*वर्तमान चुनौतियों का जवाब समाजवादी विचार के द्वारा ही संभव – डॉ सुनीलम*
कोच्चि: जस्टिस पीके शम्सुद्दीन ने कहा कि समाजवाद भारतीय संविधान का मूल सिद्धांत है। समाज में जब तक बराबरी और न्याय स्थापित नहीं हो सकता तब तक समाजवाद का सिद्धांत संविधान के पन्नों तक ही सीमित रहेगा। उन्होंने यह वक्तव्य एर्नाकुलम के आशिर भवन हॉल में आयोजित सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए दिया।बैठक की अध्यक्षता थकथी कृष्णन नायर ने की। थकथी कृष्णन नायर ने केरल के के बी मेनन, ई एम एस नंबुदरीपाद आदि प्रख्यात समाजवादियों के समाजवादी आंदोलन की विस्तृत जानकारी दी।
मध्य प्रदेश के पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम ने मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए कहा कि वर्तमान चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए तथा संवैधानिक मूल्यों को बचाने के लिए समाजवादियों, लोकतंत्रवादियों तथा संविधान में विश्वास रखने वाली ताकतों की एकजुटता जरूरी है।
उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि 90 वर्ष पहले 17 मई 1934 को कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का कांग्रेस के भीतर गठन हुआ जो 1948 में अलग हुई तथा जनता पार्टी में सोशलिस्ट पार्टी का विलय हो गया।
उन्होंने कहा कि समाजवादियों को 1977, 1989, 1996 में तीन बार केंद्र सरकार में शामिल होने का मौका मिला। उन्होंने समाजवादी आंदोलन की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि समाजवादियों ने आजादी के आंदोलन में बड़े पैमाने पर युवाओं को समाज परिवर्तन और व्यवस्था परिवर्तन के लिए प्रेरित किया। देश में जमींदारी खत्म करने और राजशाही खत्म करने का आंदोलन, चौखंबा पंचायती व्यवस्था लागू करने का आंदोलन, गोवा मुक्ति आंदोलन, नेपाल, बर्मा में लोकतांत्रिक बहाली का आंदोलन, देश में तानाशाही (इमरजेंसी) का मुकाबला करना, जेपी के नेतृत्व में छात्र आंदोलन, गेट और डंकल ड्राफ्ट के खिलाफ जन आंदोलन, बैंकों, रेलवे, खदानों के निजीकरण को खत्म करने का आंदोलन, मंडल कमीशन की सिफारिश को लागू करने तथा जाति जनगणना का आंदोलन, विकास की वैकल्पिक अवधारणा विकसित करने सहित अनेक आंदोलन चलाए।
देश के समक्ष समाज का धर्म के आधार पर ध्रुवीकरण, भारतीय राजनीति पर कॉर्पोरेट का कब्जा, संविधान विरोधी ताकतों का सत्ता पर कब्जा, सामाजिक न्याय की स्थापना करना, जाति जनगणना कराना, पुलिस दमन पर रोक लगाना, जाति उन्मूलन, चुनाव सुधार, भारतीय लोकतंत्र के चारों स्तंभों की स्वतंत्र कार्यप्रणाली, बेरोजगारी, गरीबी, गैर बराबरी, पर्यावरण संकट आदि चुनौतियां का जिक्र करते हुए कहा कि समाजवादी ही केवल देश और दुनिया में पूंजीवाद का विकल्प दे सकते हैं।
उन्होंने समाजवादी आंदोलन को पुनर्स्थापित करने के लिए युवाओं के वैचारिक प्रशिक्षण, समाजवादी साहित्य प्रकाशन, एचएमएस- राष्ट्र सेवा दल को मजबूत करने तथा एन ए पी एम और एसकेएम के आंदोलन से जुड़ने का सुझाव समाजवादियों को दिया।
सम्मेलन में दो लाख फिलिस्तीनियों के नरसंहार को इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदी बताते हुए इजराइल से तत्काल युद्ध विराम लागू करने तथा फिलिस्तीन को कब्जा मुक्त करने तथा भारत सरकार से इजराइल को हथियारों एवं मानव संसाधन की सप्लाई बंद करने तथा सामाजिक कार्यकर्ता योगेन्द्र यादव पर हमला करने वाले को गिरफ्तार करने की मांग को लेकर प्रस्ताव पारित किए गए।
सम्मेलन को वायनाड जिला पंचायत के वेलफेयर स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन जुनैद कैंपनी, बेनी फ्रांसीस, जो एंटोनी, एड एम सुनीलकुमार, टॉमी जोसेफ, पी जे जोशी, मल्लककारा ज़कारिया, सी जे उम्मन, एन एम राघवन, मोहनदास थीरितट्टम, एड के वी रामचंद्रन, एड जैकब पुलिकल, विनसेंट पुथूर, ई के श्रीनिवासन,के जी रामनारायणन, एम वी लारेंस, जॉनसन पी जॉन, प्रो के अजीथा, एड एनी स्वीटी ने संबोधित किया ।
सम्मेलन में गांधीयन कलेक्टिव, आर जे डी, एल जे डी, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, एच एम एस, एन एल ओ, लोहिया विचार वेदी, सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया), इंडियन सोशलिस्ट लॉयर्स आर्गनाइजेशन सहित तमाम संगठन शामिल हुए।
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