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उत्तराखंड में कांग्रेस से लोगों को निराशा, महंगाई पर भाजपा भी सवालों के घेरे में

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देहरादून. विधानसभा चुनाव 2022 के दौर से गुजरने वाले राज्यों में उत्तराखंड का नाम भी शामिल है. 70 सीटों वाले इस पहाड़ी राज्य में जहां भारतीय जनता पार्टी (BJP) सत्ता में बने रहने की कोशिश में है. वहीं, कांग्रेस भी सत्ता में वापसी के लिए जद्दोजहद कर रही है. जमीनी स्तर पर देखें, तो एक ओर भाजपा महंगाई समेत कई मुद्दों पर जनता के सवालों का सामना कर रही, तो दूसरी ओर कांग्रेस( की मुश्किलें भी कम नहीं हैं.

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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में प्रेशर कुकर फटने की खबरें चर्चा में हैं. इसपर अल्मोड़ा शहर से 13 किमी दूर कोटुरा गांव के महेश प्रसाद कहते हैं, ‘यही राजनेता नहीं समझते. हमें सस्ता माल मुफ्त में नहीं चाहिए. महंगाई पर रोक चाहिए. जब हमारे पास सिलेंडर के पैसे नहीं होंगे, तो हम प्रेशर कुकर का क्या करेंगे.’ खबर है कि भाजपा विधायक और मंत्री रेखा आर्य ने मतदाताओं के बीच कुकर वितरित किए थे.विज्ञापन

वहीं, भेटौली गांव के पास सुरेश भकूनी का नजरिया अलग है. वे कहते हैं, ‘क्या क्या नहीं दिया मोदी जी और धामी जी ने, उत्तराखंड में भाजपा कई सवालों का सामना कर रही है, लेकिन कांग्रेस के पास जवाब नहीं है? मुफ्त राशन, मुफ्त टीका, सड़कें… लोग ये एहसान नहीं भूलेंगे. और सबसे जरूरी, देवभूमि से ‘बाहरी’ लोगों को दूर रखने की जरूरत है और मोदी जी चौकीदार हैं, जो ऐसा कर सकते हैं.’

अल्मोड़ा के सल्ला गांव में चूल्हा जलाने की कोशिश कर रहीं सुलोचना की 70 वर्षीय दादी देवकी देवी कहती हैं कि सब्सिडी इतनी कम है कि सिलेंडर नहीं खरीद पा रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘जितना हो सकता है, हम लकड़ी से काम चलाते हैं.’ खास बात है कि कभी कांग्रेस का गढ़ रहे सल्ला गांव में अनुसूचित जाति की आबादी काफी ज्यादा है. हालांकि, यहां 2014 में भाजपा ने बड़ी सफलता हासिल की और इसमें उज्जवला योजना ने बड़ी भूमिका निभाई है. हालांकि, अब सिलेंडर महंगाई और परेशानी का निशान बन चुके हैं.

काठगोदाम में रहने वाले संजय सिंह टैक्सी चलाते हैं. वे भाजपा के शासन पर निराशा जाहिर करते हैं. हालांकि, उनका यह भी कहना है कि चीजें अब सुधर रही है. सिंह बताते हैं, ‘धामी जी ने बहुत कुछ किया है… ट्रांसपोर्ट बिजनेस में शामिल लोगों को राहत के रूप में 2 हजार रुपये मिले… रेस्त्रां और ढाबाओं की मदद की गई… सभी को वैक्सीन मिली.’ बढ़ती कीमतों को लेकर उन्होंने कहा, ‘सरकार को कहीं तो बचाना होगा, शायद इसलिए उन्होंने सब्सिडी काट दी है.’

भेटौली गांव के टैक्सी ड्राइवर पूरन राम सरकार की तरफ से मिली राहत को पर्याप्त नहीं मानते हैं. लेकिन भाजपा का समर्थन कर रहे ड्राइवर राम का कहना है कि ‘हमें काम चाहिए.’ एक और टैक्सी ड्राइवर महेश बिष्ट कहते हैं कि इसका कारण ‘सुरक्षा और भरोसा है.’ उन्होंने कहा, ‘देखें कैसे हमारी मिट्टी के सपूत योगी जी ने उत्तर प्रदेश को साफ कर दिया है… चीन हमारी सीमा पर है… भाजपा के राज में फौज के पहचान मिल रही है

बरछीना में निजी स्कूल में पढ़ाने वाले 26 वर्षीय संजय आर्य कहते हैं, ‘उत्तराखंड में ओबीसी नहीं हैं. यह जंग कांग्रेस (जिसे दलितों का समर्थन मिलता रहा है) और भाजपा (ठाकुर पार्टी) के बीच है. अब मुश्किल जो है वह है भाजपा का ‘ठाकुरवाद’ और कांग्रेस का कुछ भी नहीं कर पाना. वे लड़ने में काफी व्यस्त हैं, भाजपा के विपरीत उनकी कोई विचारधारा नहीं है.’ विकल्प तैयार करने और संकट आवाज उठाने में कांग्रेस में कांग्रेस का असफल होना भी कुमाऊं की शिकायतों में शामिल है.

हालांकि, बचाव में अल्मोड़ा में कांग्रेस सचिव रॉबिन भंडारी कहते हैं, ‘अंतर कलह में फंसने को लेकर कांग्रेस की आलोचना अगर ज्यादा नहीं, तो भाजपा को भी उतना प्रभावित करती है.’

रिपोर्ट के मुताबिक, भंडारी पूरी तरह से गलत नहीं हैं. विधायक और डिप्टी स्पीकर रघुनाथ सिंह चौहान की बगावत की खबरों के बाद 26 जनवरी को कार्यकर्ताओं को आश्वासन देने के लिए भाजपा जिला मुख्यालय में बैठक हुई. वहीं, भाजपा के अल्मोड़ा सचिव रवि रौतेला कहते हैं कि वे चिंतित नहीं हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, नाम नहीं छापने की शर्त पर एक भाजपा नेता ने टिकट वितरण पर नाराजगी की बात स्वीकार की है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, नेता ने कहा, ’70 सीटों वाले उत्तराखंड जैसे राज्य में पार्टी ने लगभग सभी कांग्रेस बागियों को टिकट दी हैं और 11 मौजूदा विधायकों को ड्रॉप कर दिया. भले ही असंतुष्ट नेता पार्टी न छोड़ें, लेकिन उनका जनाधार जगह बदल सकता है.’

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