नर्मदा घाटी के लोगों के द्वारा नदी एवं पर्यावरण संरक्षण पर संकल्प सभा
‘नदियों को निर्मल रहने दो! नदियों को अविरल बहने दो!!’ इस नारे के साथ, आज नर्मदा जयंती के रोज नर्मदा घाटी के 36 सालों से संघर्ष-निर्माण में सक्रिय किसान-मजदूर, मछुआरे, केवटों के साथ नदी संरक्षण संकल्प सभा में मुख्य अतिथि इंदौर से वरिष्ठ पत्रकार चिन्मय मिश्रा जी, सरोज मिश्रा जी, केरल से पर्यावरणवादी लेखक जार्ज जी, उपस्थित थे। बड़वानी के मान्यवर किसान नेता चंदू भाई यादव, राजन मंडलोई, विजय कुमार जैन भी शामिल हुए! नर्मदा घाटी के गांव-गांव से सैकड़ों की संख्या में नर्मदा भक्तों के बीच किसान, मजदूर, कहार, केवट, आदिवासी, पशुपालक, सभी नर्मदा जयंती पर आज राजघाट, बड़वानी में पधारे थे। आज के दिन नर्मदा किनारे आकर लोग स्नान, पूजा नर्मदा की करते है घाट घाट पर नर्मदा पुराण की कथाएँ चलती है। लेकिन नर्मदा की आज क्या स्थिति हो रही है इस पर शासन का तथा नर्मदा भक्तों का कितना ध्यान है, इस पर अलग-अलग वक्ताओं ने बात रखी। बड़वानी के सांसद गजेन्द्र पटेल ने आंदोलन को ‘विकास में अडंगा डालने’ के लिए दोष देते वक्तव्य किया था, जिसे सभी ने बेबुनियादी बताया|
शुरुआत नर्मदा जी की फोटो पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित करके हुई। कमला यादव, ने कहा नर्मदा मातेसरी की रक्षा महिलाएँ करती रही है, लेकिन शासन विस्थापन का दर्द समझती नहीं| देवराम कनेरा ने कहा कि बड़वानी खरगोन के सांसद गजेंद्र पटेल को जवाब देते हुए देवराम कनेरा, ने कहा कि अगर पिछले 18 साल से मध्य प्रदेश में शिवराज चौहान की सरकार है, पुनर्वास का कार्य पूरा नहीं करती है और कई बांधो के विस्थापित बर्गी से इंदिरा सागर तक अन्याय भुगत रहे है| तो फिर कौन से विकास की बात करती है यह शासन?
जगदीश पटेल, वाहिद भाई मंसूरी, रुलसिंग सोलंकी आदि ने नर्मदा नदी के सूखते जाने की, जहरीले पदार्थों से दूषित होने पर अब संघर्ष जरूरी है यह कहते हुए अपनी जीवटता प्रकट की!
बड़वानी के भूतपूर्व नगराध्यक्ष राजेन्द्र मण्डलोई ने कहा कि नर्मदा का इतिहास में बड़ा नाम है और नर्मदा घाटी की पुरानी सभ्यता है। नर्मदा घाटी में 36 सालों से चले आंदोलन ने ही विनाश और विस्थापन पर सवाल उठाये है| जबकि केंद्र सरकार ने देश में विकास के नाम पर नोट बंदी, GST, हिन्दू-मुस्लिम, मंदिर-मस्जिद जैसे मुद्दों के अलावा देश को कुछ नहीं दिया। चंद्रशेखर यादव, ने बात रखी कि आज नर्मदा से सिंचाई भी प्रदूषण के कारण प्रभावित हो रही है तो सांसद गजेन्द्र पटेल ने आंदोलन को दोष देना गलत है| विकास का चित्र ही बदलना जरूरी है|
इंदौर से पधारे सर्वोदय मंडल के प्रदेशाध्यक्ष वरिष्ठ लेखक पत्रकार, चिन्मय मिश्रा जी ने नर्मदा पर बात रखते हुए कहा कि नर्मदा घाटी की सभ्यता सबसे पुरानी है। नर्मदा को बचाना सरकार का ध्येय ही नही है। नर्मदा से इंदौर, देवास, भोपाल जैसे शहरों को पानी आपूर्ति के लिए पानी उठाया जा रहा है जबकि और एक बड़ी योजना इंदौर के लिए लाई जा रही है। लेकिन नर्मदा के प्रदूषण से जनता को अज्ञान में रखा गया है| नर्मदा तीर्थ माने गये राजघाट के निवासियों का पुनर्वास नहीं किया जा रहा है। गुजरात में केवडिया याने बांध स्थल के आदिवासियों के साथ भी 50 साल से हो रहे अन्याय पर ध्यान आकर्षित करते हुए की उन आदिवासियों के पुनर्वास के बगैर वहां सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा रखकर पर्यटन के लिए उन्हें उजाड़ा गया है। वहां तितलियों के लिए पार्क बनाये जा रहे है लेकिन वहां के प्रभावित लोगों के लिए जगह नहीं है। नर्मदा घाटी के लोगों ने विकास की अवधारणा पर सही सवाल उठाये इसलिए वे ही सही अर्थ से विकसित माने जाने चाहिए|
अंत मे नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर जी ने बात रखी और कहा कि आज नर्मदा का पानी पीने लायक नहीं रहा। भोपाल से आये जैविक बोर्ड के अधिकारियों ने जैविक खेती पर प्रमाण पत्र देते हुए यह स्पष्ट किया है कि “कोई किसान नर्मदा के पानी से सिंचाई करते है, तो जैविक का प्रमाण पत्र नहीं दे सकते है। क्योंकि नर्मदा के पानी में बड़ी मात्रा में केमिकल्स बहकर आ रही है। पीथमपुर के उद्योगों का केमिकल अजनार नदी से बहते हुए कारम नदी से नर्मदा में मिल रहा है। नर्मदा का पानी जहरीला होता जा रहा है। पिछले साल में लाखों मछलियां मरी थी, और अब भी बाँध स्थल के पास बाँध स्थल के पास पानी का रंग काला होकर वही खतरा सामने है| नर्मदा जयंती पर बड़े बांधों से, अवैध रेत खनन से तथा 50000 परिवारों के पुनर्वास के बाद भी बचे हुए परिवारों के अधिकार न देने से हो रहे अन्याय और विनाश की हकीकत पर हम लड़ते रहेंगे| मंजिल तक पहुँचने का संकल्प है| यमुना की हालात पुण्यतिथि मनाने की और गंगा के शुध्दिकरण पर करोड़ों का खर्च ही नहीं व्यर्थ भ्रष्टाचार की चुनौती देशवासियों के सामने है|
अंत में सभी लोग नाव पर सवार होकर नर्मदा के बीच जाकर चिन्मय मिश्रा जी ने नर्मदा को अविरल और निर्मल बहते रखने का, घाटीवासियों का हक लेने तक संघर्ष जारी रखने का संकल्प दिया जिसे सभी लोगों ने दोहराया। उसके बाद नर्मदा में दीप दान किया गया|
नर्मदा बचाओ , मानव बचाओ। नर्मदा माता कुणीन छे, हमरी छे, हमरी छे।
*पवन यादव, बालाराम यादव, गेंदालाल भिलाला, राजा मण्डलोई, कैलाश अवास्या, सुनीता मछुआरा