेतक डॉ. गोविंद सिंह ने किया. इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा कि हमारी संस्कृति, संस्कार, जीवन मूल्य और शिष्टता यह कहती है कि शब्दों का उचित चयन होना आवश्यक है. संसद और विधानसभा में विभिन्न विषयों को प्रस्तुत करते समय कभी-कभी क्रोध, आवेश या आक्रोश में ऐसे शब्द निकल जाते हैं, जो सामान्य शिष्टाचार की परिधि के बाहर होते हैं. शब्दों का चयन ऐसा होना चाहिए, जिससे कोई आहत न हो.
उन्होंने कहा कि संसद और विधानसभा प्रजातंत्र के मंदिर हैं. यहां सदस्यों को अपनी बात रखने का अधिकार है. संसद में अटल बिहारी वाजपेयी, इंद्रजीत गुप्त, सोमनाथ चटर्जी जैसे सांसदों की समृद्ध परंपरा रही है. मध्य प्रदेश विधानसभा में भी वरिष्ठ और अनुभवी वक्ताओं के वक्तव्य हुए हैं. सीएम ने कहा कि मध्य प्रदेश विधानसभा द्वारा ‘असंसदीय शब्द एवं वाक्यांश संग्रह’ पुस्तक का प्रकाशन अभिनंदनीय प्रयास है. इससे विधायकों और सदन की गरिमा बढ़ेगी. यह किताब सभी के लिए उपयोगी साबित होगी.
वहीं, इस अवसर पर कमलनाथ ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा दोनों ही प्रजातंत्र के मंदिर माने जाते हैं. उन्होंने सवाल किया कि इस पुस्तक के प्रकाशन की जरूरत ही क्यों पड़ी.
विधायक पुस्तक का अध्ययन करें, इसमें लिखी बातों को सदन में फॉलो करें
विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा कि इस पुस्तिका में उन शब्दों एवं वाक्यांशों का संग्रह है, जिन्हें सदन से पहले कार्यवाही से हटाया गया है. विधायक इस पुस्तिका का अध्ययन करें और ऐसे असंसदीय शब्दों एवं वाक्यांशों का उपयोग सदन में न करें. जबकि विधानसभा के प्रमुख सचिव ए.पी सिंह ने बताया कि वर्ष 1990 और 2014 के बीच के रिकॉर्ड कुछ कारणों के चलते उपलब्ध नहीं है. उन्होंने कहा कि इसलिए सदन द्वारा वर्ष 1990 और 2014 के बीच कार्यवाही से हटाये गए शब्द इस पुस्तक में प्रकाशित नहीं हैं. उन्होंने कहा कि इन वर्षों के हटाये गए शब्दों को दूसरे प्रकाशन में जोड़ा जायेगा.
बता दें कि प्रदेश में वर्ष 1993 से 2003 तक कांग्रेस की सरकार थी, जबकि वर्ष 2003 से 2018 के बीच बीजेपी का शासन था.