बारामुला में लगभग 17 लाख मतदाता हैं। बारामुला के अलावा इसके प्रमुख क्षेत्रों में उड़ी, कुपवाड़ा, हंदवाड़ा जैसे क्षेत्र हैं। पिछले चुनाव में यह सीट नेशनल कॉन्फ्रेंस के अकबर लोन ने जीती थी। इस बार अपनी परंपरागत सीट श्रीनगर को छोड़कर उमर खुद यहां से मैदान में हैं। उन्हें यहां सज्जाद लोन और इंजीनियर रशीद कड़ी टक्कर दे रहे हैं।
गुलमर्ग के पहाड़ों पर अच्छी-खासी बर्फ जमी है। कश्मीर की वादियों में सैलानियों की भीड़ है, लेकिन यहां के कस्बों और गांवों में चुनावी बिसात बिछी है। पहाड़ों पर गिरती बर्फ भी सियासी पारे की तपिश को कम नहीं कर पा रही। बारामुला सीट इस बार पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के लड़ने के कारण वैसे ही खास हो गई है। बारामुला के चौराहे पर उमर के पोस्टरों पर उनकी पार्टी के चुनाव चिह्न हल के साथ लिखा है-हल ही हल है। गुलमर्ग से बारामुला के रास्ते पर पीडीपी के कार्यकर्ता अपने चुनाव चिह्न के नारे लगा रहे हैं-पीडीपी है अपनी जमात, याद रखो कलम दवात।
एक और उम्मीदवार और टेरर फंडिंग में तिहाड़ जेल में बंद इंजीनियर रशीद के लिए बेटे अबरार रशीद ने कमान संभाल रखी है। गांव कलंतरा पाइन में काफिला रुकता है और चौराहे पर कश्मीरी में नारे लगने लगते हैं-चून जू, म्यून जू, कैदी नंबर कूनवू। हिंदी में इसका मतलब है कि तेरी जान, मेरी जान, कैदी नंबर 19। कहा जा रहा है कि प्रेशर कुकर पर बटन दबाकर रशीद को तिहाड़ से बाहर निकालने में मदद की जाए। पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन की पार्टी का चुनाव चिह्न सेब है। बारामुला सबसे ज्यादा सेब की खेती के लिए जाना जाता है। लोन के समर्थकों का दावा है कि स्थानीय लोगों के सबसे ज्यादा काम वही आएंगे। कांग्रेस यहां उमर अब्दुल्ला के साथ है और भाजपा यहां से भी चुनावी मैदान में नहीं है।
बारामुला में लगभग 17 लाख मतदाता हैं। बारामुला के अलावा इसके प्रमुख क्षेत्रों में उड़ी, कुपवाड़ा, हंदवाड़ा जैसे क्षेत्र हैं। पिछले चुनाव में यह सीट नेशनल कॉन्फ्रेंस के अकबर लोन ने जीती थी। इस बार अपनी परंपरागत सीट श्रीनगर को छोड़कर उमर खुद यहां से मैदान में हैं। स्थानीय जानकारों का कहना है कि यहां दरकते आधार को वापस पाने के लिए उमर ने यह फैसला किया है। हालांकि सज्जाद लोन के कुपवाड़ा और हंदवाड़ा के क्षेत्रों में अपने आधार और युवाओं के इंजीनियर रशीद की ओर रुख से वह कड़े मुकाबले में फंस गए हैं। पीडीपी के फैयाज अहमद मुकाबले को और भी रोचक बना रहे हैं।
युवाओं का पहला मुद्दा रोजगार
गुलमर्ग से कुछ दूरी पर टनमर्ग क्षेत्र में होटलों की संख्या अच्छी-खासी है। एक होटल में प्रबंधक आबिद नोएडा के एक बड़े निजी विश्वविद्यालय से पढ़े हैं। उनका मानना है कि पर्यटन के अलावा भी रोजगार के मौके मिलने चाहिए। वे भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते हुए राज्य की सरकार के लिए चुनाव की वकालत करते हैं। उड़ी के मुख्य चौराहे पर मेडिकल स्टोर में काम करने युवा बिसारत कहते हैं, सरकारी नौकरियां नहीं निकल रही हैं। वे मानते हैं कि उमर को सज्जाद लोन कड़ी टक्कर देंगे। वहीं, आबिद इंजीनियर रशीद का चुनाव अच्छा बताते हैं। गुलमर्ग में जुबैर पर्यटकों के आने से खुश तो हैं, लेकिन वह भी सरकारी नौकरी की जरूरत बताते हैं। दरअसल, इस क्षेत्र में सबसे बड़ा पर्यटन क्षेत्र गुलमर्ग है। अप्रैल से सितंबर तक यहां पर सैलानियों की भीड़ रहती है। टनमर्ग जैसे कस्बों में भी सैलानियों के कारण ही होटलों आदि में रौनक रहती है।
दोनों ओर सेब के बागान, उड़ी में पर्यटन की उड़ान
गुलमर्ग से बारामुला के रास्ते में दोनों और सेब के ही पेड़ हैं। हालांकि अभी बौर नहीं आया है। गांवों में रंग-बिरंगे घर बने हैं, जो वादियों को और खूबसूरत बना देते हैं। क्षेत्र में अच्छी बात यहां पर बनीं सड़कें और चारों और छाई शांति है। उड़ी तक देर शाम तक बिना झिझक के घूमा गया। सुरक्षाबल तैनात तो दिखे, लेकिन अब पूरी तरह से शांति पसरी दिखी। उड़ी में अब बॉर्डर पर्यटन का केंद्र बन गया है और लोग बड़ी आसानी से आते-जाते हैं।
सिख वोटर डालेंगे नतीजों पर असर
बारामुला शहर और आसपास के इलाकों में सिख वोटरों की संख्या भी अच्छी-खासी है। बारामूला के अमनदीप सिंह व सिमरनजीत कहते हैं कि यहां अब शांति है। सिख वोटर नतीजों को प्रभावित करने की स्थिति में हैं। वे मानते हैं कि काम तो हुआ है, लेकिन और काम करने की जरूरत है।
पिछली बार के गणित के सहारे तय कर रहे हार-जीत के समीकरण
पिछली बार नेशनल कॉन्फ्रेंस के अकबर लोन 30 हजार वोटों से जीते थे। दूसरे और तीसरे स्थान पर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के राजा एजाज अली और इंजीनियर रशीद के बीच एक हजार वोटों का ही अंतर था। पीडीपी प्रत्याशी को 53 हजार, कांग्रेस को 34 हजार और भाजपा के मकबूल वार को 8 हजार वोट मिले थे। उमर के समर्थकों का मानना है कि बड़ा चेहरा होने के कारण इस बार अंतर बढ़ जाएगा। गांव कलंतरा पाइन के चौराहे पर बैठे तीन बुजुर्गों का मानना है कि बड़े नेता जीतने के बाद उनके बीच नहीं आते हैं। इस बार वे किसी स्थानीय पर भरोसा करेंगे। नौशेरा के अब्दुल वहीद को लगता है कि उमर जैसे बड़े नेता के आने से क्षेत्र का नाम होगा। वहीं बोनियार के जावेद को सभी एक जैसे ही लगते हैं। पीडीपी के बारे में वहीद का कहना है कि उन्होंने पहले भाजपा के साथ जाकर अच्छा नहीं किया। गठबंधन में सभी को एक साथ रहना चाहिए था।
भाजपा मैदान में नहीं, पर उमर हमलावर
भाजपा प्रत्याशी न होने के बावजूद उमर अपने भाषणों में उसी पर ज्यादा हमलावर हैं। समर्थकों का आरोप है कि भाजपा लोन का समर्थन कर रही है।