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बिहार और आंध्र प्रदेश ही केन्द्र सरकार के ‘सगे’, बाकी सब पराये….?

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ओमप्रकाश मेहता

केन्द्र सरकार द्वारा नए वित्तीय वर्ष के लिए राज्यों को आवंटित बजट राशि को लेकर संभवतः आजादी के बाद पहली बार केन्द्र सरकार पर भेदभाव का गंभीर आरोप लगाया जा रहा है, विपक्षी दल एक स्वर में आरोप लगा रहे है कि बिहार और आंध्र प्रदेश ही केन्द्र सरकार के ‘सगे’ है, बाकी सभी राज्य पराए है, क्योंकि इन दो राज्यों को अन्य राज्यों के मुकाबले अधिक बजट आवंटित कर विशेष पैकेज भी दिए गए है, इस प्रकार प्रधानमंत्री की नजर में ये दो राज्य ही उनके अपने है, बाकी नहीं। प्रतिपक्ष तो यह भी आरोप लगा रहा है कि ‘अपनी कुर्सी बचाने के लिए प्रधानमंत्री ने यह भेदभाव किया है’, इस आरोप के साथ सात जून की वह तस्वीर भी दिखाई जारही है, जिसमें नीतीश कुमार को मोदी के पैर छूने और मोदी द्वारा नीतीश को गले लगाया गया था, इसी के साथ आंध्र के मुख्यमंत्री नायडू को भी मोदी जी के गले लगते दिखाया गया है।
प्रतिपक्ष ने इस बजट आवंटन के कथित भेदभाव को दल एवं व्यक्तिगत राजनीति का मुख्य मुद्दा बना लिया है, इसी प्रहसन के संदर्भ को लेकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने साफ कहा है कि ‘‘मोदी जी अपनी तीसरी पारी पूरी नही कर पाएगें और देश में फिर मध्यावधि चुनाव सुनिश्चित है।’’
ऐसी ही राजनीतिक घटनाओं को लेकर मोदी जी की सरकार को लेकर अन्यों द्वारा भी भविष्यवाणियां की जा रही है और देश में राजनीतिक माहौल दिनोंदिन गरमाता जा रहा है अब देश के प्रमुख राजनीतिक दलों ने इसी माहौल के बीच अपने अंदरूनी तैयारियां शुरू कर दी है और दलीय कार्यकर्ताओं से चुनाव हेतु तैयार रहने को कहा जा रहा है। इसी मसले को लेकर हर राजनीतिक दल में अंदरूनी हलचलें बढ़ गई है तथा टिकट के प्रत्याशी भी अपनी सक्रियता बढ़ रहे है।
वैसे राजनीतिक पंडित यह भविष्यवाणी तो पिछलें आम चुनावों के परिणाम आने के बाद से ही कर रहे थे कि बैसाखियों पर टिकी मोदी जी की यह तीसरी सरकार ज्यादा दिन नही चल पाएगी, क्योंकि मोदी का स्वभाव समझौतावादी कभी नही रहा है और यदि छोटे-छोटे दलों की बैसाखियों के सहारे अपने लक्ष्य तक पहुंचना मोदी जी व उनकी सरकार पहुंचाना मोदी जी व उनकी सरकार के लिए काफी मुश्किल है, इसलिए पिछले चुनावों के बाद से ही राजनीतिक पंडित मध्यावधि की भविष्यवाणी करते आ रहे है और अब धीरे-धीरे वही परिदृष्य सामने आता जा रहा है, इसी परिदृष्य को देखकर राजनीतिक दल चैकन्ना हो गए है और उन्होंने अपने भविष्य का खाका तैयार करना शुरू कर दिया है, वे अचानक रूप से घटने वाली किसी बड़ी राजनीतिक घटना से निपटने हेतु अपने आपको तैयार कर रहे है।
इस प्रकार देश में सरकार व राजनीति दोनों में ही अस्थिरता का माहौल है, ऐसा आज देश का हर जागरूक व शिक्षित नागरिक महसूस कर रहा है और ऐसा माहौल बनाने के जिम्मेदार सर्वाधिक चिंतित भी है, उन्हें अपने भविष्य की चिंता सता रही है, देश या देशवासियों की नहीं?
अब ऐसी स्थिति में भारत में राजनीति व सरकार के साथ सभी कुछ अस्थितर नजर आने लगा है, अब यह स्थिति कब तक रहेगी, यह बताना भी किसी के वश में नही है।

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