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 22 मई को 9 सेकेंड में 4000 किलो बारूद से होगा नोएडा के 40 मंजिला ट्विन टावर में धमाका

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नोएडा : 22 मई को दोपहर 2.30 बजे जब सूरज सिर के ऊपर चमक रहा होगा, नोएडा के सेक्टर 93A में मौजूद ट्विन टावर पहले की तरह तनकर खड़ा नहीं रहेगा। बस 9 सेकेंड के भीतर भारत की सबसे ऊंची बिल्डिंग में से एक शहर के नक्शे से हमेशा के लिए मिट जाएगी। यह संयोग ही है कि नौ सेकेंड की यह कार्रवाई दो सुपरटेक बिल्डिंग्स को लेकर 31 अगस्त 2021 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के 9 महीने के बाद की जाएगी। Apex और Ceyane को इसी दिन जमींदोज करने का पूरा प्लान तैयार कर लिया गया है।

1500 परिवारों को 3 घंटे पहले छोड़ना होगा घर
उस दिन धमाकों से कुछ देर पहले काउंट डाउन शुरू हो जाएगा और आसपास पूरी तरह से सन्नाटा पसरा होगा। इस कार्रवाई के लिए टावर के आसपास रहने वाले करीब 1500 परिवारों को अपना घर कुछ समय के लिए छोड़ना होगा। टावर की तरफ जाने वाली सड़क और पास के नोएडा एक्सप्रेसवे के हिस्से को भी ट्रैफिक के लिए बंद कर दिया जाएगा। करीब 4,000 किलोग्राम विस्फोटक का इस्तेमाल कर नियंत्रित तरीके से ट्विन टावर को ध्वस्त कर दिया जाएगा।

4,000 किलो विस्फोटक का होगा इस्तेमाल
कौन पहले, कौन बाद में
एडिफाइस इंजीनियरिंग को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। सोमवार को उसने अपना प्लान साझा किया। कंपनी ने बताया है कि सियान (97 मीटर ऊंचाई, 31 फ्लोर) को पहले ध्वस्त किया जाएगा इसके बाद एपेक्स (100 मीटर, 32 फ्लोर) को ढहा दिया जाएगा। इमारत एक के बाद एक फ्लोर के रूप में जमीन की तरफ ढहती चली जाएगी। बिल्डिंग में जहां पहले आलीशान अपार्टमेंट बनाने की योजना थी और उसे बेचा गया था, वहां प्राइमरी और सेकेंडरी दो ब्लास्ट किए जाएंगे। दोनों टावरों में 10 प्राइमरी ब्लास्ट ग्राउंड, पहले, दूसरे, छठवें, 10वें, 14वें, 18वें, 22वें, 26वें और 30वें फ्लोर पर होगा। इस ब्लास्ट की अवधि 0 से 7 सेकेंड होगी। इसी तरह सेकेंडरी ब्लास्ट 0 से 3.5 सेकेंड का होगा। सेकेंडरी ब्लास्ट फ्लोर में चौथा, 8वां, 12वां, 18वां, 20वां, 24वां, 28वां होगा।

बिजली के तार, जाली, गेट निकाले जा रहे हैं।
कितना विस्फोटक चाहिए

Edifice के उत्कर्ष मेहता ने बताया, ‘2500 और 4,000 किलोग्राम विस्फोटक की जरूरत होगी। मार्च के आखिरी हफ्ते या अप्रैल के पहले हफ्ते में एक टेस्ट ब्लास्ट प्लान किया गया है, जिससे विस्फोटक के उचित इस्तेमाल और सुरक्षा मानकों की पड़ताल की जा सके।’

अभी भी तोड़ा जा रहा…
एडिफाइस के जॉइंट वेंटर पार्टनर साउथ अफ्रीका बेस्ड जेट डिमॉलिशंस इस पूरे प्लान की निगरानी कर रही है। बिल्डिंग में लगी खिड़कियों के फ्रेम, ग्रिल, दरवाजे, वायरिंग और दूसरे ऐसे सामान जिसे निकाला जा सकता है, उसे हर फ्लोर से निकाला जा रहा है। धमाके के समय मलबा फैलकर दूर न जा सके, इसके लिए हर कॉलम में वायर्ड मेश और जियोटेक्सटाइल फैब्रिक का इस्तेमाल किया जाएगा। अधिकारियों ने कहा है कि धमाके के बाद एक्सपर्ट पूरे एमराल्ड कोर्ट और आसपास की दूसरी बिल्डिंगों को नुकसान का भी आकलन करेंगे। हालांकि एडिफाइस ने स्थानीय लोगों को आश्वस्त किया है कि धमाका इस तरह किया जाएगा कि पास की किसी भी इमारत को कोई नुकसान नहीं होगा। अधिकारियों ने बताया है कि फिर भी नुकसान की भरपाई के लिए बीमा कराया जाएगा।

आसपास के लोगों को धमाके से 3 घंटे पहले घर छोड़ना होगा।
एक्सक्लूजिव जोन का इलाका
धमाके वाली जगह से चारों ओर एमराल्ड कोर्ट, एटीएस ग्रीन्स विलेज और पार्श्वनाथ प्रेस्टिज का कुछ हिस्सा, एक पार्क और टावर्स के सामने की सड़क और नोएडा एक्सप्रेसवे का एक हिस्सा एक्सक्लूजिव जोन में आएगा। इसे चिन्हित किया जाएगा और पुलिस और दूसरे बलों की तैनाती की जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि इस जोन में रहने वाले लोगों को धमाके से कम से कम तीन घंटे पहले घर छोड़ना होगा और बाद में दो घंटे के बाद ही लौट पाएंगे। नोएडा एक्सप्रेसवे पर ट्रैफिक एक घंटे के लिए रोका जाएगा।

22 मई को 9 सेकेंड की तैयारी।
पांच लोग ही वहां रहेंगे
मेहता ने बताया कि हमने इस संबंध में नोएडा अथॉरिटी को एक रिपोर्ट दी है लेकिन पुलिस के साथ परामर्श के बाद लोगों को खाली कराने पर फैसला किया जाएगा। ब्लास्ट के समय में केवल पांच लोगों- दो विदेशी एक्सपर्ट, एक पुलिसकर्मी, एक ब्लास्टर और एक एडिफाइस प्रोजेक्ट मैनेजर जोन में मौजूद रहेंगे।

नोएडा से 100 किमी दूर रहेगा विस्फोटक
कॉलम में तय जगह पर विस्फोटक लगाने की प्रक्रिया में 15 दिन लगेंगे। मेहता ने कहा कि नोएडा से 100 किमी दूरी एक साइट पर विस्फोटकों को रखा जाएगा और जरूरत के हिसाब से रोज कुछ-कुछ हिस्सा लाया जाएगा। दो मंजिल ऊंचा स्टील शिपिंग कंटेनर एमराल्ड कोर्ट रिहायशी बिल्डिंग (एस्टर 2, 3 और 12) और अपेक्स के बीच रखे जाएंगे। मलबे से एमराल्ड कोर्ट के अंडरग्राउंड पार्किंग एरिया और 12 मंजिला बिल्डिंग को सुरक्षा देने के लिए ऐसा किया जाएगा। इसके अलावा कई और तरीके अपनाए जाएंगे जिससे मलबा जमीन से उछलकर दूर न जाए।

मेहता ने यह भी आश्वस्त किया है कि पास से गुजरने वाली गेल की गैस पाइपलाइन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पाइपलाइन जमीन से 3 मीटर नीचे हैं। पाइपलाइन के ऊपर जमीन पर 10-12 एमएम की स्टील की प्लेटें बिछाई जाएंगी। विस्फोट के बारे में जानकारी वाले पर्चे 15 दिन पहले बांटे जाएंगे, जिसमें तारीख, समय के साथ ही घर खाली करने की पूरी जानकारी होगी।

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