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पद्मश्री कथाकार और मालवा की ‘मीरा’ मालती जोशी का इंदौर से था खास लगाव

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जानी-मानी कथाकार पद्मश्री मालती जोशी का 90 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। मालवा की मीरा कहलाने वाली मालती जोशी को इंदौर से खास लगाव था, अंतिम संस्कार दिल्ली में..

50 से ज्यादा कथा संग्रह

बता दें कि मालती जोशी (Malti Joshi) ने 50 से ज्यादा हिन्दी और मराठी कथा संग्रह लिखे हैं। वहीं पद्मश्री कथाकार मालती जोशी हिंदी की सबसे लोकप्रिय कथाकारों में से एक मानी जाती हैं। अपनी कथा कथन की विशिष्ट शैली के लिए जानी जाने वाली मालती जोशी के साहित्य पर देश के कई विश्वविद्यालयों में शोध कार्य हुए हैं। बता दें कि भोपाल के चूनाभट्टी क्षेत्र निवासी मालती जोशी को 2018 में साहित्य तथा शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदानों के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

ये भी हैं बड़ी उपलब्धियां

बता दें कि मालती जोशी की कई रचनाएं भारतीय भाषाओं के साथ ही विदेशी भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं। उनकी कई कहानियों का रंगमंचन भी हुआ है। रेडियो और दूर दर्शन पर उनकी कहानियों का नाट्य रूपान्तर भी प्रस्तुत किया जा चुका है। जानकारी के मुताबिक बॉलीवुड एक्ट्रेस जया बच्चन द्वारा दूरदर्शन धारावाहिक सात फेरे का निर्माण किया गया है, जो मालती जोशी की कहानियों पर ही आधारित हैं। कुछ कहानियां गुलज़ार के दूरदर्शन धारावाहिक किरदार में तथा भावना धारावाहिक में शामिल की जा चुकी हैं।

ये हैं प्रमुख कहानी संग्रह

मालती जोशी के प्रमुख कहानी संग्रहों में पाषाण युग, मध्यांतर, समर्पण का सुख, मन न हुए दस बीस, मालती जोशी की कहानियां, एक घर हो सपनों का, विश्वास गाथा, आखिरी शर्त, मोरी रंग दी चुनरिया, अंतिम संक्षेप, एक सार्थक दिन, शापित शैशव, महकते रिश्ते, पिया पीर न जानी, बाबुल का घर, औरत एक रात है, मिलियन डालर नोट आदि शामिल हैं।

इसके साथ ही मालती जोशी ने कई बालकथा संग्रह भी लिखे हैं, इनमें, दादी की घड़ी, जीने की राह, परीक्षा और पुरस्कार, स्नेह के स्वर, सच्चा सिंगार आदि शामिल हैं। साहित्यकार उनके लेखन की तुलना कहानीकार मुंशी प्रेमचंद से करते हैं। कहते हैं कि वे मुंशी प्रेमचंद की तरह सहज और सरल लेखन किया है।

उपन्यास और आत्मसंस्करण भी लिखे

मालती जोशी ने केवब कविताएं या कहानियां ही नहीं बल्कि उपन्यास और आत्म संस्मरण भी लिखे हैं। उपन्यासों में पटाक्षेप, सहचारिणी, शोभा यात्रा, राग विराग आदि प्रमुख हैं। वहीं उन्होंने एक गीत संग्रह भी लिखा, जिसका नाम है, मेरा छोटा सा अपनापन। उन्होंने  ‘इस प्यार को क्या नाम दूं? नाम से एक संस्मरणात्मक आत्मकथ्य भी लिखा। उनकी एक और खूबी रही कि उन्होंने कभी भी अपनी कहानियों का पाठ कागज देखकर नहीं किया, क्योंकि उन्हें अपनी सारी कहानियां, कविताएं जबानी याद रहतीं थीं।

एमए करते वक्त ही शुरू कर दिया था लेखन

इंदौर में रहने वाले दिघे परिवार में जन्मी मालती जोशी यहां करीब ढाई दशक रहीं। इंदौर से ही उनकी साहित्यिक यात्रा भी शुरू हुई। शहर के मालव कन्या विद्यालय में स्कूली शिक्षा हुई और फिर आर्ट्स विषय लेकर उन्होंने होलकर कालेज में प्रवेश लिया। होलकर कॉलेज से बीए और हिंदी में एमए करते वक्त ही उन्होंने लेखन कर्म आरंभ कर दिया था।

यूं कहलाईं मालवा की मीरा

लेखन के शुरुआती दौर में मालती जोशी (Malti joshi) कविताएं लिखा करती थीं। उनकी कविताओं से प्रभावित होकर उन्हें मालवा की मीरा नाम से भी संबोधित किया जाता था। मालती जोशी के पुत्र सच्चिदानंद जोशी बताते हैं कि उन्हें इंदौर से खास लगाव था। इतना कि वे अक्सर कहा करती थीं कि इंदौर जाकर मुझे सुकून मिलता है, क्योंकि वहां मेरा बचपन बीता, लेखन की शुरुआत वहीं से हुई और रिश्तेदारों के साथ ही उनके सहपाठी भी वहीं हैं। यह शहर उनकी रग-रग में बसा था।

खुद अपनी आत्म कथा में मालती जोशी ने उन दिनों को याद करते हुए लिखा है, ‘मुझमें तब कविता के अंकुर फूटने लगे थे. कॉलेज के जमाने में इतने गीत लिखे कि लोगों ने मुझे ‘मालव की मीरा’ की उपाधि दे डाली।’

इन्होंने जताया शोक

मालती जोशी के निधन पर एमपी सीएम डॉ. मोहन यादव ने एक्स पर श्रद्धांजलि दी है.. सीएम ने लिखा है..

पद्मश्री से सम्मानित, वरिष्ठ साहित्यकार दीदी मालती जोशी जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। आपकी कृतियां साहित्य जगत की अनमोल धरोहर हैं। बाबा महाकाल से दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान देने और परिजनों को यह वज्रपात सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करता हूं।

भारतीय जनसंचार संस्थान के पूर्व महानिदेशक ने जताया शोक

भारतीय जनसंचार संस्थान के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर संजय द्विवेदी ने लेखिका मालती जोशी (Malti joshi) के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए बताया कि लेखिका मालती जोशी हिंदी की सबसे लोकप्रिय कथाकारों में मानी जाती हैं। वे अपने कथा कथन की विशिष्ट शैली के लिए जानी जाती रहीं। उनके साहित्य पर देश के कई विश्वविद्यालयों में शोध कार्य हुए हैं। उनके कथा संसार में भारतीय परिवारों, रिश्तों और मूल्यबोध की गहरी समझ दिखाई देती है।

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